22 जनवरी 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने एक बयान में कहा कि भाजपा-खट्टर राज में विगत पांच सालों में सरकारी भर्तीयों में 36 से ज्यादा परीक्षा पेपर लीक हो चुके है जबकि सरकार ने पेपर लीक होने पर केवल दो-तीन भर्ती परीक्षाएं ही रद्द की है जो जीवंत  प्रमाण है कि हरियाणा में सरकारी भर्तीयों में चोर दरवाजे से सुनियोजित ढंग से बड़ी चालाकी से भारी गोलमाल हुआ है।

विद्रोही ने आरोप लगाया कि सरकारी परीक्षा भर्तीयों के पेपर लीक कर्मचारी चयन आयोग व सीएमओ की मिलीभगत के बिना संभव नही है। यदि कर्मचारी चयन आयोग व सीएमओ को भर्ती परीक्षा लीक पेपरों में हाथ नही होता तो लीक पेपर के आधार पर भर्तीया नही की जाती। भाजपा खट्टर सरकार सरकारी भर्तीयों में मैरिट, पारदर्शिता व ईमानदारी के बड़े-बड़ेे दावे करती है, पर गु्रप डी, पुलिस सिपाहियों व छोटे-मोटे पदों की सरकारी भर्तीयों के अलावा व्हाईट कॉलर जोब की अधिकांश भर्तीया संवैद्यानिक आरक्षित पदों को छोड़कर एक वर्ग, विचार विशेष के उम्मीदवारों को सुनियोजित ढंग से दी गई है।

विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में मलाईदार पोस्टों पर ट्रांसफर-पोस्टिंग में भारी लेन-देन होता है। मलाईदार पदों की बोलिया संघी दरबार में लगती है जिसके कराण उच्च पदों के तबादले ऐसे होते है कि मानो ताश के पत्ते फेंटे जा रहे हो। भाजपा खट्टर राज में जितने अधिकारियों के तबादले व पोस्टिंग हुई है, उतनी किसी भी राज मेें नही हुई। भाजपा खट्टर राज में संघीयों के लिए तबादला-पोस्टिंग एक ऐसा बड़ा उद्योग बन गया है जिसमें एक पैसे का भी इनवेस्ट किये बिना संघीे मोटी चांदी कूट रहे है। सरकारी भर्तीयों में मोटा पैसा लेकर परीक्षा पेपर लीक करना व मलाईदार पोस्टों पर पदों की बोली दोनो ही संघीयों के लिए कमाई का जरिया बनी हुई है। 

विद्रोही ने कहा कि हेरफेरी करने में संघीयों का कोई सानी नही है। वे बड़े सुनियोजित ढंग से व्हाईट कॉलर जोब की सरकारी भर्ती व तबादले-पोस्टिंग में मोटी चांदी कूट रहे है, फिर भी यदि मुख्यमंत्री खट्टर को विश्वास है कि उनके राज में ऐसा कोई भ्रष्टाचार नही हुआ है तो मेरी उनको खुली चुनौती है कि वे हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के अभी तक के अध्यक्ष, सदस्य रहे संघी नेताओं व सीएमओ में नियुक्त भारी संघी फौज व अन्य नियमित अधिकारियों के साथ भाजपा सरकार के मंत्रीयों, भाजपा सांसद, विधायकों व उनके परिवार की चल-अचल सम्पत्तियों की जांच पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई से करवा ले तो सच्चाई सामने आ जायेगी।

विद्रोही ने कहा कि अक्टूबर 2014 से पहले इनके व इनके परिवारों के पास कितनी चल-अचल सम्पत्ति थी और छह साल बाद में अब कितनी हो गई, मात्र यह जांच ही भाजपा खटटर सरकार की पारदर्शिता, ईमानदारी व भ्रष्टाचार रहित शासन की पोल खोल देगी। यदि मुख्यमंत्री में दम है तो अपने मंत्रीयों, सांसदों, विधायकों, सीएमओ से जुड़े व्यक्तियों, अधिकारियों व कर्मचारियों चयन आयोग से जुडे व जुड़े रहे संघीयों व उनके परिवारों की चल-अचल सम्पत्ति की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में करवा ले, संघीयों की सत्ता के बल पर की जा रही लूट अपने आप सबके सामने आ जायेगी। 

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