राजनीति की जीवन रेखा : एसवाईएल

कमलेश भारतीय

सुना है कल फिर एसवाईएल पर हरियाणा विधानसभा में बहस मुबाहिसा हुआ यानी एक बार और हरियाणा की इस जीवन रेखा कही जाने वाली योजना पर दोषारोपण हुआ । सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर तो विपक्ष ने सारा दोष सत्त् पर मढ़ने में कोई कमी नहीं छोड़ी । इस तरह बजट सत्र का एक दिन एसवाईएल के नाम रहा ।

एसवाईएल को हरियाणा की जीवन रेखा कहा जाता है । ऐसी जीवन रेखा जो सिर्फ एक ड्राइंग रेखा बन कर रह गयी । हरियाणा को बस इसका इंतज़ार ही रहा । कभी हरियाणा अपना केस जीत गया और जश्न भी मनाया गया लेकिन एसवाईएल न खुदी और न इसमें पानी आया । बारिश का पानी जरूर आता है । बेशक इनेलो नेता अभय चौटाला अपने समर्थकों सहित कस्सी लेकर खुदाई करने गये थे लेकिन बुडैल जेल पहुंचा दिये गये । इस सबको राजनीतिक ड्रामा करार दिया गया । कभी चौ भजनलाल ने इंदिरा गांधी को आमंत्रित किया इस जीवन रेखा के लिए और दोनों परिवार यानी चौटाला व भजनलाल परिवार दावा करते नहीं थकते कि हमने क्या कुछ नहीं किया इस नहर के वास्ते । सबसे मज़ेदार बात यह रही कि राज्य व केंद्र में एक ही दल की सरकार होने के बावजूद यह जीवन रेखा अधूरी ही रही और समय व सत्ता बदलते ही दोष दूसरों पर लगाना शुरू हो जाता है ।

इसलिए मैंने कहा कि यह जीवन की नहीं बल्कि राजनीति की जीवन रेखा है । जब किसान आंदोलन तेज होता जा रहा है तब यह एसवाईएल भी बुरी तरह याद आने लगी है । अब दोष कांग्रेस पर लगाया जा रहा है कि पंजाब में कुछ और तो हरियाणा में कुछ और कहा जा रहा है । जिसे कांग्रेस कहती रही कि यदि बादल व चौटाला पगड़ी बदल भाई हैं तो घर बैठे ही इस समस्या को चुटकी में हल क्यों नहीं कर देते ? अपने अपने रोचक आरोप हैं । इसी एसवाईएल का विरोध करने के लिए रोपड़ के पास आतंकवादियों ने 23 प्रवासी मजदूरों को गोलियों से उड़ा दिया था , उस दिन यह जीवन रेखा खूनी नदी में बदल गयी थी । इस आतंक के बाद इसका निर्माण ठप्प कर दिया गया । आतंकवाद बीत गया । देश शांति की राह पर लौट आया । जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने का श्रेय लिया जा रहा है तो भाई हरियाणा के लिए एसवाईएल बनवा दो न । कश्मीर से बड़ी समस्या तो नहीं है यह जीवन रेखा ? क्यों साहब ? अब तो राज्य और केंद्र में आपकी ही सरकार है । फिर किस बात की देरी है?

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