देश-प्रदेश का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ियों के पद, पैसे और प्रतिष्ठा में कटौती करना इस सरकार की रीति और नीति -दीपेंद्र हुड्डा

• भाजपा-जजपा सरकार की नयी खेल नीति 2021 वास्तव में खिलाड़ियों के साथ नयी भेदभाव नीति है
• पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार की तर्ज पर पैरा खिलाड़ियों को भी बराबर का दर्जा दिया जाए
• कांग्रेस राज में 2012 के ओलंपिक में 6 मेडल जीतने वाले भारत को भाजपा राज में 2016 के ओलंपिक में सिर्फ 2 मेडल मिले, ये संख्या घटकर 2 कैसे रह गई?
• हरियाणा ऐसा प्रदेश है जहां गांव-गांव में खेल प्रतिभाएं मौजूद

रोहतक, 21 फरवरी। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा आज रोहतक के कई सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत करने पहुंचे। उन्होंने बाबा मस्तनाथ खेल स्टेडियम, बोहर में श्री बाबा मस्तनाथ स्पोर्ट्स क्लब द्वारा आयोजित हॉकी खेल प्रतियोगिता में शामिल खिलाड़ियों का परिचय लिया और उन्हें प्रोत्साहित किया। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा ऐसा प्रदेश है जहां गांव-गांव में खेल प्रतिभाएं मौजूद हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि मौजूदा भाजपा-जजपा सरकार लगातार खेल और खिलाड़ियों के साथ भेदभाव कर रही है। उन्होंने नयी खेल नीति की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा-जजपा सरकार की नयी खेल नीति 2021 वास्तव में खिलाड़ियों के साथ नयी भेदभाव नीति है। लगता हैं देश और प्रदेश का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ियों के पद, पैसे और प्रतिष्ठा में कटौती करना इस सरकार की रीति और नीति है। नयी खेल नीति से खिलाड़ियों का मनोबल टूटा है। सरकार इस पर पुनर्विचार करे। दीपेंद्र हुड्डा ने मांग करी कि पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार की तर्ज पर पैरा खिलाड़ियों को भी बराबर का दर्जा दिया जाए।

दीपेंद्र हुड्डा ने आगे कहा कि एशियाई खेल हों, कॉमनवेल्थ खेल हों, ओलंपिक खेल हों या कोई भी खेल हो, करीब 75 प्रतिशत मेडल हरियाणा प्रदेश के खिलाड़ी जीतकर हिंदुस्तान का नाम रौशन करने का काम करते हैं। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि 2008 के ओलंपिक में भारत ने 3 पदक जीते, इन्हें जीतने वाले 2 खिलाड़ी हरियाणा से संबंधित थे। इसी प्रकार 2012 में ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने 6 पदक जीते, इनमें से 4 पदक जीतने वाले खिलाड़ी हरियाणा से संबंधित थे। दुःख इस बात का है कि बीजेपी सरकार आने के बाद 2016 के ओलंपिक खेलों में पदकों की संख्या 6 से कम होकर मात्र 2 रह गयी। उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस राज में 2012 के ओलंपिक में 6 मेडल जीतने वाले भारत को भाजपा राज में 2016 के ओलंपिक में सिर्फ 2 मेडल क्यों मिले, ये संख्या घटकर 2 कैसे रह गई?

उन्होंने पदक जीतने वाले खिलाड़ियों से भेदभाव को अनुचित बताते हुए कहा कि हमारी सरकार के समय पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को पद पैसा और प्रतिष्ठा भी दी गयी। जब भी हमारा खिलाड़ी कोई बड़ा अंतर्राष्ट्रीय स्तर का टूर्नामेंट जीतकर आता था तो कांग्रेस सरकार पद के साथ ही भरपूर पैसा और लाखों की हाजिरी में उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ाने का काम करती थी। हमारी सरकार ने 2008 के ओलंपिक खेलों में पदक विजेता खिलाड़ियों का नागरिक अभिनंदन किया था। 2010 में कॉमनवेल्थ खेलों में पदक विजेता खिलाड़ियों का राई में नागरिक अभिनंदन किया था। 2012 में पदक विजेता खिलाड़ियों का गोहाना में सार्वजनिक अभिनंदन किया गया था। कांग्रेस की हुड्डा सरकार ने खिलाड़ियों के हित की खेल नीति बनाकर हरियाणा को खिलाड़ियों की खान बना दिया था।इस अनूठी खेल नीति के तहत उन्होंने गांव-गांव में खेल स्टेडियम तैयार कराये। खिलाड़ियों को सुविधाएं मुहैया करायी, उन्हें प्रोत्साहित किया। इसका परिणाम ये रहा कि हरियाणा के खिलाड़ियों ने कांग्रेस सरकार के दौरान पदकों से देश की झोली को भर दिया था।

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार ने खिलाड़ियों के सार्वजनिक अभिनंदन की प्रथा को तो खत्म कर ही दिया। इसके अलावा खिलाड़ियों के हित में बनी पदक लाओ, पद पाओ जैसी योजनाओं को भी बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि लेकिन, मौजूदा सरकार की संकीर्ण दृष्टिकोण से बनायी गयी खेल नीति के चलते आज हरियाणा का खिलाड़ी अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहा है। उन्होंने बताया हुड्डा सरकार के समय पदक लाओ पद पाओ की नीति के तहत लगभग 79 डीएसपी और करीब 500 इंस्पेक्टर, सब-इंस्पैक्टर सीधे भर्ती किये गये थे। उन्होंने मांग करी कि जिस तरह हुड्डा सरकार के समय पदक जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दी जाती थी उसी तरह मौजूदा सरकार पदक जीतकर लाने वाले सभी खिलाड़ियों को बिना भेदभाव के नौकरी दे।

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