इंटरनेशनल योग फेस्टिवल कॉन्फ्रेंस में ओशो रजनीश पर शानदार शोध के लिए हिसार के योगी विकास को अवार्ड एक्सिलेन्स सर्टिफिकेट

हांसी , 7  मार्च   I मनमोहन शर्मा

वर्ल्ड योग कैपिटल ऋषिकेष में चल रहे सात दिवसीय इंटरनेशनल योग फेस्टिवल 2021 के समापन से पूर्व आज ‘योगा फ़ॉर वर्ल्ड पीस’ थीम के तहत इंटरनेशनल स्तर की कांफ्रेंस हुई। जिसमें देश -विदेश के 67 शोधकर्ताओं सहित कुल 369 विद्वानों व साधकों ने भाग लिया। जिनमें से कुल 28 शोधकर्ताओं ने अपने शोध दुनिया के सामने प्रस्तुत किये। जिसमे नादयोग, ध्यानयोग, ओशो, संगीत, हठयोग, कुंडलिनी आदि विषयों पर शोध प्रस्तुत किये गए।

 हरियाणा से 4 शोधकर्ताओं ने शोध प्रस्तुत किये जिसमें हिसार जिले के ढाणा कलां गांव के योगी विकास ने भी “ओशो रजनीश की बढ़ती लोकप्रियता व स्वीकार्यता का रहष्यात्मक विवेचन” विषय पर शोध प्रस्तुत किया। उनको उनके इस शानदार शोध के लिए ‘सर्टिफिकेट ऑफ एक्ससिलेंस’ अवार्ड प्रदान किया गया।

 उन्होंने अपने शोध में बताया कि ओशो की बढ़ती लोकप्रियता केवल कोई संयोग नहीं है बल्कि पारंपरिक योग, धर्म, परंपराओं व सोच आदि के नाम से बनावटी रूप से थोपी गई चीजों से आज व्यक्ति अपने को जकडा महसूस करने लगा था और वह अपने मूल स्वरूप में जीना चाहता है। जिसकी वजह से उसने कुछ नए एडवांस तरीके व रास्ते चाहिए थे जो ओशों ने मार्गदर्शन किया। सोच, ध्यान व प्रेम, स्वतंत्रता, सेक्स, संगीत का जो मार्ग I

 उन्होंने दिया जो हर व्यक्ति की वास्तविक से जुड़ा है जिसकी वजह से लोगों में ओशो की लोकप्रियता व स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है। योगी विकास ने शोध में यह भी बताया कि सूचना, तकनीक व इंटरनेट के युग में सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म ने पूरी दुनिया को एक सीमा विहीन राष्ट्र बनाकर “वसुभदैव कुटुम्बकम्भ” की अवधारणा को वास्तव में भूमि पर उतारा। जिसमे ओशो भी नींव के पत्थर मालूम पड़तें हैं। 

उन्होंने ‘मानना नहीं बल्कि जानना’ के सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आपको जीवन में खुद के वास्तविक विकास के लिए आपका खुद का अनुभव किया हुआ ही काम आता है, न कि किसी से सुना हुआ, ना कि यूं ही मान लेना। उन्होंने शिक्षा, योग, धर्म, मजहब जैसे पारम्परिक ढाचें को खुली चुनोती देकर तर्क- वितर्क व वैज्ञनिक चिंतन को मजबूत आधार प्रदान किया। जिसको लोगों से अपनाना आरंभ किया है। इसकी वजह से उनकी लोकप्रियता व स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है। इसलिए उनको इक्कसवीं सदी का विश्वगुरु भी माना जाने लगा है।

प्रकृति मित्र वीरेंद्र वर्मा ने बताया कि आद्यात्मिक गुरु श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी व हरियाणा योग परिषद के चेयरमैन डॉ जयदीप आर्य इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर इनके साथ -साथ बीजेपी के प्रदेश महासचिव सुरेश भट्ट, नादयोग समिति के संस्थापक डॉ नवदीप जोशी, जे.एन.यू. दिल्ली से नावयोग अध्यक्ष डॉ विक्रम सिंह, यू.एस.एस.वी. के योग विभागाध्यक्ष डॉ कामाख्या प्रसाद, देव संकृति विश्वविद्यालय के योग विभाध्यक्ष डॉ सुरेश बर्णवाल, योगाचार्य राजीव, डॉ सरस्वती काला रामराय देहरादून, अंकित योगाचार्य, जोधपुर से एडवोकेट हितेश, आचार्य नरेश शर्मा, एम.डी. यू. रोहतक से डॉ हरदीप, बीना बालियान आदि इस कार्यक्रम में उपिस्थित रहे।

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