यहीं हाल रहा तो फरीदाबाद नगर निगम की तरह गुरुग्राम निगम भी सरकार का मोहताज होगी

गुरुवार को हुई सदन की बैठक में बजट पर सवाल उठाते हुए निगम पार्षद आरएस राठी ने कहा कि यदि इसी प्रकार प्रोजेक्शन और कल्पनाओं पर आधारित बजट तैयार होता रहा तो अगले दो साल के भीतर नगर निगम का अस्तित्व खतरे में होगा और अगले साल नगर निगम गुरुग्राम भी फरीदाबाद की तरह पैसे के लिए सरकार का मोहताज होगी।

 राठी ने सवाल उठाते हुए कहा कि बजट में 500 करोड़ का नुकसान दिखाया हुआ है लेकिन यह कहीं नहीं लिखा कि यह पैसा कहां से आए और कैसे खर्च हुआ। यदि इस नुकसान की भरपाई के लिए फिर से एफडी टूटी तो 750 करोड़ की एफडी कुल 250 करोड़ रुपये की रह जाएगी। प्रोपर्टी टैक्स में लगभग 1235 करोड़ की आय प्रस्तावित की हुई है जिसमें से लगभग 275 करोड़ रुपये आगामी वित्तीय वर्ष का टैक्स, 472 करोड़ बकाया टैक्स, 488 करोड़ ब्याज शामिल है। जबकि वास्तविकता में इस टैक्स में 50 प्रतिशत से ज्यादा की रिकवरी नहीं हो सकती है। ऐसी प्रोजेक्शन कर नगर निगम को अंधेरे में रख ख्याली बजट रखे जा रहे है।

इसके अलावा बजट में अकाउंट शाखा द्वारा कई गलतियां ऐसी की हुई थी जिनके चलते करोड़ों रुपये का फर्क पैदा होता है। जैसी शीतला माता हेड में 50 करोड़ की जगह 150 करोड़ दिखाए हुए थे, एन्वायरमेंट और बागवानी के दो हेड में अलग-अलग करोड़ों रुपये के खर्चे प्रस्तावित थे जिसका बैठक में ठीक ढंग से जवाब भी नहीं मिल पाया। बिजली वाले हेड में गलत राशियां दर्ज की हुई थी।

विभिन्न मुद्दों पर दिए सुझाव:-

-राठी द्वारा मारूति विहार को निगम के अधीन करने के लिए रखे गए प्रस्ताव में सदन की बैठक में मुहर लगी।
-व्यापार केन्द्र की जगह पर नगर निगम द्वारा तैयार किए जा रहे आफिस व रिहायशी टावरों में दुकानों एवं फ्लैटों को तैयार होने के बाद बेचा जाए ताकि अच्छी कीमत मिल सके। वहीं रेजीडेंशियल टावरों में निगम के स्टाफ के लिए भी टावर का निर्माण होना चाहिए।
-बंधवाड़ी में लगे कूडे के पहाड़ के निस्तारण के लिए 250 करोड़ का नया प्लांट लगाने की बजाय नगर निगम अपने स्तर पर ही मशीनरी लगा इसका निष्पादन करें तथा इसकी रिकवरी के लिए इकोग्रीन के खिलाफ हाईकोर्ट में नगर निगम को केस दायर करना चाहिए।
-ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट, बिल्डिंग प्लान, एफएआर व विकास शुल्क से रिकवरी के लिए निगम में सीटीपी, एसटीपी व डीटीपी की स्थायी तौर पर नियुक्ति होनी चाहिए ताकि यहां से राजस्व को एकत्र किया जा सके।

-अन्य शहरों की नियमावली को देख मैरिज पैलेस के लिए नियमों का प्रारूप तैयार होना चाहिए। इसके बाद ही इन्हें स्वीकृति दी जाए।

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