भगवतीपुर गाँव से तिरंगे झंडे से सजाकर किया गया विशाल काफिले को टिकरी बॉर्डर की ओर रवाना

भगवतीपुर / महम, 24 जनवरी : निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने महम हल्के के गाँव भगवतीपुर से ट्रैक्टरों के भारी काफिले को झंडी दिखाकर आज दिल्ली के लिए रवाना किया। उन्होंने बताया कि ट्रैक्टरों का यह विशाल काफिला दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पहुंचकर पूरे उत्साह के साथ 26 जनवरी की किसान ट्रैक्टर परेड में शामिल होगा।

काफिले को हरी झंडी दिखाकर रवाना किये जाने से पहले सभी ट्रैक्टरों को देश की आन, बान और शान का प्रतीक तिरंगा झंडा लगाकर सजाया गया और किसान यूनियन के झंडे व बैनर भी लगाए गए। साथ में जोड़ी गयी सभी ट्रालियों को भी तिरपाल से कवर करके उनमें दैनिक जरूरत एवं खानपान का सारा सामान भी रखा गया।

इस मौके पर कुंडू ने किसानों में जोश भरते हुए कहा कि यह किसानों के अस्तित्व और हमारे बच्चों के भविष्य की लड़ाई है। किसान का बेटा होने के नाते मैं पूरी मजबूती से अपने किसान परिवार के साथ खड़ा हूँ। हमें बेहद गरिमापूर्ण एवं अनुशासित रहते हुए ऐसी ऐतिहासिक ट्रैक्टर परेड निकालनी है जिसे दुनियां देखे और केंद्र सरकार इन तीनों किसान विरोधी कानूनों को वापस लेकर किसानों की मांगें मानने पर विवश हो जाये।

बलराज कुंडू ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चे के हमारे किसान नेताओं की रणनीति के अनुसार ही यह ट्रैक्टर परेड निकाली जानी है जिसके लिए मोर्चे की तरफ से रूट बनाये गए हैं। हमें अनुशासन के साथ मिलकर चलना है और कोई भी किसान भाई आपस में ट्रैक्टरों की रेस ना लगाएं क्योंकि उसमें नुकसान का अंदेशा रहता है इसलिये जोश के साथ हमें धर्य भी रखना है। कुंडू ने कहा कि किसानों के सब्र की परीक्षा बहुत हो चुकी और केंद्र सरकार को अब फैंसला करना ही पड़ेगा। समूचे देश का किसान-मजदूर एवं कमेरा वर्ग पूरी तरह एकजुट होकर सरकार के इन तीन जनविरोधी कानूनों की मुख़ालफ़त कर रहा है। प्रजातंत्र में सरकारें जनता की सेवा करने और उनके भलाई की नीतियां लागू करने के लिए होती है लेकिन सरकार इन तीनों काले कानूनों को लेकर राजहठ पर अड़ी हुई है। सरकार को हठधर्मिता त्यागकर तुरन्त किसानों से माफी मांगते हुए इन तीनों कानूनों को रद्द करते हुए एमएसपी की गारंटी का कानून लाना चाहिए अन्यथा यह जन आंदोलन आगे और भी जोर पकड़ता जाएगा।

लिहाजा अभी भी वक्त है कि सरकार समझदारी दिखाते हुए इन कानूनों को वापस ले क्योंकि सरकार का काम जनता की भलाई के लिए नीतियां बनाकर लागू करना होता है तो सरकार को अपने पूंजीपति मित्रों की बजाय इस देश के किसान, मजदूर एवं आम आदमी की फिक्र करनी चाहिए। किसान भाई कोई कुर्सी या सत्ता हासिल करने के लिए आंदोलन नहीं चला रहे बल्कि उनको तो भीषण सर्दी में अपने पेट एवं बच्चों के भविष्य के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है। हम सब मिलकर पूरी एकजुटता और मजबूती से अपने अधिकारों की यह जंग लड़ेंगे और जीतेंगे।

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