रमेश गोयत

पंचकूला। प्रमुख समाजसेविका पूनम चौधरी ने हरियाणा सरकार द्वारा पीजीटी संस्कृत की भर्ती रद्द करने के प्रयासों को प्रदेश के युवाओं और संस्कृत भाषा के साथ एक बड़ा धोखा करार दिया है।

उन्होंने सरकार से तुरंत प्रभाव से पीजीटी संस्कृत परीक्षा में पास होने वाले अभ्यर्थियों को जॉइनिंग देने की मांग की है। पूनम ने कहा कि पीजीटी संस्कृत के 600 पदों के लिए अभ्यार्थियों की वर्ष 2015 में भर्ती हुई थी। जिसका नतीजा एक जनवरी 2019 को आया था और 523 पीजीटी संस्कृत अभ्यार्थियों को पास घोषित किये गया। लेकिन एक साल से ज्यादा बीतने के बाद भी इस परीक्षा में पास अभ्यर्थियों की जॉइनिंग नही करवाई गयी।

अब शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर द्वारा पीजीटी संस्कृत की भर्ती को रद्द करने का कथित बयान दिया है, जिसने इस भर्ती में पास अभ्यर्थियों की उम्मीदों को पूरी तरह से धराशाई कर दिया है। पीजीटी संस्कृत की भर्ती रद्द करना 523 पास अभ्यर्थियों के साथ-साथ, उन सरकारी स्कूलों के संस्कृत भाषा के छात्रों व संस्कृत भाषा के साथ भी धोखा होगा, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। पूनम चौधरी ने कहा कि हरियाणा प्रदेश की बेरोजगारी दर पहले ही पूरे देश में सबसे अधिक है। प्रदेश में उद्योग धंधे चौपट हैं। उस पर हरियाणा सरकार द्वारा पहले तो सरकारी नौकरियों विज्ञापित नही की जाती, सालों-साल तक विज्ञापित नौकरियों की लिखित/इंटरव्यू नहीं होते, फिर लिखित परीक्षा में पेपर लीक होते हैं और अन्य नौकरियों में परिणाम घोषित होने के सालों-साल बाद भी उन्हें जॉइनिंग नहीं दी जाती। ऐसा लगता है कि यह युवा विरोधी सरकार षड्यंत्र रचकर सरकारी नौकरियों को पूरी तरह से खत्म करने पर तुली हुई है। अब नई नौकरियां तो दूर जिन भर्तियों की सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं, उन्हें भी यह सरकार रद्द करने पर उतारू है।

पूनम ने कहा कि हरियाणा सरकार का यह युवा और छात्र विरोधी फरमान बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। हरियाणा सरकार को तुरंत प्रभाव से अपने इस फैसले को वापस लेकर और इस परीक्षा को पास करने वाले 523 अभ्यर्थियों को तुरंत प्रभाव से जॉइनिंग प्रदान करनी चाहिए।

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