चण्डीगढ़, 10,3. 2021 – हरियाणा विधानसभा में आज भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की अग्निपरीक्षा होगी। आज कांग्रेस की तरफ से सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है। सदन में आज कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर आज चर्चा होगी और वोटिंग होगी इसी के चलते तीनों ही पार्टियों ने अपने अपने विधायकों को व्हिप पर जारी कर दिया था।

व्हिप में सभी दलों ने विधायकों को कार्यवाही चलने से खत्म होने तक सदन में रहने को कहा है। कांग्रेस नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदेश की गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई है। कांग्रेस की तरफ से लाए जा रहे इस अविश्वास प्रस्ताव में 25 विधायकों ने अपने हस्ताक्षर किए थे इधर भाजपा की तरफ से भी अपने विधायकों को सदन में रहने के कड़े निर्देश जारी किए गए हैं।

भाजपा, जजपा ने अपने सभी विधायकों से सरकार के पक्ष में मतदान करने का अनुरोध किया है। भाजपा की तरफ से मुख्य सचेतक कंवर पाल, जजपा की ओर से मुख्य सचेतक अमरजीत ढांडा व कांग्रेस की तरफ से मुख्य सचेतक बीबी बत्रा ने व्हिप जारी किया है।

भाजपा ने अपने विधायकों को कहा है कि सदन के नेता की अनुमति बिना कोई सदन नहीं छोड़ेगा। सदन में महत्वपूर्ण विधायी कार्य होने हैं। वोटिंग के दौरान सभी को सरकार के पक्ष में वोट करना है। जजपा ने भी अपने विधायकों को सदन न छोड़ने की हिदायत दी है, साथ ही अविश्वास प्रस्ताव के विरुद्ध वोट करने को कहा है। बत्रा ने कहा कि कोई भी विधायक नेता प्रतिपक्ष की मंजूरी के बिना सदन से बाहर नहीं जाएगा। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में सभी मतदान करेंगे। सुबह 10 बजे सभी सदन में उपस्थित हों।

बुधवार को कांग्रेस की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा जिस पर चर्चा और वोटिंग होगी। इसमें अब सभी पार्टियों की तरफ से अपने अपने विधायकों को व्हिप जारी किया गया है और सदन में मौजूद रहने के लिए कहा गया है।

प्रदेश में मौजूदा हालात में भाजपा जजपा गठबंधन सरकार मजबूती के साथ खड़ी है लेकिन कांग्रेस ने भी अविश्वास प्रस्ताव के जरिये सरकार को गिराने का दावा किया जा रहा है।

अभी विधानसभा में 88 सदस्य हैं। अभय चौटाला के इस्तीफे से ऐलनाबाद सीट खाली हुई है। कालका के विधायक प्रदीप चौधरी को एक मामले में तीन साल की सजा होने पर अयोग्य घोषित किया गया है। इससे कालका सीट भी खाली है। ऐसे में गठबंधन सरकार को बहुमत के लिए 45 का आंकड़ा ही चाहिए।

भाजपा के 40, जजपा के 10, कांग्रेस के 30, निर्दलीय सात व एक हलोपा विधायक हैं। दो सीट खाली हैं। भाजपा, जजपा व निर्दलीय विधायकों में बलराज कुंडू को छोड़ दिया जाए तो भी सरकार के पास विधायकों का आंकड़ा 56 बनता है। हलोपा विधायक गोपाल कांडा ने भी सरकार को समर्थन का पत्र भेजा है।

ऐसे में गिनती 57 हो जाती है लेकिन कांडा मतदान के दौरान मौजूद नहीं रहेंगे। ऐसे में 56 विधायकों में कितने अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करते हैं और कितने पक्ष में जाते हैं, ये देखना होगा। हालांकि, जजपा व निर्दलीय विधायकों ने साफ किया है कि वे कृषि कानूनों के तो खिलाफ हैं लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं करेंगे।

कांग्रेस को उम्मीद है कि किसानों के दबाव को देखते हुए कुछ निर्दलीय व सत्ता पक्ष के विधायक क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं। सदन में जजपा के विधायकों और निर्दलीय विधायकों के वोटिंग को लेकर देखने वाली स्थिति होगी जज्बा के कुछ विधायकों ने कल सदन में ही कड़ा रुख अख्तियार किया था।

जजपा के विधायक देवेंद्र बबली ने तो यहां तक कह दिया था की दुष्यंत को अब सरकार से समर्थन वापस ले लेना चाहिए सरकार की अब प्रदेश में स्थिति अच्छी नहीं है प्रदेश के किसान बुरी तरह से बेहाल है।

इधर सदन में भी जजपा के विधायक जोगीराम सिहाग, राम कुमार गौतम, ईश्वर सिंह और देवेंद्र बबली ने सरकार की नीतियों पर जमकर सवाल खड़े किए उन्होंने सदन में ही विकास कार्यों को लेकर सरकार को लताड़ लगाई।

इधर कल सदन में जजपा के चार विधायकों के विरोध के सुर को देखते हुए दुष्यंत चौटाला की मुश्किलें बढ़ने लगी है। कल सदन में जजपा विधायक रामकुमार गौतम, जोगी राम सिहाग, देवेंद्र बबली और ईश्वर सिंह ने अपनी जमकर भड़ास निकाली।

मंगलवार को विधानसभा में ईश्वर सिंह ने सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए अपनी बात शुरू की और फिर देखते ही देखते तीखे सवाल दागने शुरू कर दिए। उन्होंने बजट में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए कुल आवंटित राशि में से 40 फीसद हिस्सा जारी नहीं होने पर सवाल उठाए।

जवाब से असंतुष्ट ईश्वर सिंह लगातार वित्त मंत्री से जवाब की मांग पर अड़े रहे जिसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि वह बजट पर चर्चा के दौरान इसका जवाब देंगे।

जजपा विधायक जोगीराम सिहाग ने कृषि कानूनों को लेकर खुलकर बैटिंग की। उन्होंने कहा कि नए कानूनों को लेकर प्रदेश के किसान आंदोलित, विचलित और उद्वेलित हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्र में परिस्थितियां चाहे जो हो, हरियाणा में हालात दूसरे हैं। जब प्रदेश में बाजरा, सरसों और कपास सहित अन्य फसलों की खरीद के लिए प्रदेश सरकार ने अलग से व्यवस्था की हुई है तो गेहूं और धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून बनाने में क्या दिक्कत है। प्रदेश सरकार अपना खुद का कानून बनाए जिससे किसानों को राहत मिले।

जजपा विधायक रामकुमार गौतम ने कहा कि प्रदेश सरकार दो-तीन सालों के लिए नए कृषि कानूनों को निलंबित रखे। जब किसान राजी नहीं हैं तो उन पर नए कानूनों को क्यों लादा जा रहा है। इससे पहले जजपा विधायक देवेंद्र बबली ने सदन में कहा था कि हमारा लोगों खासकर किसानों के बीच में निकलना मुश्किल हो गया है।

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