चरखी दादरी जयवीर फोगाट 4 मार्च। महिला दिवस सप्ताह कार्यक्रम के तहत वीरवार को मिनी सचिवालय के सभागर में व चरखी गावं के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में डॉ छाया प्रसाद व डॉ. अरूण प्रसाद द्वारा सुपरवाईजर, आंगनवाड़ी वर्कर एवं छात्राओं को शारीरिक अशक्तता, स्वास्थ्य एवं सही पोषण के बारे में जागरूक किया गया। डॉ. अरूण प्रसाद ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि सही पौषण युक्त आहार खाने से ही हमारे शरीर में सभी प्रकार के विटामिनों की पूर्ति होती हैं। प्रति दिन के आहार के प्रोटीन का प्राय आधा भाग ईंधन के रूप में खर्च होता है। आपत्काल में, जब शरीर के कार्बोहाइड्रेट और वसा समाप्त हो जाते हें तब पेशियों का प्रोटीन घुलकर ऊष्मा प्रदान करता रहता है। उन्होंने कहा कि शरीर में कुछ क्रियाएँ ऐसी हैं जो शिथिल और सुषुप्त अवस्था में भी होती रहती हैं। इनमें से कुछ कार्य अनैच्छिक रूप से होते रहते हैं, जैसे हृदय की गति आंतों में रस का पैदा होना, पाचन और उसमें गति रहना इत्यादि। शारीरिक कार्य जितना बढ़ता है, उपाच भी उसी अनुपात में आता है और उसी अनुपात में ऊष्मा की कैलोरी की भी वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि आहार का कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन का प्राय: आधा भाग शरीर को ऊष्मा प्रदान करता है, किंतु इनमें से कोई एक दूसरे का मान नहीं ग्रहण कर सकता है। कार्बोहाइड्रेट पचने के बाद शरीर में दो रूप, ग्लूकोज और ग्लाइकोजेन, में पाया जाता है। डॉ अरूण ने कहा कि सरंचनात्मक तत्वशारीरिक वृद्धि और शारीरिक बनावट के तत्व मनुष्य के आकार और डीलडौल के निर्माणकर्ता तथा पोषण के मुख्य अंग हैं। यदि सरंचनात्मक तत्व स्वस्थ गर्भवती माता को पर्याप्त मात्रा में मिलता रहे, तो गर्भ में शिशु का निर्माण सुदृढ़ होता है और शरीर की बनावट की नींव मजबूत होती है। जीवन के वृद्धिकाल में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा आहार में मिलना जरूरी है। साधारणतया एक मनुष्य को प्रति दिन 100 ग्राम प्रोटीन आहार में मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल गेहूँ या मक्का का प्रोटीन उपयुक्त नहीं है, पर दोनों को मिलाने से जो प्रोटीन बनता है वह कुछ हद तक अच्छा है। शाकाहारियों को प्रोटीन वनस्पति के प्रोटीन से प्राप्त होता है। यदि उसमें दूध या दूध के बने पदार्थ मिला दिए जाएँ तो उनमें कोई कमी नहीं रह जाती। डॉ. प्रसाद ने कहा कि अंडा और दूध ही ऐसी चीज़ें हैं जिनमें प्रत्येक अवयव के विकास और बनाने की शक्ति है। ये दोनों ही शिशुओं के विकास और वृद्धि के लिये बने हैं। सब्जिय़ों के प्रोटीनों में कुछ आवश्यक ऐमिनो अम्लों की कमी है, पर तरह तरह की सब्जियों को खाने से यह कमी पूरी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि आहार में विटामिन का रहना पोषण के लिये आवश्यक है। भिन्न-भिन्न देशों और समाजों में आहार भिन्न-भिन्न प्रकार का होता है। आहार स्वादिष्ठ, देखने में आकर्षक और अच्छी तरह पकाया हुआ होना चाहिए, ताकि उससे मन ऊब न जाय और रुचि बनी रहे। सेमिनार को संबोधित करत हुए डॉ. छाया प्रसाद ने बताया कि शारीरिक अशक्ता का सही समय पर पता लगने से उसका उपचार संभव हो जाता है। इसलिए नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य की समय समय पर जांच करवाना जरूरी है। क्योंकि किसी भी शारीरिक अशक्ता जैसे आंखों से कम दिखना या ना दिखना, सुनाई ना देना, मानसिक रूप से कमजोर होना इत्यादि का सही समय पर पता लगने से उसका उपचार किया जा सकता है। सुपरवाईजर एवं आंगनवाड़ी वर्कर को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनके कार्यक्षेत्र में बच्चों की शारीरिक जांच समय-समय पर होती रहे। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी देशों में शारीरिक रूप से अशक्त लोगों की समस्याएँ अलग-अलग होने के बावजूद उनकी मूल समस्याएँ एक जैसी ही हैं। हमारे देश में शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए कानून भी बनाए हैं। निश्चय ही अशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार, संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) कानून के लागू होने और केन्द्र व राज्य सरकारों की ओर से शारीरिक अशक्तता को रोकने हेतु देशभर में किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप अशक्तता के मुद्दे और अशक्तों की समस्याओं के प्रति आम लोगों का ध्यान अकृष्ट हुआ है और शारीरिक रूप से अशक्त लोग भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुए हैं। डॉ. छाया ने कहा कि शरीर में शक्ति उत्पन्न करने के लिये ईंधन तत्व की आवश्यकता होती है। कार्बोहाइड्रेट, वसा ओर प्रोटीन के कुछ भाग ईंधन तत्व हैं। ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ ये सभी ईंधन ऊष्मा भी पैदा करते हैं। ऊष्मा और ऊर्जा पोषण के चिह्न हैं। जीवधारियों का शरीररूपी यंत्र के अवयव सामान्य यंत्रों की भाँति घिसते हैं, पर साथ-साथ इनकी मरम्मत भी होती रहती है, यदि मरम्मत करने की सामग्री खाद्य में विद्यमान हो। जिन तत्वों से शरीर के अवयव 18 से 20 वर्ष की आयु तक बनते हैं, उन्हीं तत्वों के शरीर के ह्रास की पूर्ति होती है और साथ-साथ शरीर की वृद्धि भी होती है। यह काम विशेषत: प्रोटीनों के द्वारा होता है। इस दौरान नगराधीश अमित मान, जिला शिक्षा अधिकारी जयप्रकाश सभ्रवाल, प्रकाश फौगाट, मुख्यमंत्री के सुशासन सहयोगी रूप कुंवर, दादरी खंड की महिला एवं बाल विकास अधिकारी गीता सहारन, बाढड़़ा की महिला एवं बाल विकास अधिकारी पुष्पा गुप्ता सहित अलग- अलग गांवों से आई सपरवाईजर व आंगनवाड़ी वर्कर उपस्थ्ति रही। Post navigation आह्वान : किसान आंदोलन समर्थक विधायक बजट सत्र में गठबंधन सरकार का बिस्तर करें गोल अविश्वास प्रस्ताव में सरकार के खिलाफ वोटिंग में पहला वोट मेरा : सोमबीर सांगवान