जन सेवा एवं सांस्कृतिक चेतना मंच ने मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपकर आरक्षण कानून रद्द करने की उठाई मांग

गुरुग्राम। जन सेवा एवं सांस्कृतिक चेतना मंच ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपकर प्रदेश के निजी संस्थानों में स्थानीय नागरिकों के लिए लागू किए जा रहे 75 फ़ीसदी आरक्षण कानून को वापस लेने की मांग की है।

मंच के अध्यक्ष रणधीर राय, महासचिव शंभू प्रसाद, कोषाध्यक्ष राजेश, सचिव दिलीप गुप्ता, सह सचिव सच्चिदानंद, रविकांत श्रीवास्तव, शेखर कुमार, ओम प्रकाश आदि पदाधिकारियों ने जिला उपायुक्त गुरुग्राम के प्रतिनिधि, तहसीलदार को यह मांग पत्र डीसी कार्यालय में सौंपते हुए निवेदन किया  कि इससे मुख्यमंत्री को अवगत करा कर तत्काल आरक्षण कानून निरस्त किया जाए।

 अध्यक्ष रणधीर राय ने बताया कि हमने मांग पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री मनोहर लाल को अवगत कराया है कि हरियाणा में स्थानीय युवाओं को निजी संस्थानों में 75 फ़ीसदी आरक्षण का कानून बनाए जाने से प्रदेश में रह रहे प्रवासी नागरिकों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा होगा।

हरियाणा के विकास में प्रवासी नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पूर्वांचल सहित अन्य प्रवासी नागरिकों के सहयोग से ही हरियाणा की मल्टीनेशनल और छोटी-बड़ी कंपनियां संचालित हो रही हैं और इसका लाभ प्रदेश को प्राप्त हो रहा है। इसके बावजूद उनके हितों की अनदेखी करते हुए आरक्षण कानून बनाया जा रहा है। ऐसा कानून बनाना राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए भी घातक है।

कानून लागू होने को लेकर पूर्वांचल समाज की नागरिकों में रोष व्याप्त है। इन स्थितियों में जन सेवा एवं सांस्कृतिक चेतना मंच मांग करता है कि सरकार तुरंत ही आरक्षण बिल को वापस ले। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो प्रवासी नागरिक इसके लिए आंदोलन चलाने को विवश होंगे।

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