सुरक्षित मातृत्व : पटौदी अस्पताल में 80 गर्भवती महिलाओं की जांच हुई
गर्भवती महिला पर स्वयं और गर्भस्थ शिशु की दोहरी जिम्मेदारी.
नवजात शिशु और जन्म देने वाली मां स्वस्थ रहे यही है लक्ष्य
फतह सिंह उजाला
पटौदी । प्रत्येक माह की 9 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की विशेष रूप से जांच का अभियान चलाया जाता है। इसी कड़ी में मंगलवार को पटौदी के नागरिक अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की विभिन्न प्रकार की जांच की गई । जिससे कि गर्भ में पल रहा शिशु स्वस्थ रह,े गर्भवती का स्वास्थ्य भी किसी तरह से प्रभावित नहीं हो। क्योंकि गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु दोनों के बीच एक ऐसा भावनात्मक संबंध होता है , जिसकी शब्दों में व्याख्या नहीं की जा सकती। यह बात पटौदी नागरिक अस्पताल की एसएमओ डॉक्टर नीरू यादव नें यहां पहुंची गर्भवती महिलाओं की जांच के दौरान बातचीत में कही । उन्होंने बताया की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए प्रत्येक माह की 9 तारीख जो तय की गई है , उसका एक ही लॉजिक और तर्क है कि गर्भस्थ शिशु 9 माह के बाद ही जन्म लेता है । प्रकृति के इसी सत्य को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी के द्वारा गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए प्रत्येक माह की 9 तारीख का दिन तय किया गया है ।
इसी मौके पर महिला रोग विशेषज्ञ डॉ ज्योति डबास ने बताया कि 9 मार्च मंगलवार को पटौदी क्षेत्र के विभिन्न इलाकों गांव कस्बा से 80 गर्भवती महिलाएं अपनी जांच करवाने के लिए पहुंची। उन्होंने बताया की किसी भी गर्भवती के लिए शिशु के जन्म लेने तक का समय बहुत ही महत्वपूर्ण और संवेदनशील होता है। ऐसे में गर्भवती और गर्भ में पल रहे शिशु का ध्यान रखा जाना बहुत जरूरी है। जिससे कि स्वस्थ शिशु जन्म ले और जन्म देने के बाद में जननी का स्वास्थ्य भी किसी प्रकार से प्रभावित नहीं हो । उन्होंने बताया की गर्भकाल आरंभ होते ही महिला को अपनी जांच के साथ-साथ सबसे नजदीकी अस्पताल में अपना पंजीकरण प्रसव होने तक के लिए अवश्य करवा लेना चाहिए । इसका सबसे बड़ा लाभ और फायदा यह होता है कि गर्भवती महिला के पूरे केस की हिस्ट्री उपचार करने वाले डॉक्टरों और अस्पताल के रिकॉर्ड में उपलब्ध होती है । गर्भवती महिलाओं की गर्भकाल के दौरान सभी प्रकार की जांच की जाती हैं ।
डॉ ज्योति डबस ने बताया देहात के इलाके में इस समय फसल कटाई का समय चल रहा है और यह संभव नहीं कि सभी गर्भवती महिलाएं अपनी जांच के लिए निर्धारित तिथि को अस्पताल में पहुंच सके। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए गर्भवती महिलाओं के फोन नंबर के साथ-साथ इलाके की आशा वर्कर और बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मियों की भी जिम्मेदारी तय की गई है, कि वह अपने-अपने क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं के निरंतर संपर्क में रहें। किसी भी आपात स्थिति में गर्भवती महिला अपने पंजीकरण करवाए गए अस्पताल में संपर्क कर सकती है या फिर आशा वर्कर या बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मी की भी सहायता लेकर शिशु को जन्म देने के लिए अस्पताल में पहुंच सकती है । कई बार ऐसी स्थिति भी होती है कि गर्भ में पल रहा शिशु का वजन अधिक होता है या जरूरत से कम होता है , तो इन हालात में सुरक्षित प्रसव कराना बहुत बड़ी जिम्मेदारी बन जाता है । क्योंकि प्रसव काल के दौरान प्रसूता और जन्म लेने वाले शिशु दोनों को जीवन बचाना ही डॉक्टर के लिए सबसे पहला कर्तव्य और मानवीय धर्म भी बनता है ।
कई बार प्रसव काल का समय नजदीक आने तक किन्ही कारणों से शिशु गर्भ में उल्टा भी हो जाता है या और भी कोई ऐसा कारण बन जाता है। जिससे कि फिर सिजेरियन अर्थात ऑपरेशन ही एकमात्र विकल्प बचता है, जिससे कि शिशु को जन्म दिलवाया जाए । एसएमओ डॉक्टर नीरू यादव और महिला रोग विशेषज्ञ डॉ ज्योति डबास में विशेष रुप से नवविवाहिताओ से आह्वान किया है कि जब भी उन्हें यह अहसास होगी वह गर्भवती हो गई हैं उन्हें बिना समय गवाएं अपनी जांच करवाते हुए नजदीक के सरकारी अस्पताल में अपना रजिस्ट्रेशन करवा देना चाहिए । यह गर्भवती और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए सबसे अधिक लाभकारी साबित होता है।