-कमलेश भारतीय

मार्च के हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में हैं । दूसरी ओर सरकार ने भी तैयारी कर ली है । इसका प्रमाण है निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू के आवासों पर आयकर विभाग के छापे । कहानी इतनी सी ही है । कोई पेंच नहीं । कोई छल फरेब नहीं । बलराज कुंडू भाजपा में ही थे और विधानसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय चुनाव में उतरे और सफल रहे । चुने जाते ही भाजपा को समर्थन देने की घोषणा भी कर दी । तब उनके आवासों पर आयकर की टीमें नहीं पहुंचीं । फिर मंत्रिमंडल बना । कुंडू को उम्मीद थी कि मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी । नहीं मिली तो नाराजगी जाहिर करते भाजपा से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी । रोहतक के पूर्व विधायक मनीष ग्रोवर पर आरोप लगाये गन्ना मिल और नगर निगम के घोटालों के । कोई कार्यवाही नहीं हुई । पर तब भी आयकर विभाग छापे मारने नहीं आया । अब अविश्वास प्रस्ताव से पहले आयकर के छापे क्या इशारे कर रहे हैं?

कांग्रेस ने ये तोते उपयोग करने शुरू किये थे -सीबीआई , ईडी और न जाने कौन कौन से ।

सीबीआई के बारे में तो मशहूर हो चुका कि यह सरकार का एक तोता है । अब ईडी भी बन रहा है । पश्चिम बंगाल में शुभेंदु तो बच गये लेकिन अभिषेक पर ताबड़तोड़ छापे मारे जा रहे हैं । पश्चिमी बंगाल में अभिषेक की पत्नी से तो हरियाणा के हांसी में कुंडू की फांस मैना देवी से पूछताछ की जा रही है । सच हो सकता है क्योंकि बलराज कुंडू की सबसे अमीर विधायक बताया जा रहा है । पर टाइमिंग देखिए न । अविश्वास प्रस्ताव से पहले ही क्यों ? पश्चिमी बंगाल में भी अभिषेक पर कार्यवाही ऐन चुनाव के समय ही क्यों ? ये सवाल आम आदमी के दिल में उठने लगे हैं । मैं भी एक आम आदमी ही हूं । कोई खास नहीं पर हैरान होता हूं ऐसे छापों पर और टाइमिंग देखकर । क्या गजब की टाइमिंग जैसे अक्षर पटेल और अश्विन की टेस्ट मैच में टाइमिंग रही और विकेटों का पतझर शुरू हो गया । मैच भारत की झोली में । पर यह टाइमिंग थोड़ा गलत हो गयी । मैच का क्या अंजाम होगा रे ?

कांग्रेस ने यदि इन एजेंसियों का उपयोग विरोधियों को काबू करने या सबक सिखाने के लिए किया तो भाजपा को समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस का हश्र क्या हुआ ? पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बारे मे कहा जाता है कि वे विरोध करने वाले नेताओं की कोई न कोई गुप्त फाइल तैयार रखती थीं और जरूरत पड़ने पर नेता जी को बुला कर फाइल दिखा देती थीं । यह तरीका भी शायद प्रचलन मे हो । हमारे हिसार के मां बेटा चुनाव मैदान से ही हट गये । इसके पीछे क्या कारण रहा ? है कोई जानकारी ? नहीं है पर अनुमान है ।

सरकार चलाने और गिराने के लिए हर हत्थकंडे अपनाने को राजनीति में कोई बुरा नहीं मानता । सब जायज । राजनीति और युद्ध में सब कुछ जायज और सर्वोत्तम उदाहरण महाभारत महाकाव्य । सोये हुए निहत्थे पांडवों पर अश्वत्थामा का प्रहार । कर्ण से कवच कुंडल ले लेना । एक इंच भूमि भी न देने का संकल्प । जैसे हर राज्य में हमारी ही सरकार का सपना । कोई बुरा तो नहीं । महाभारत एक अनुपम उदाहरण । अपने हों या पराये । युद्ध कर अर्जुन । युद्ध जारी है । महाभारत के नये संस्करण आते जा रहे हैं । कुंडू का कसूर यह भी तो है कि वे समर्थन न करें तो न सही । चलेगा । लेकिन किसान आंदोलन को समर्थन क्यों दे रहे हैं?

तू अगर मेरे नहीं तो
पराये भी नहीं
तू किसी और को चाहोगे
तो मुश्किल होगी
तू किसी और को चाहोगे
तो मुश्किल होगी ,,,

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