जिला प्रशासन द्वारा आरंभ होगा ‘कुपोषण मुक्त गुरूग्राम’ अभियान.
आंगनवाड़ी वर्करों तथा सुपरवाईजरों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित.
एक साथ फोर्टिस अस्पताल, सेव द चिल्ड्रन संस्था, जिला प्रशासन

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम।
 बच्चों के पोषण की स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से जिला प्रशासन द्वारा ‘कुपोषण मुक्त गुरूग्राम’ अभियान शुरू किया जा रहा है। इस अभियान के तहत सिविल लाईन्स स्थित स्वतंत्रता सेनानी जिला परिषद हाॅल परिसर में आंगनवाड़ी वर्करों तथा सुपरवाईजरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह अभियान फोर्टिस अस्पताल, सेव द चिल्ड्रन नामक स्वयंसेवी संस्था तथा जिला प्रशासन द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाएगा।

गर्भवती को संतुलित पोषाहार की जानकारी हो
प्रशिक्षण कार्यक्रम में एडीसी प्रशांत पंवार ने कहा कि बच्चांे को शुरू से ही पोषाहार देना अत्यंत आवश्यक है। यदि बच्चो को शुरू से ही संतुलित आहार दिया जाए तो वे ना केवल स्वस्थ रहेंगे बल्कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी होगी। उन्होंने कहा कि इस कार्य में आंगनवाड़ी वर्करों तथा सुपरवाईजरों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है , क्योंकि वे धरातल स्तर पर गर्भवती महिलाओं तथा शिशुओं की माताओं से जुड़ी होती हैं। यदि वे महिलाओं को बताएं कि उन्हंे अपने बच्चों के खान-पान का किस प्रकार से ध्यान रखना है और उन्हें सीमित संसाधनों में बच्चों को बेहत्तर पोषाहार कैसे देना है तो निश्चित तौर पर ही बच्चे स्वस्थ रहेंगे। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को भी संतुलित पोषाहार की जानकारी होना जरूरी है ताकि गर्भ में पल रहा बच्चा व उसकी माता स्वस्थ रहें। उन्होंने इस मौके पर फोर्टिस अस्पताल की टीम तथा सेव द चिल्ड्रन नामक स्वयंसेवी संस्था का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह एक बेहतर शुरूआत है और समाज की अन्य संस्थाओं को भी आगे आकर इस प्रकार के जनहित के कार्यक्रमों से जुड़ना चाहिए ताकि समाज को सशक्त व स्वस्थ बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 7 दिनों तक चलेगा जिसमें उनसे इस अभियान के तहत आयोजित की जाने वाली गतिविधियों के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। यह अभियान ‘सही पोषण- देश रोशन‘ की अवधारणा पर चलाया जाएगा।

शिशु का एक हजार दिनों तक पोषाहार महत्वपूर्ण
इस मौके पर महिला एवं बाल विकास विभाग गुरूग्राम की कार्यक्रम अधिकारी सुनैना ने बताया कि कम उम्र के बच्चों में यदि शुरू से ही सही पोषण देते हुए उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए तो उनका शारीरिक व मानसिक विकास अच्छा होता है। उन्होंने बच्चे के जन्म से लेकर एक हजार दिनों तक की अवधि को पोषाहार की दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इस अभियान को फोर्टिस अस्पताल के चिकित्सको के साथ तालमेल स्थापित करते हुए चलाया जा रहा है। शुरूआती चरण में यह अभियान पायलेट तौर पर गुरूग्राम में चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 7 दिनों तक चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आंगनवाड़ी वर्करो व सुपरवाईजरो की कपेसिटी बिल्डिंग पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। कपेसिटी बिल्डिंग के लिए सेव द चिल्ड्रन नामक संस्था द्वारा रूपरेखा तैयार की गई है। इस संस्था के प्रतिनिधियांे द्वारा पोषाहार के आधारभूत तथ्यों का प्रशिक्षण जैसे गर्भवती महिला को पोषाहार तथा अपना ध्यान रखने संबंधी जानकारी, 5 साल से कम उम्र के बच्चों की हाईट व वजन आदि की मोनिटरिंग आदि दिया जाएगा। इसके बाद कुपोषित बच्चों का डेटा तैयार करके उनकी माताओं का पोषाहार संबंधी मार्गदर्शन किया जाएगा। कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि फोर्टिस अस्पताल की टीम द्वारा आंगनवाड़ी वर्करों व सुपरवाईजरों की रक्तजांच भी की जाएगी ताकि सबसे पहले उन्हें स्वयं अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए प्रेरित किया जा सके।

कुपोषण समाप्त किया जा सकता है
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में फोर्टिस अस्पताल से डा. विकास दूआ ने कहा कि कुपोषण की समस्या को जड़ से समाप्त किया जा सकता है यदि सभी जागरूक बने और एकजुटता से प्रयास करें। इसी प्रकार डा. राहुल भार्गव ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से समाज के कमजोर व कुपोषित बच्चों तक पहुंचकर उनका सही पोषण के लिए मार्ग दर्शन किया जा सकता है। सेव द चिल्ड्रन नामक स्वयंसेवी संस्था के डायरेक्टर मधूरा कापड़ी ने जिला प्रशासन का इस पहल में सहयोग देने के लिए उनका धन्यवाद किया और कहा कि आने वाली पीढ़ी को कुपोषण से बचाने के लिए इस प्रकार के अभियान चलाए जाने अत्यंत आवश्यक है ताकि बच्चे स्वस्थ हों और देश निर्माण में अपना सहयोग दे सकें। इस मौके पर मुख्यमंत्री की सुशासन सहयोगी कनिका सहित संस्था से डा. अंतर्यामी डैश तथा डा. तन्वी भी उपस्थित रहे।