कृषि कानूनों पर करेंगे चर्चा, प्रधानमंत्री को लिखेंगे पत्र

रमेश गोयत

पंचकूला। केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जहां हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश समेत देश के कई राज्यों के किसान आंदोलनरत हैं वहीं पूर्व आईएएस, आईपीएस तथा कृषि वैज्ञानिकों समेत अनेक बुद्घिजीवी आगामी 20 मार्च को पंचकूला स्थित चौधरी छोटुराम जाट भवन में विचार गोष्ठी आयोजित करके अपनी भागीदारी बढ़ाएंगे।

इस बारे में जानकारी देते हुए जाट सभा पंचकूला-चंडीगढ़ के अध्यक्ष एवं हरियाणा पुलिस के पूर्व डीजीपी डॉ. महेंद्र सिंह मलिक ने बताया कि सोमवार को जाट सभा पंचकूला-चंडीगढ़ की कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें गैर-राजनैतिक संगठन कीर्ति किसान फोरम व जाट सभा पंचकूला-चंडीगढ़ के संयुक्त बैनर तले 20 मार्च को पंचकूला में होने वाली किसान कल्याण विचार गोष्ठी के आयोजन बारे विचार-विमर्श किया गया।

डॉ. मलिक, जो इस गोष्ठी के आयोजन सचिव भी हैं, ने जानकारी दी कि गोष्ठी को पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना से सेवानिवृत्त एग्रो-इकॉनोमिक्स एक्सपर्ट प्रोफेसर रणजीत सिंह घुम्मन, भारत सरकार के पूर्व सैके्रटरी एस.एस बोपाराय (सेवानिवृत्त आईएएस), हरियाणा पुलिस के पूर्व डीजीपी के.पी सिंह (सेवानिवृत्त आईपीएस),पंजाब सरकार के पूर्व चीफ सैक्रेटरी आर.आई सिंह (सेवानिवृत्त आईएएस),प्रसिद्घ लेखक एवं एग्रो-इकॉनोमिक्स एक्सपर्ट देवेंद्र शर्मा, हरियाणा पब्लिक हैल्थ इंजीनियरिंग विभाग के सेवानिवृत्त इंजीनियर-इन-चीफ आर.एन मलिक, हरियाणा पुलिस के पूर्व डीजीपी डॉ. महेंद्र सिंह मलिक समेत अनेक बुद्घिजीवी केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीनों कृषि कानूनों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

उन्होंने बताया कि जाट सभा पंचकूला-चंडीगढ़ की कार्यकारिणी की बैठक आरंभ होते ही सर्वप्रथम वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन में शहीद हुए सैंकड़ों किसानों की आत्मिक शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर उनको श्रद्घांजलि दी गई। इसके बाद सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करते हुए शहीद किसानों के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी तथा 50 लाख रूपए देने की मांग करते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा गया। पत्र में यह भी मांग की गई कि केंद्र सरकार आंदोलनरत किसानों की बात को तुरंत स्वीकार कर इस मामले का समाधान निकाले।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए जाट सभा पंचकूला-चंडीगढ़ के अध्यक्ष एवं हरियाणा पुलिस के पूर्व डीजीपी डॉ. महेंद्र सिंह मलिक ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों का लाखों किसानों द्वारा किया जा रहा विरोध दर्शाता है कि ये कानून किसान विरोधी है। उन्होंने बताया कि किसान-मसीहा कहे जाने वाले चौधरी छोटुराम ने आजादी से पूर्व अंग्रेजों पर दबाव बनाकर किसानों के हित में 38 कानून बनवाए थे, जिसका किसानों ने जमकर समर्थन किया, बल्कि उन कानूनों के कारण किसानों के तत्कालीन समय में असाधारण रूप से हालात सुधरे थे।

बैठक में गांव मोखरा में तीन दिन पूर्व असामाजिक तत्वों द्वारा चौधरी छोटुराम की मूर्ति खंडित किए जाने की कड़ी निंदा करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई, इस बारे में रोहतक के पुलिस अधीक्षक को भी एक पत्र लिखने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि महापुरूष समाज के पथ-प्रदर्शक होते हैं, किसी भी महापुरूष की मूर्ति खंडित नहीं की जानी चाहिए।

इस अवसर पर कार्यकारिणी के सदस्यों में जाट सभा के महासचिव आर.के मलिक, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेम सिंह मलिक, उपाध्यक्ष जयपाल पुनिया, सेवानिवृत्त इंजीनियर-इन-चीफ आर.आर श्योराण, सचिव बी.एस गिल, कोषाध्यक्ष राजेंद्र खर्ब,सावित्री देशवाल, महावीर फोगाट, विमल जून, नरेश दहिया, मनबीर सांगवान समेत कई सदस्य उपस्थित थे।

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