विधानसभा सत्र में भाजपा जजपा का जनविरोधी चेहरा बेनकाब हुआ – दीपेंद्र हुड्डा

o जनता को कोई राहत देना तो दूर सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाना भी अपराध हो गया है
o संपत्ति क्षति वसूली विधेयक की शब्दावली से साफ है कि निर्दोष को बड़ी आसानी से दोषी बना देगी सरकार
o अब तक हर सरकार स्कूल, अध्यापकों की संख्या बढ़ाती आयी है, ये पहली सरकार है जो स्कूल बंद व अध्यापकों के पद खत्म कर रही
o किसान आंदोलन में जान की कुर्बानी देने वालों को न तो आर्थिक मदद दी, न नौकरी यहां तक कि सहानुभूति के दो शब्द भी नहीं कहे

रोहतक, 20 मार्च। सांसद दीपेंद्र हुड्डा आज रोहतक, महम, कलानौर के कई सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत करने पहुंचे। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र में भाजपा-जजपा का जनविरोधी चेहरा पूरी तरह से बेनकाब हो गया है। महंगाई से जूझ रही जनता को किसी तरह की राहत देने की बात तो दूर हद तो तब हो गयी जब संपत्ति क्षति वसूली जैसा विधेयक जबरन पास करके आम आदमी के हकों की आवाज़ उठाने का रास्ता भी बंद कर दिया गया। भाजपा राज में अब सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ प्रजातांत्रिक तरीके से आवाज़ उठाना भी अपराध हो गया है। संपत्ति क्षति वसूली विधेयक की शब्दावली साफ-साफ बता रही है कि निर्दोष को भी इस विधेयक की आड़ में बड़ी आसानी से दोषी बना दिया जायेगा। इस दौरान प्रमुख रूप से पूर्व मंत्री आनंद सिंह दांगी, विधायक भारत भूषण बतरा, शकुंतला खटक मौजूद रहे।

उन्होंने कहा कि इस जनविरोधी सरकार का बेरहम चेहरा पूरे देश ने देखा है। किसान आंदोलन में 300 से ज्यादा किसानों ने जान की कुर्बानी दे दी। लेकिन इस सरकार ने न तो उनके परिवारों के लिये कुछ नहीं किया न कोई आर्थिक सहयोग दिया, न परिजनों को नौकरी के लिये कुछ किया यहां तक कि सहानुभूति के दो शब्द भी नहीं कहे। इतना ही नहीं, इस सरकार के नेता, मंत्री, विधायक, सांसद किसानों व उनके परिवारों के आंसुओं की खिल्ली उड़ाते रहे। उन्हें अपमानजनक बोल कहते रहे। जब विधानसभा सत्र में कांग्रेस की तरफ से एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिये प्राईवेट मेंबर बिल लाया गया तो उसे भी स्वीकार नहीं किया गया।

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने गांव कंसाला, जिन्दराण कलां, बहु अकबरपुर, समैन में ग्राम पंचायत द्वारा आयोजित कायक्रमों में शिरकत के दौरान इस बात पर हैरानी जतायी कि सरकार ने हजारों स्कूलों को बंद करने का फैसला कर लिया। उन्होंने कहा कि अब तक हर सरकार स्कूल, अध्यापकों की संख्या बढ़ाती आयी है। पहली सरकार है जिसने अध्यापकों के पद खत्म किये और स्कूल बंद किये। उन्होंने कहा कि सरकार का काम स्कूल बनवाना होता है, बंद करना नहीं। लेकिन मौजूदा सरकार ने एक ही झटके में 1057 स्कूलों को बंद कर दिया। इतना ही नहीं, कांग्रेस की हुड्डा सरकार के समय बनाये गये 9 किसान मॉडल स्कूलों को भी इस सरकार ने बंद कर दिया। प्रदेश में 40 हजार अध्यापकों की पोस्ट खाली पड़ी हैं। उनकी भर्ती करने की बजाए सरकार पदों को खत्म करने में जुटी है।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि प्रदेश सरकार के बजट से हर वर्ग को निराशा हाथ लगी है। कमरतोड़ महंगाई की वजह से हरियाणा का कर्मचारी महंगाई भत्ते की बाट देख रहा था। वहीं आम लोग इस बात के इंतजार में थे कि प्रदेश सरकार डीजल-पेट्रोल पर वैट कम करेगी और महिलाओं को उम्मीद थी कि रसोई गैस पर सब्सिडी देकर सरकार उनकी रसोई के बजट में राहत देगी। लेकिन सारी उम्मीदों को धराशायी करते हुए सरकार ने बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए बजट में कहीं कुछ नहीं किया। बजट में न किसान व मजदूरों के लिए कोई योजना थी और न ही कर्मचारी व व्यापारी के लिए कोई राहत का ऐलान।

You May Have Missed

error: Content is protected !!