भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने खातोली जाट के एक स्टोन क्रशर की दोबारा जांच के आदेश दिए। इसके साथ ही संबंधित अधिकारियों को एक माह के अंदर-अंदर तथ्यपरक, तर्कसंगत व पूर्ण कार्रवाई रिपोर्ट एनजीटी को ईमेल के द्वारा भेजने के भी सख्त निर्देश दिए हैं। आगामी सुनवाई के लिए एनजीटी ने अगली तिथि 19 अप्रैल निर्धारित की है।

इंजीनियर तेजपाल का कहना है कि उन्होंने कानूनी स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए एनजीटी में याचिका दायर की थी। सबसे पहले 25 सितंबर 2018 को गांव कारोता के दो स्टोन क्रशर व गांव खातोली जाट के एक स्टोन क्रशर की जांच के आदेश दिए थे।

12 दिसंबर 2018 को तीनों स्टोन क्रशर की एनओसी रद कर दी गई थी। इसके बाद लगभग सात महीने बाद 24 जुलाई 2019 को एनजीटी ने महेंद्रगढ़ जिले के 72 स्टोन क्रशर को बंद करने के आदेश दिए थे। इसके बाद क्रशर मालिक सुप्रीम कोर्ट में चले गए, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने पर्यावरण के महत्व को समझते हुए दो नवंबर 2020 में एनजीटी को इस मामले को वापस हस्तांतरित करने के आदेश दिए।

एनजीटी ने तीन दिसंबर 2020 में अपने पुराने 24 जुलाई 2019 के 72 स्टोन क्रशर को बंद करने के आदेश को लागू करने के साथ-साथ क्रशर प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य जांच के आदेश, भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश भी दिए। इसके अलावा जिले के बचे हुए स्टोन क्रशरों की भी वहन क्षमता सहित पर्यावरणीय पहलुओं पर जांच के आदेश दिए थे। तेजपाल का आरोप है कि खातोली जाट में क्रशर संचालकों ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके दोबारा एनओसी लेने का काम कर लिया, जिसके खिलाफ दोबारा एनजीटी में याचिका लगाई है। इस पर एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण विभाग, जिला उपायुक्त महेंद्रगढ़ की कमेटी बनाई और इन्हें एक तथ्यात्मक व कार्रवाई रिपोर्ट एक महीने के अंदर सौंपने के आदेश दिए हैं।

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