-शिक्षित एवं साधन संपन्न महिलाओं को चाहिए कि वे पिछड़ी महिलाओं के लिए शिक्षा के साथ अन्य क्षेत्र में भी सहयोग करें:सुमन यादव
-अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर बाल्मीकि धर्मशाला मेें चिकित्सा कैंप में लगभग 60 महिलाओं की आंखों व अन्य बीमारियों से संबंधित जांच की गई।
-प्रदेश सरकार ने महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं जिनका प्रदेश की महिलाओं को भरपुर लाभ पहुंच रहा है।

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल । अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर बाल्मीकि धर्मशाला नारनौल में प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव की धर्मपत्नी सुमन यादव की अध्यक्षता में बुजुर्ग महिलाओं के सम्मान में एक निशुल्क चिकित्सा कैंप का आयोजन किया गया। बुजुर्ग महिलाओं के सम्मान में आयोजित इस चिकित्सा कैंप में लगभग 60 महिलाओं की आंखों व अन्य बीमारियों से संबंधित जांच की गई। बुजुर्ग महिलाओं को निशुल्क चश्मे व अन्य चिकित्सा से संबंधित सामान उपलब्ध कराया गया। इस मौके पर मंत्री ओमप्रकाश यादव की पत्नी सुमन यादव ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि हम सब का कर्तव्य बनता है कि जरूरतमंद लोगों की खासकर महिलाओं की मदद करें। अपने लिए तो सब जीते हैं सही मायने में दूसरे के लिए जीवन जीना ही जीवन है।

 उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपनी पुण्य कमाई में से कुछ पैसा धर्म पुण्य व सामाजिक कार्यों में अवश्य लगाना चाहिए। धर्म पुण्य में लगाया गया पैसा भगवान के घर से कई गुना होकर वापस लौटता है। शिक्षित एवं साधन संपन्न महिलाओं को चाहिए कि वे पिछड़ी महिलाओं के लिए शिक्षा के साथ अन्य क्षेत्र में भी सहयोग करें।

 श्रीमती यादव ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर सभी महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई देते हुए कहा कि विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान प्रशंसा और स्नेह प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं के आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। कुछ क्षेत्रों में यह दिवस अपना राजनीतिक मूल स्वरूप खो चुका है और अब यह मात्र महिलाओं के प्रति अभिव्यक्त करने हेतु एक तरह से मातृ दिवस के तौर पर मनाया जाता है हालांकि अन्य क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र द्वारा चयनित राजनीतिक और मानव अधिकार विषय वस्तु के साथ महिलाओं के सम्मान एवं सामाजिक उत्थान के लिए अभी भी इसे बड़े जोर-जोर से मनाया जाता है। कुछ लोग बैंगनी रंग के रिबन पहनकर इस दिन को जश्न के रूप में मनाते हैं।

 उन्होंने कहा कि सबसे पहले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस न्यूयॉर्क शहर में 1909 में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था। 1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया और यह आसपास के अन्य देशों में फैल गया इसे अब भारत के साथ-साथ कई पूर्व के देशों में भी मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं जिनका प्रदेश की महिलाओं को भरपुर लाभ पहुंच रहा है।

 इस मौके पर भाजपा जिला अध्यक्ष लक्ष्मी सैनी ने कहा कि आज के युग में महिला पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है घर के चौके चुल्ले से बाहर व्यवसाय हो साहित्य जगत हो प्रशासनिक सेवा हो या फिर खेल का मैदान हो महिलाओं ने सफलता का परचम लहराया है। यहां तक की कई देशों की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी महिलाएं रही है। इस मौके पर भाजपा महिला जिला अध्यक्ष लक्ष्मी सैनी,सुनिता जांगडा,अरूणा जांगडा,रेखा सिंघल,बिमला चौधरी,मंजू चौहान व सदस्य मौसम शर्मा सहित अनेक महिलाएं मौजूद थी।

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