भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक किसान आंदोलन इस समय देश की सबसे बड़ी समस्या नजर आ रहा है। इसके चर्चे देश ही नहीं, अपितु विदेशों तक हो रहे हैं और यह प्रजातंत्र के लिए अच्छे संकेत नहीं माने जा रहे हैं। वर्तमान में दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी रणनीतियां बनाने में जुटे हैं। सरकार की ओर से बार-बार अपने मंत्रियों और संगठन को निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे किसानों के बीच जाकर किसानों को समझाएं, जबकि दूसरी ओर किसान रोज अपनी नई रणनीतियां बनाने में जुटे हैं। आज रेल रोको अभियान है। इसके माध्यम से किसान जनता को अपने साथ जोडऩे का प्रयास कर रहे हैं। वर्तमान में ऐसा लगता है कि किसानों के पीछे भी कोई रणनीति बनाने वाले अनुभवी लोग अवश्य हैं। जिस प्रकार से किसानों ने पहले तो गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली निकाली सरकार पर दबाव बनाने के लिए। उससे सरकार हिलती दिखाई नहीं दी तो नई रणनीति आरंभ की। कभी पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि तो कभी छोटूराम का जन्मदिन मनाने का कार्यक्रम, कभी कैंडल मार्च और आज रेल रोको अभियान। आज के अभियान के बाद मैं अपने अनुभव से कह सकता हूं कि किसानों की ओर से और कार्यक्रमों की रूपरेखा एक-दो दिन में जारी कर दी जाएगी, जिससे कि किसान एक ही प्रकार के आंदोलन करने से ऊब न जाएं और वे सक्रिय रहें। ऐसा ही कुछ भाजपा करती है। अपने कार्यकर्ताओं को सदा कोई न कोई अभियान दिए रखती है। इसके पीछे भी उनका लक्ष्य यही होता है कि कहीं हमारे कार्यकर्ता निष्क्रिय न हो जाएं। और यही सबकुछ अब किसान आंदोलन में दिखाई दे रहा है। यदि थोड़ा गंभीरता से सोचा जाए तो मन में विचार आता है कि कहीं कोई भाजपा के रणनीतिकार ही इन्हें कोई मदद तो नहीं कर रहे हैं, क्योंकि पिछले समय से भाजपा में भी अंदरूनी प्रजातंत्र नजर नहीं आ रहा। असंतुष्ट लोगों की संख्या कम नहीं है लेकिन वह मुखर होकर बोलते नहीं हैं। हरियाणा का विधानसभा सत्र 5 मार्च को आरंभ होना है। उसकी शुरूआत 5 मार्च को दोपहर 2 राज्यपाल के संबोधन से होगी। कहने को तो यह बजट सत्र है लेकिन अनुमान लगाया जा सकता है कि यह सत्र सरकार के लिए आसान रहने वाला नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अविश्वास प्रस्ताव की मांग कर रखी है। उधर, अभय चौटाला विधानसभा से त्याग पत्र दे चुके हैं। पंचकूला के विधायक निलंबित हो चुके हैं। अत: कहने को तो यह कहा जा सकता है कि सरकार के विरोध के दो एमएलए कम हो गए हैं। परंतु स्थिति आसान नहीं दिखाई दे रही है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा अविश्वास प्रस्ताव लाने का लक्ष्य सरकार गिराना तो कह नहीं रहे, वह तो कह रहे हैं कि लक्ष्य यह जानना है कि कौन-कौन विधायक किसानों के साथ हैं और कौन नहीं। तो यह अविश्वास प्रस्ताव सरकार के खिलाफ न होकर किसानों के साथ का हुआ। अब यह देखना होगा कि क्या जजपा और भाजपा के विधायक किसानों के विरोध में मत कर पाएंगे? Post navigation परीक्षाओं में नकल पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से ‘नकल रोको अभियान’ पूर्व मंत्री जसविंद्र संधू के बेटे की इनेलो में घर वापसी, अभय चौटाला ने किया स्वागत