किसान संगठनों ने बामला, सुई, लोहारू व सिवानी के पास रोके ट्रैक

किसान बोले: कृषि क़ानून रद्द होने तक चलेगा आंदोलन
जिला में पुलिस के कऱीब 300 अधिकारी व जवान रहे तैनात

भिवानी/धामु।

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर कृषि क़ानून रद्द करवाने व एमएसपी का क़ानून बनवाने को लेकर किसानों द्वारा रेलवे ट्रेक जाम करने का भिवानी में पूरा असर देखने को मिला। यहां चार जगह रेलवे ट्रेक रोक कर किसान धरने पर बैठे और अपनी माँग को लेकर सरकार के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की। इस दौरान पुलिस के करीब 300 जवान क़ानून व्यवस्थाओं बनाए रखने के लिए तैनात रहे।

तीन महीनों से तीनों कृषि क़ानून रद्द करवाने के लिए किसान संगठन देश की राजधानी को अलग अलग बॉर्डर पर घेरे हुये हैं। साथ ही हर हाईवे पर टॉल को फ्री करा धरने दिये हुये हैं। साथ ही सरकार पर दबाव के लिए कभी कैंडल मार्च तो कभी किसान महापंचायत की जा रही हैं। कभी हाइवे जाम तो अब रेलवे ट्रेक जाम कर सरकार के खिलाफ़ रोष जताया गया। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर पूरे प्रदेश में जहां 78 संभावित जगहों पर रेलवे ट्रेक रोक कर धरने दिये गए।

बात करें भिवानी की तो यहाँ बामला, सुई, लोहारू व सिवानी के पास रेलवे ट्रेक जाम कर धरने दिये गए। दोपहर बारह बजे से सांय चार बजे तक किसानों के विरोध के चलते दो रेलगाडिय़ों का आवागम बाधित हुआ। भिवानी-हिसार रेलवे लाइन पर सुई रेलवे फाटक पर ट्रेक जाम करने के दौरान मौजूद भाकियू जिला प्रधान राकेश आर्य, मंगल सिंह खरेटा, मंगल सुई, जगमती सहित सैंकड़ों किसान मौजूद रहे और कहा कि वाले किसानों ने कहा कि वो तीनों कृषि क़ानून रद्द होने व एमएसपी का क़ानून बनने तक अपने आंदोलन जारी रखेंगे और अलग अलग, लेकिन शांतिपूर्वक तरीक़े से सरकार पर दबाव के लिए कार्यक्रम करते रहेंगे।

इन किसानों का कहना है कि जब किसे ने क़ानूनों की माँग नहीं कि तो ज़बरन थोपना अपने आप में जता रहा कि सरकार किसानों की ज़मीनें उद्योगपतियों को सौंपना चाहती है। किसानों का कहना है कि वो किसी प्रकार का संसोधन नहीं बल्कि क़ानून रद्द की मांग करते हैं। दूसरी ओर सैंकड़ों किसान, मजदूरों, महिलाओं व युवाओं ने बामला रेलवे स्टेशन पर चार घण्टे धरना देकर रेलें रोकी। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था। किसानों ने यह कार्यवाही बहुत ही अनुशासन व शांन्ति पूर्वक तरीके से चलाई।

मंच संचालन कामरेड ओमप्रकाश ने किया। धरने को सम्बोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार पूंजिपतियों के इशारे पर चल रही है, किसानों व मजदूरों के विरोध के काले कानून रद्द करने की बजाए, जाति और धर्म पर उन्हें आपस में लड़ाने व आन्दोलन को लम्बा चलवा कर इसे कमजोर करने की साजिश रच रही है, जिसे कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।

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