चण्डीगढ,17 फरवरी:-हरियाणा रोङवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान दलबीर किरमारा,वरिष्ठ राज्य उप-प्रधान बलवान सिंह दोदवा, आजाद गिल,उप-महासचिव जगदीप लाठर,कैशियर सुभाष विश्नोई, आडिटर विमल शर्मा ग्योंग, चेयरमैन सुरेश लाठर व मीडिया प्रभारी सुधीर अहलावत ने संयुक्त ब्यान जारी करते हुए बताया कि आज केन्द्र व प्रदेश में भाजपा की सरकारें सत्ता पर काबिज हैं और दोनों ही सरकारें सरकारी विभागों का निजीकरण करके बेरोजगारी को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं।

उन्होंने बताया कि हरियाणा प्रदेश की सरकार जहां बिजली,पानी, स्वास्थ्य,जन स्वास्थ्य व परिवहन विभाग समेत तमाम मुख्य सरकारी विभागों का निजीकरण करके अपने चहेते पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है वहीं केन्द्र सरकार रेलवे, एलआईसी,एयरपोर्ट व अन्य सरकारी संस्थानों के निजीकरण की तर्ज पर तीन काले कृषि कानूनों को लागू करके किसानों की जमीन व फसलों को बङे-बङे उद्योगपतियों के हवाले करने का काम कर रही है। जहां सरकारी संस्थानों का निजीकरण होने से बेरोजगारी बढेगी तथा पढ़े लिखे बेरोजगार युवकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा वहीं कृषि कानून लागू होने से किसानों को अपनी ही जमीन पर मजदूर बनकर काम करने पर मजबूर होना पङेगा। केन्द्र व प्रदेश सरकार जहां ठेका प्रथा व आउटसोर्सिंग पालिसी लागू करके कम से कम वेतन पर भर्ती करने का काम कर रही है वहीं देश की जनता पर तरह-तरह के टैक्स लगाकर तथा हर रोज खाद्य पदार्थों व डीजल पैट्रोल के दाम बढाकर भूखा मरने पर मजबूर कर रही है।

किरमारा व दोदवा ने बताया कि आज परिवहन विभाग में दिन- प्रतिदिन सरकारी बसों की संख्या
लगातार घटती जा रही है। वर्ष 2015 से निवर्तमान परिवहन मन्त्री जी के विभाग में 867 नई बसें जल्द आने के ब्यान लगातार आते रहे लेकिन मन्त्री जी के ब्यान कोरे ब्यान बनकर रह गये तथा विभाग में एक भी सरकारी बस नहीं आई। वर्तमान परिवहन मन्त्री जी ने भी 67 बसें कम करके अब 800 बसें जल्द विभाग में शामिल करने का भरोसा दिलाया है। अब देखना यह है कि ये कितना सच शाबित होता है। विभाग में कर्मशाला कर्मियों की संख्या भी बहुत कम रह गई है जिसके कारण बसों की मरम्मत सही ढंग से नहीं हो पाती। लेकिन सरकार वर्कशॉप में भर्ती न करके विभाग को सिकोङने का काम कर रही है। कर्मचारियों को एक्सग्रेसिया स्कीम के तहत मिलने वाले 5साल के बोनस समेत सहमति बनी तमाम मांगें भी ज्यों की त्यों लम्बित पङी हुई हैं जिनका परिवहन अधिकारियों द्वारा कोई समाधान नहीं किया जा रहा। समस्याओं का समाधान न होने की वजह से कर्मचारियों के काफी आर्थिक लाभ रुके हुए हैं।

परिवहन अधिकारियों द्वारा समस्याओं का समाधान करने की बजाय केएमपीएल व रिसीट कम लाने के नाम पर चालक-परिचालकों मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है। जिसके कारण कर्मचारियों में भारी रोष है। उन्होंने बताया कि संगठन की राज्य कमेटी जल्दी ही परिवहन के आला अधिकारियों से मिलकर लम्बित पङी तमाम समस्याओं का समाधान करवाने का प्रयास करेगी। अगर इसके बावजूद भी सहमति बनी मांगो को लागू नहीं किया तो युनियन एक कार्यकर्ता सम्मेलन बुलाकर आन्दोलन की घोषणा करेगी। जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार व परिवहन विभाग के उच्च अधिकारियों की होगी।

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