भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

आमतौर पर जनता यह सोचती है कि सत्ता पक्ष वाले बात सुनेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे। यदि सत्ता पक्ष वाले नहीं सुनते तो जनता की सोच होती है कि विपक्ष के सामने जाकर अपना दुखड़ा रोयें तो विपक्षी राजनैतिक दल उनकी समस्याओं को लेकर शासन-प्रशासन से संघर्ष करेगा। लेकिन गुरुग्राम की जनता को शायद कुछ भी मुहैया नहीं है। सत्तारूढ़ राजनैतिक दल अपने शीर्ष नेताओं के आदेश से बाहर नहीं जाते। वह सोचते हैं कि उन्हें जो कुछ भी मिला है, वह शीर्ष नेताओं की कृपा से ही मिला है। अत: वह जनता से पहले उनका ध्यान रखते हैं। और विपक्ष की बात करें तो विपक्ष के रूप में गुरुग्राम में कोई दल नजर ही नहीं आता। कहने को कांग्रेस, आप, इनेलो सभी दल हैं लेकिन कभी जनता के बीच जनता की समस्याओं से जूझता मुझे तो कोई नजर आया नहीं है।

सत्तारूढ़ भाजपा की बात करें तो विधायक सुधीर सिंगला अपने स्व. पिता सीताराम सिंगला की बेहतर समाज सेवाओं के कारण और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की रणनीति के कारण निर्वाचित हुए। उससे पूर्व उन्हें कभी जनता में देखा नहीं गया। कभी वास्ता ही नहीं रहा उनका जनता से तो वह जनता की पीड़ा और समस्या को कैसे समझ पाएंगे? और फिर उनका कहना भी है कि मैं क्या था, जो मुख्यमंत्री ने मुझे टिकट दी और विधायक बनवाया। अत: वह तो मुख्यमंत्री अर्थात सत्ता के साथ ही रहेंगे और जनता की समस्याएं सारी सत्ता की कमी से ही जुड़ी होती हैं। अत: जनता बेचारी बनकर रह जाती है।

इधर विपक्षी दल की बात करें तो गुरुग्राम और हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को माना जाता है। और कांग्रेस कहीं वर्तमान में तो गुरुग्राम में दिखाई दी नहीं। हां, कभी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा या उनके पुत्र यहां आते हैं उनको चेहरा दिखाने के लिए वहां जरूर इनके चेहरे नजर आ जाते हैं। ताजा उदाहरण गुरुग्राम में जो किसान आंदोलन चल रहा है, उसमें कांग्रेस के शीर्ष नेता सोनिया गांधी, राजीव गांधी और प्रियंका गांधी सब खुलकर किसानों के साथ संघर्ष में नजर आते हैं और इसी प्रकार हरियाणा में हरियाणा की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा प्रतिदिन कहीं न कहीं किसानों के साथ दिखाई देते हैं। लेकिन गुरुग्राम में उनकी शक्ल किसानों के धरने में भी दिखाई नहीं देती।

जब इतने महत्वपूर्ण अभियान में भी स्थानीय कांग्रेसी नजर नहीं आते तो यह अपने आप समझ में आ जाता है कि वह अपने घरों में व अपने व्यापार में लगे हुए हैं। जनता की उन्हें याद तब आएगी जब चुनाव समीप आएगा और चुनाव लडऩा होगा।

गुरुग्राम से विधानसभा का चुनाव पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया लड़े थे। चुनाव के बाद वह कहीं जनता की समस्याओं के लिए संघर्ष करते नहीं दिखाई दिए। इसी प्रकार अन्य पार्टियों के और निर्दलीय भी चुनाव लड़े थे लेकिन कोई भी अब जनता के साथ नहीं दिखाई देता।

वर्तमान स्थितियों को देखकर गुरुग्राम की जनता को अपनी समस्याओं और परेशानियों के लिए स्वयं ही संघर्ष करना होगा। अत: उनको संगठित होकर संघर्ष कर फल मिल पाएगा और अकेले-अकेले प्रयास करेंगे तो निष्फल हो जाएगा।

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