रूबरू मुख्यमंत्री मनोहरलाल की छवि को गढने- इसे तराशने-इसे निखारने में सरकारी लोग अपने स्वाभाव और काम के अनुरूप निरंतर जुटे रहते हैं। इसे चार चांद लगाते रहते हैं। नए सूचना व जनसम्पर्क निदेशक अमित अग्रवाल का भी कुछ अलग करने पर फोकस है। इसी कड़ी में उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहलाल से पत्रकारों के साथ अनौपचारिक मुलाकात के दो सैशन रक्खे। मुख्यमंत्री आवास पर हुए इस रूबरू कार्यक्रम में पहले हिंदी अखबारों के पत्रकारों को बुलाया गया और अगले दिन अंग्र्रेजी अखबारों के पत्रकारों को। इस दफा पत्रकारों के चयन में खास पिक एंड चूज नहीं था। वर्ना इस से पहले मुख्यमंत्री के एक तथाकथित सलाहकार अपने मंजूर-ए-नजर चाटुकारों को ही सीएम से मिलवा कर अपने नंबर बनाया करते थे। लगभग सभी प्रमुख हिंदी-अंग्रेजी अखबारों से एक-एक पत्रकार को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया। मुख्यमंत्री से ये संवाद कुछ कुछ इसी तर्ज पर था जैसे कि एक्टर अक्षय कमार ने अपने एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा था कि आप को आम काट कर खाना पंसद है चूसना? एक तरह की ये सीएम की इमेज बिल्डिंग कवायद सी थी। हांलाकि इसके बहाने पत्रकारों को सीएम को और सीएम को पत्रकारों को जानने समझने का अवसर प्राप्त हुआ। पत्रकारों के किस्म किस्म के सवालों का मुख्यमंत्री ने बेबाकी से जवाब दिया। उनकी तमाम जिज्ञासाओं को शांत किया। गृह मंत्री अनिल विज के डीजीपी मनोज यादव को हटाने की जिद के बारे में सीएम ने कहा कि विज को वो तब से जानते हैं जब उन्होंने वर्ष 1990 में विधानसभा का पहला चुनाव लड़ा था। विज बहोत साफ दिल आदमी हैं। कुछ बात दिल में नहीं रखते। जो कुछ कहना होता हैं साफ साफ कह देते हैं। क्या इस तरह के विवादों से सरकार की छवि पर आंच नहीं आती? इस पर सीएम ने कहा कि इस तरह के फैसलों के लिए ये देखा जाना चाहिए कि ये किसका विशेषाधिकार है। ये जिसका विशेषाधिकार है उस पर ही ऐसे फैसले छोड़ देने चाहिए। बाकी ये कुछ खास मुददा नहीं है। चौटाला परिवार में चली जंग के बारे में मनोहारलाल ने कहा कि ये तो महज सत्ता पाने-पावर पाने का ही संघर्ष है। इस से ज्यादा कुछ नहीं। महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू के यहां सरकार के इशारे पर इंकम टैक्स के छापों पर खटटर ने कहा कि इसका सरकार से कुछ लेना देना नहीं है। ऐसा लगता है कि कुंडू को उनका बड़बोलापन ले बैठा। कुंडू कई दफा कई मंचों पर कह चुके हैं कि वो साढे सात हजार करोड़ रूपए के मालिक हैं। सरकारी एजैंसिंया भी सुनती रहती हैं कि कौन क्या कह रहा है-कर रहा है। ऐसा लगता है कि कुंडू के बड़बोलेपन के कारण ही उनके यहां इंकम टैक्स के छापे हुए हैं। राजेश खुल्लर को अपना प्रधान सचिव बनाए के सवाल पर उन्होंने कहा कि काबिल अधिकारियों की हर सरकार को जरूरत रहती है। वो खुद खुल्लर को हरियाणा में लेकर आए थे। वित्त मंत्रालय में तैनात खुल्लर को हरियाणा सरकार में सेवाएं देने के लिए रिलीव करने के लिए उन्होंने ही तत्कालीन वित्त मंत्री अरूण जेटली से अनुरोध किया था। इस रूबरू कार्यक्रम के आयोजक अमित अग्रवाल ने बहती गंगा में हाथ धोते हुए विशुद्ध ब्यूरोक्रेटिक इस्टाइल में एक सवाल दागा-सर,आप 15-16 घंटे तक लगातार काम करते हैं। आखिर आपकी इस एनर्जी का राज क्या है? इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि चंूकि उन्होंने शादी नहीं। इसलिए घर परिवार की कोई टैंशन नहीं है। इसलिए बेफिक्र होकर-बिना थके वो काम में जुटे रहते हैं। सीएम बनने के बाद मेरे परिवार की सीएम आवास में एंट्री नहीं है। मैंने अपने परिवार वालों को मना कर रक्खा है कि जब तक मैं सीएम हंू आप मेरे यहां सीएम आवास पर आने की जहमत मत उठाएं। इस हालात पर कहा जा सकता है: अगरचे रोज मेरा सब्र आजमाता हैमगर ये दरिया मुझे तैरना सिखाता हैये क्या घुटन है मोहब्बत की पहरेदारी मेंवो कागजों पे खुली खिड़कियां बनाता हैमैं उसकी नजरों का कुछ इस लिए भी हंू कायलवो जिस को चाहे उसे देखना सिखाता है दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला चंडीगढ स्थित हरियाणा निवास में प्रैस कांफ्रैंस के बाद लंच टेबल पर पत्रकारों के साथ गपशप कर रहे थे। कह रहे थे कि सार्वजनिक जीवन के अपने प्लस- माइनस हैं। वो दिल्ली की खान मार्किट में अपनी बीवी के साथ एक दिन कोफी पीने गए। किसी ने उनकी फोटो खींची और सोशल मीडिया पर वायरल कर दी कि इधर किसान धरने पर हैं और दुष्यंत हैं कि…। अब बताइए कि इस हालात पर किस को क्या कहा जाए? हरियाणा के युवाओं को निजी रोजगार में 75 फीसदी आरक्षण सबंधी कानून के विभिन्न क्षेत्रों से उठ रहे विरोध के स्वरों पर उन्होंने कहा कि अभी तो ये कानून लागू ही नहीं हुआ। अभी इसके नियम बनाए जाने हैं। वो इसके लिए व्यापारिक और औद्योगिक संगठनों के नुमाइंदों से फिर से बातचीत करेंगे। उम्मीद है जब सबको इस कानून के हर पहलू जानकारी मिलेगी तो ये विरोध खुद ब खुद खत्म हो जाएगा। हरियाणा का डोमीसाइल होने के लिए 15 बरस से घटा कर पांच बरस करने की शर्त करने पर उन्होंने कहा कि ऐसा औद्योगिक संगठनों की मांग पर ही किया गया। उन्होंने कहा कि ये कहना गलत होगा कि रोजगार में 75 फीसदी आरक्षण और डोमीसाइल की सीमा दस साल कम करना परस्पर विरोधी है। दुष्यंत ने कहा कि इस कानून को मंजूरी देने के लिए भाजपा हाईकमान का भी उनको भरपूर सहयोग मिला। एक पत्रकार ने उनसे पिछली प्रेस कांफ्रेस में गुस्सा होने पर गिला शिकवा किया तो वो बोले कि गुस्सा करना तो उनके चाचा अभय चौटाला का स्वभाव है। गुस्सा करना दुष्यंत का स्टाइल नहीं है। इस हालात पर कहा जा सकता है: दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिएजब तक सांस टूटे जिए जाना चाहिएयंू तो कदम कदम पे है दीवार सामनेकोई न हो तो खुद से उलझ जाना चाहिए सुमिता मिश्रा केंद्र सरकार में डैपुटेशन से वापस हरियाणा आई वर्ष 1990 बैच की आईएएस अधिकारी सुमिता मिश्रा कोे कृषि विभाग में ओएसडी लगाया गया है। सुमिता केंद्र में जाने से पहले मुख्यमंत्री मनोहरलाल के साथ सीएमओ का हिस्सा रह चुकी है। वो सीएम की अतिरिक्त प्रधान सचिव रह चुकी है। उनको अब ओएसडी लगाने की वजह क्या रही? इसके कई कारण दिए जा रहे हैं। एक कारण ये बताया गया कि चंूकि विधानसभा सभा का बजट सत्र चल रहा है। और सुमिता अभी अभी केंद्र सरकार से वापस लौटी हैं। हो सकता है कि अभी उनको हरियाणा के ताजा प्रशासकीय मामलों पर समझ बनाने में कुछ वक्त लगे। ऐसे में बजट सत्र के बाद उनको किसी विभाग का प्रशासकीय सचिव तैनात किया जा सकता है। न्यूज चैनल हरियाणा की जनता को जन जन की खबरों से अवगत करवाने के लिए जल्द ही एक रीजनल चैनल लांच होने वाला है। इसका नाम हरियाणा एक्सप्रैस बताया गया है। बताते हैं कि इस चैनल को मुख्यमंत्री मनोहरलाल के एक ताकतवर और लोप्रोफाइल ओएसडी का संरक्षण और सरपरस्ती हासिल है। Post navigation बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार पूरी तरह मजबूत – डिप्टी सीएम डीजीपी हरियाणा को लगा कोविड-19 वैक्सीन का दूसरा टीका