29 जनवरी 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने कहा कि इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला के विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस विधायकों से भी विधानसभा से त्याग पत्र मांगने वाले जाने-अनजाने में भाजपा खट्टर सरकार को ही मजबूत करने का काम कर रहे है। विद्रोही ने कहा कि अभय चौटाला का विधायक पद से त्याग पत्र देना उनकी निजी मामला है। उनके त्याग पत्र से किसान आंदोलन मजबूत होने से तो रहा उल्टा उनके त्याग पत्र से भाजपा खट्टर सरकार को ही राहत मिली है। सवाल उठता है कि कांग्रेस सहित हरियाणा के विपक्षी दल काले कृषि कानूनों के खिलाफ व किसान आंदोलन के पक्ष में मजबूती से खड़े है तो वे विधायक पद से त्याग पत्र देेकर भाजपा को राहत क्यों दे? क्या कांग्रेस विधायकों से त्याग पत्र देने से भाजपा खट्टर सरकार गिर जायेगी? जब आज की राजनीतिक परिस्थितियों में विधायक पद छोडऩे से भाजपा को साफ लाभ दिख रहा है तो फिर कांग्रेस विधायकों से त्याग पत्र मांगने वाले जाने-अनजाने में भाजपा को तत्काल लाभ क्यों पहुंचाना चाहते है, यह समझ से परे है।

विद्रोही ने दक्षिणी हरियाणा के किसानों व आमजनों से भी आग्रह किया कि वे सरकार भक्ति छोडकर आंदोलनरत किसानों का साथ देकर खुद अपना भला करे। मसानी पुल से आंदोलनरत किसानों को धरने से हटाने में जिस तरह वे भाजपा के मोहरे बने, उससे जो दक्षिणी हरियाणा को बदनामी मिली है उसे दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि यदि इस क्षेत्र के लोग सरकार भक्ति नही छोडना चाहते है तो कम से कम सरकार भक्ति में ऐसा कोई काम न करे जिससे यह क्षेत्र सदैव के लिए किसान इतिहास में कलंकित हो जाये। मसानी पुल धरना समाप्त करवाने के बाद अब भाजपा खट्टर सरकार पुलिस व प्रशासन के दुरूपयोग से कुछ निहित स्वार्थो से प्रेरित सत्ता के दलालों के माध्यम से स्थानीय लोगों को आगे करके शाहजहांपुर खेडा बार्डर पर मसानी पुल वाला खेल दोहराना चाहती है।

विद्रोही ने दक्षिणी हरियाणा के लोगों सेे आग्रह किया कि वे भाजपा-संघी कुटील चालों से सावधान रहकर कोई भी ऐसा काम न करे जिसका भविष्य में उन्हे ही खामियाजा भुगतना पड़े। दिल्ली हिंसा घटनाक्रम से जुड़े सोशल मीडिया में वारयल वीडियो बता रहे है कि लालकिले पर हिंसा व राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का कुप्रयास मोदी-भाजपा सरकार का ही सुनियोजित षडयंत्र प्रतीत होता है ताकि किसानों पर इस बहाने दमन करके उनका मनोबल गिराकर किसान आंदोलन को तोडा जा सके।