उच्चतम न्यायालय को हस्तक्षेप कर केंद्र सरकार की हठधर्मिता को किया जाना चाहिए खत्म: कमल प्रधान

भिवानी/मुकेश वत्स

 तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग को लेकर युवा कल्याण संगठन ने 100 पत्र उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश को डाक द्वारा प्रेषित किए, जिसके बाद हजारों पत्र मुख्य न्यायधीश को भेजे जाएंगे और कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की जाएगी। भारत के मुख्य न्यायधीश से देश के किसानों की हो रही मौतों के प्रति संजीदगी दिखाने की अपील करते हुए युवा कल्याण संगठन ने उच्चतम न्यायालय द्वारा तीनो कृषि कानूनों पर अनिश्चित कालीन रोक का स्वागत करते हुए इन कानूनों को रद्द करने की भी अपील की।

संगठन के संरक्षक कमल सिंह प्रधान ने कहा किसान ने इस देश की नींव रखी है और वो दिन भर इस देश के लिए काम करते हैं। ये बिल किसान विरोधी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि ये बिल किसानों के हित में हैं, अगर किसानों के हित में है तो फिर किसान सडक़ों पर क्यों हैं। इन बिलों का उद्देश्य हिंदुस्तान की कृषि व्यवस्था को कुछ पूंजीपतियों के हवाले करने का है। उन्होंने कहा कि किसान की शक्ति के सामने कोई नहीं टिक सकता। भाजपा सरकार को गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि किसान डर जाएंगे, पीछे हट जाएंगे। बिलों के रद्द होने तक किसान न डरेगा और न ही पीछे हटेगा। कमल सिंह ने बताया कि उन्होंने भारत के मुख्य न्यायधीश को 100 पत्र लिखे हैं, जिसमे कृषि कानूनों अविलंब रद्द करने की गुजारिश की है।

उन्होंने कहा कि सरकार अपनी पुरानी बातों को ही गोल-गोल घुमा रही है। जो बातें सरकार की तरफ से पहले से की जा रही थी, उसे फिर से दोहराया जा रहा है, जबकि देश के किसान लगातार तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और बिना कृषि कानूनों के रद्द करे तथा एमएसपी गारंटी कानून बनाए बगैर आंदोलन को समाप्त नहीं किया जाएगा। ऐसे में उच्चतम न्यायालय को हस्तक्षेप कर केंद्र सरकार की हठधर्मिता को समाप्त किया जाना चाहिए व कानूनों को रद्द करके न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बना देने चाहिए।

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