बोहड़ाकला में भारत का पहला ड्रोन पायलट ट्रेनिंग सेंटर हुआ आरंभ. भविष्य की सभी तकनीक के मामले में ड्रोन सबसे महत्वपूण होगा. भविष्य में ड्रोन के महत्व को देखते हुए ड्रोन पायलट तैयार करेंगे फतह सिंह उजाला बोहड़ाकला । साइंस की स्पीड हमारी सोच से कहीं अधिक तेज है। कभी यह भी कहा जाता था , जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे रवि ! अब यह कहना उचित होगा जहां ना पहुंचे सन ;सूरजद्ध वहां पहुंचे ड्रोन । आने वाले समय और भविष्य की सभी तकनीक के मामले में ड्रोन सबसे महत्वपूर्ण साबित होगा। वह समय दूर नहीं जब बिना चालक अथवा पायलट के सड़क पर वाहन दौड़ेगे और आसमान में एयरोप्लेन भी उड़ते हुए दिखाई देंगे। यह सब संभव हो सकेगा तकनीक और ड्रोन के सामजस्य की बदौलत । यह बात नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संयुक्त सचिव अंबर दुबे ने भारत के पहले ड्रोन प्रशिक्षण केंद्र के शुभारंभ के मौके पर कही। आई जी आर यू और ड्रोन डेस्टिनेशन जी डीजीसीए द्वारा प्रमाणित और नागरिक उद्यान मंत्रालय सहित अन्य संबंधित विभागों की एनओसी के उपरांत बोहड़ाकला में ओ आर सी सेंटर के पास में ही भारत का पहला ड्रोन ट्रेनिंग सेंटर विधिवत रूप से आरंभ कर दिया गया है । इससे पहले यहां ट्रेनिंग सेंटर और ड्रोन प्रदर्शनी का उद्घाटन बोहड़ाकला के ही प्रबुद्ध नागरिक नंबरदार नेपाल सिंह चैहान और उनकी धर्मपत्नी निर्मला देवी के हाथों से संयुक्त सचिव अंबर दुबे, सिविल एविएशन के कैप्टन अनिल गिल, आलोक शर्मा, आईजी आर यू ओ के शुभेंदु के द्वारा संयुक्त रुप से रिबन काटकर कराया गया । इस मौके पर ड्रोन डेस्टिनेशन के सीईओ चिराग शर्मा ने कहा कि भारत के इस पहले ड्रोन प्रशिक्षण केंद्र को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य यही है कि भविष्य में ड्रोन के महत्व को देखते हुए ड्रोन पायलट तैयार किए जाएं । इस क्षेत्र में रोजगार के असीमित विकल्प मौजूद है । सबसे बड़ी खूबी और महत्वपूर्ण बात यह है कि दसवीं कक्षा पास करने के उपरांत भी युवक-युवती ड्रोन पायलट प्रशिक्षण सेंटर में ट्रेनिंग लेकर जरूरत के मुताबिक रोजगार प्राप्त कर सकते हैं । इसी मौके पर आई जी आर यू ए और डीजीसीए एवं आरपीए सहित इस ड्रोन ट्रेनिंग सेंटर के विभिन्न अधिकारी वक्ताओं के द्वारा बताया गया कि ड्रोन स्काईस्केप को महत्वपूर्ण तरीके से बदल रहे हैं । दुनिया पहले ही इसकी गवाह बन चुकी है । सैन्य कौशल में युद्ध का तौर तरीका भी तेजी से बदल रहा है । यहां तक की जमीन का सर्वे करना हो, देश की सीमा की सुरक्षा की बात हो, कोई प्रकृतिक आपदा का समय हो, समुंद्र में तेल पाइपलाइन डालनी हो, हिमालय जैसी ऊंचाई के क्षेत्र में अन्य कोई सर्वे किया जाना हो, या अन्य किसी भी प्रकार का कार्य हो, ऐसे तमाम कार्य तकनीक पर ही निर्भर हैं । इस तकनीक को ड्रोन के सहयोग से बेहतर से बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है । नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संयुक्त सचिव अंबर दुबे ने बताया डॉन ट्रेनिंग सेंटर की मंजूरी प्राप्त करना एक बेहद कठिन और जटिल सरकारी प्रक्रिया है । सरकारी एजेंसियों की सभी शर्तो को पूरा करने और मानव सहित राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए ही इसकी मंजूरी प्रदान की गई है । यह बेहद गर्व और गौरव का विषय है कि केंद्र सरकार और विभिन्न सरकारी एजेंसियों के द्वारा भारत के पहले ड्रोन ट्रेनिंग सेंटर को आरंभ करने की स्वीकृति प्रदान की गई । इसी मौके पर सिविल एविएशन के अन्य विशेषज्ञों के द्वारा बताया गया की इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता भविष्य में एयरोप्लेन रनवे पर ना दौड़ कर सीधे ड्रोन की तरह ही लैंड और टेकऑफ भी करेंगे । युद्ध काल के दौरान ड्रोन की बदौलत किसी भी दुश्मन के ठिकाने और दुश्मन देश को सबक सिखाने से भी इनकार नहीं किया जा सकता । वास्तव में भारत के आजाद होने के 70 वर्ष के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में देश के वैज्ञानिकों के द्वारा एक नए आंदोलन की तकनीक के सहयोग से नींव रखते हुए कारण कार्य आरंभ किया जा चुका है। बोहड़ाकला में देश के पहले इस ड्रोन ट्रेनिंग सेंटर में ही आने वाले दिनों में ड्रोन का निर्माण भी किया जाएगा । ड्रोन का कितना और क्या महत्व है , यह इसी बात से लगाया जा सकता है कि विभिन्न क्षमता और पावर के ड्रोन अलग-अलग वजन को उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकते हैं । ड्रोन के द्वारा कैमरों की मदद से किसी भी प्रकार की ठोस और सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है । आपातकाल में किसी का भी जीवन बचाने के लिए बिना किसी बाधा के जीवन रक्षक दवा या अन्य मदद भी पहुंचाई जा सकती है । लेकिन यह सब कुछ तभी संभव हो सकेगा जब ड्रोन के लिए ट्रेंड पायलट देश में उपलब्ध होंगे। देश में बोहड़ाकला की तर्ज पर ही 20 और इसी प्रकार के ड्रोन ट्रेनिंग सेंटर खोले जाने की योजना है । बाद में पत्रकारों से बात करते हुए बोहड़ाकला में आरंभ हुए देश के पहले ड्रोन ट्रेनिंग सेंटर के सी ई ओ चिराग शर्मा ने सवालों का जवाब देते कहां की ड्रोन के उड़ने की क्षमता 20 मिनट से लेकर घंटों और कई दिन तक भी हो सकती है । आज यह बात किसी से भी नहीं छिपी हुई है कि अनेक देश अत्याधुनिक तकनीक और ड्रोन की मदद से अपने देश की सुरक्षा पर नजर रखे हुए हैं । वही विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियां बेहद संवेदनशील खौजी और आधुनिक उपकरणों की मदद से भी प्राप्त की जा रही है। सिविल एविएशन में ड्रोन का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान बन चुका है । यहां मौके पर प्रदर्शनी के लिए रखे गए ड्रोन में सवा चार से लेकर सवा 8 किलो तक के ड्रोन मौजूद रहे । सबसे अधिक आकर्षक ड्रोन का मॉडल प्लेन मॉडल के रूप में पसंद किया गया। Post navigation सरकार काले क़ानूनों पर झूठ फैलाकर जनता को कर रही है गुमराह-चौधरी संतोख सिंह। मारपीट कर लूटने वाले तीन शातिर बदमाश काबू