अमेरिका में जाकर हाऊडी मोदी इवेंट में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अबकी बार ट्रम्प सरकार का नारा देकर ट्रम्प के लिए वोट मांगना कैसे उचित था और विदेशी सेलिब्रटीज का किसान आंदोलन के समर्थन में टवीट करना कैसे गलत है?

रेवाड़ी, 4 फरवरी 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने देश-प्रदेश के लोगों से आग्रह किया कि वे गंभीरता से विचारे कि अमेरिका में जाकर हाऊडी मोदी इवेंट में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अबकी बार ट्रम्प सरकार का नारा देकर ट्रम्प के लिए वोट मांगना कैसे उचित था और विदेशी सेलिब्रटीज का किसान आंदोलन के समर्थन में टवीट करना कैसे गलत है?

विद्रोही ने सवाल किसया कि जब मोदीजी ने हाऊडी मोदी में अबकी बार ट्रम्प सरकार का नारा उछाला था, तब क्या भारत का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्ताक्षेप अनुचित नही था। तब भाजपा-संघ भक्त, मीडिया विश्लेषकों ने मोदीजी की आलोचना करने की हिम्मत क्यों नही दिखाई और अब तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ दुनियाभर के लोग किसानों के समर्थन में आवाज उठा रहे है, तब भाजपा-संघ भक्तों को ऐसी आवाजों की आलोचना करने का नैतिक अधिकार कैसे है?

विद्रोही ने कहा कि वहीं यह भी सवाल है कि आखिरकार विदेशी लोगों को किसानों के समर्थन में आवाज उठाने का मौका दिया किसने? मोदी सरकार परिपक्वता दिखाकर किसान आंदोलन का सर्वमान्य हल निकालने का प्रयास करने की बजाय किसान आंदोलन को कुचलने के लिए सत्ता दुरूपयोग से षडयंत्र क्यों रच रही है? जो सरकार व सत्तारूढ़ दल भाजपा-संघ और उसके समर्थक देश के अन्नदाता किसानों को खालिस्तानी, आतंकवादी, देशद्रोही बताने की बेशर्मी तक कर रहे है, उनकी कैसी औच्छी मानसिकता है, इस पर टिप्पणी बेमानी है। 

विद्रोही ने कहा कि आंदोलनरत किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए दिल्ली बार्डर को पाकिस्तानी एलओसी व चीनी एलएसी की तरह बनाकर कटीले तार बिछाना, सड़क पर गड्डे खोदना, पक्की दीवार बनाना, कीले गाडना कौनसा लोकतांत्रिक आचरण है। जब मोदी सरकार किसानों के शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक आंदोलन को कुचलने के लिए गैरलोकतांत्रिक फासिस्ट रवैया अपनाएगी तो दुनियाभर में मानवाधिकारों व लोकतंत्र के समर्थक ऐसी सरकार के खिलाफ आवाज तो उठाएंगे ही। विद्रोही ने मोदी सरकार व हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार से आग्रह किया कि वे सत्ता मद में चूर होकर सत्ता दुरूपयोग व फासिस्ट तरीकों से किसानों को कुचलने की बजाय बातचीत से समस्या का समाधान करने खातिर तीन काले कृषि कानूनों को तत्काल वापिस ले। 

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