स्टोन क्रेशर एनओसी मामला गरमाया

– खातोली जाट व अहीर में लगी स्टोन क्रेशरो के खिलाफ एक बार फिर ग्रामीणों ने आवाज उठाई 
– लटक सकती है कई बड़े अधिकारियों पर जांच की तलवार
– माननीय न्यायालय के आदेशों की उड़ाई की सरेआम धज्जियां इंजीनियर तेजपाल यादव का आरोप

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल । इंसान एक बार तो कोरोना से भी लड़ लेगा। वक्सीन लगावालेगे लेकिन पिछले कई सालों से एक तस्वीर ऐसी है जो बदलने का नाम नहीं ले रहे है। तमाम प्रयासों के बाद भी हालात जस के तस है। एक युवा ने बीड़ा उठाया मामला एनजीटी तक पहुँचा कार्यवाही हुई। तीन क्रेशरों की एनओसी रद्द करने के आदेश दे दिये गए लेकिन ऐसा क्या हुआ की रातों रात एक क्रेशरों को दुबारा से  एनओसी विभाग कटघरे में आ गया है वही ग्रामीण पंचायत कर आगमी रणनीति बनाने में लगे है ।

नांगल चौधरी के गांव खातोली जाट व अहीर में लगी स्टोन क्रेशरो के खिलाफ एक बार फिर ग्रामीणों ने आवाज उठाई है।  एनजीटी में याचिकाकर्ता तेजपाल यादव के नेतृत्व में नांगल चौधरी क्षेत्र के अंदर लगे स्टोन क्रेशरो को लेकर आज क्षेत्र के गांव खातोली जाट में  पंचायत की गई ।  मामला एनजीटी में दोबारा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का दरवाजा खटखटाया है। तेजपाल यादव ने आरोप लगाया है की नियमो को ताक पर कोरोना महामारी के दौरान आदेशों की अवहेलना करते हुये एक स्टोन क्रेसर को एनओसी देने के बाद मामला गरमा गया है, तो वही अधिकारियो पर भी जांच की तलवार लटक गई है ।

  आपको बता दे  की क्रेशरो से उड़ने वाली धूल मिट्टी से परेशान ग्रामीणों समस्या को लेकर  पहले ही सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा चुके है और 72 क्रेशर को बंद करवाने के लिए लड़ाई लड़ चुके है आज से करीब ढाई साल पहले याचिकर्ता के द्वारा एनजीटी में मामले को लेकर अपील की गई थी जिस पर एनजीटी ने करीब 72 स्टोन क्रेसर की जांच के आदेश दे कई स्टोन क्रेसर की एनओसी रद्द करने के आदेश दिए थे। बावजूद इसके एक स्टोन क्रेसर को आदेशों के बाद दुबारा से एनओसी देने का मामला सामने आया तेजपाल यादव का आरोप है की ये सब मिली भगत से किया गया है। साथ ही मानवीय न्यायालय के नियमो की अवहेलना की गई है। उन्होंने जिला प्रसाशन से निष्पक्ष जांच व  दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है ।

 ऐसे में एक तरफ याचिकाकर्त्ता न्याय की गुहार लगा निष्पक्ष जांच की मांग कर इस मामले में शामिल अधिकारियो के खिलाफ कार्यवाही की मांग कर रहा है। वही एक बड़ा सवाल खड़ा हो जाता की आखिर कैसे नियमो को ताक पर एनजीटी के आदेश के बाद भी एनओसी जारी कर दी गई । ये तो जांच में ही साफ़ हो पायेगा लेकिन ग्रामीणों का आक्रोश आज सातवे आसमान पर था।

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