किसान आंदोलन ने पूरे देश की जनता का जीत लिया दिल. कर्मचारी, व्यापारी भी आए समर्थन में

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

आज देश की सबसे बड़ी चर्चित बात किसान आंदोलन है। एक तरह से सीधे-सीधे किसानों का सरकार से टकराव है। स्थिति यह बन गई है कि सरकार को तानाशाह के रूप में देखा जा रहा है और किसानों को क्रांतिकारी के रूप में। मेरे विचार से किसान की क्या ताकत है और किसान आंदोलन कैसे सफर तय कर रहा है, वह लिख रहा हूं।

किसान आंदोलन जीत की ओर अग्रसर है लेकिन जीत की घोषणा से पहले ही किसानों ने पूरे देश की जनता का दिल जीत लिया।

किसान आंदोलन की ताकत :

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश की सभी रियासतों का एकीकरण किया लेकिन किसान आंदोलन ने देश के सभी जाति-धर्मों, अमीर-गरीबों के दिलों का एकीकरण कर दिया।ऐसा लगता है देश में न कोई जाति है, न कोई धर्म है, न कोई ऊंचा है, न कोई नीचा है, न कोई गरीब है और न कोई अमीर है। पहली बार लगा कि यह सब भारतीय है।किसानों की खोई हुई ताकत को फिर से जिंदा कर दिया।

इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है यह सिक्खों ने पूरे विश्व को बता दिया। देशभक्तों व गद्दारों की पहचान देश की जनता को करवा दी।

शहरों की चकाचौन्द में भारतीय संस्कृति व संस्कार लुप्त हो गये थे।भारत से इंडिया बने देश को फिर से भारत बना दिया।सात साल से देश में हिन्दू-मुस्लिम, पाकिस्तान-पाकिस्तान खेलने वालों को क्लिनबोल्ड कर दिया। नफरत की खेती करने वालों की जड़ों में तेजाब डालकर नष्ट कर दिया।

तीन महीने से लंबे समय से चल रहे आंदोलन में अनुशासन को देखकर विश्व चकित है। किसान आंदोलन ने यह सिद्ध कर दिया कि संविधान व देश के प्रति आस्था किसान से ज्यादा किसी में नहीं है।पिछले 7 साल से बेलगाम सत्ता को लगाम लगाकर खूंटे से बांधने की हिम्मत सिर्फ किसान में है।

करोना जैसी महामारी का भय खत्म करके उसे कच्चा चबा गये। लोकतंत्र के चारों स्तंभों को नंगा कर दिया।

लोकतंत्र के चारों स्तंभों के साथ साथ इन सब के मालिक कॉरपोरेट घरानों को मिमियाने पर मजबूर करके किसानों ने यह सिद्ध कर दिया कि लोकतंत्र में किसानों से बड़ा कोई स्तंभ नहीं है।

किसान आंदोलन ने एक तरफ मुख्य मीडिया को धरासायी कर दिया तो दूसरी तरफ सोसल मीडिया व यूटूबरों की अहमियत को बढ़ा दिया।

किसान नेताओं की प्लानिंग ने सरकार के सभी षड्यंत्रों को नाकाम करके यह सिद्ध कर दिया कि सरकार डाल डाल चलना जानती है जबकि किसान पत्ते पत्ते से वाकिब है। सरकार के साथ वार्ता में नपे तुले शब्दों के साथ बात करके किसान नेताओं ने यह सिद्ध कर दिया कि चाहे आईएएस परीक्षा पास न की हो लेकिन ज्ञान के मामले में पीएचडी हैं।

देश के जवानों के साथ अपनापन किसान नेताओं की प्लानिंग का हिस्सा है।पुलिस के जवानों को इतना मानसम्मान व प्यार पहले किसी आंदोलन में नहीं मिला।जवानों को यह अहसास करवा दिया कि आप हमारे बेटे हो।

किसान आंदोलन में भाग लेने वाले प्रत्येक किसान के साहस, दृढ़ता, मजबूत इरादों, सेवा व समर्पण के भाव के कारण सरकार एक भी कमजोरी नहीं ढूंढ पाई।किसी से भी पूछो तो एक ही बात कहता है। बिल वापिस हुये बगैर घर वापिस नहीं जायेंगे।

किसान आंदोलन में महिलाओं की उपस्थिति ने यह सिद्ध कर दिया कि महिलाये किसी से कम नहीं है जरूरत पडऩे पर प्रत्येक महिला माता गुजरी, महारानी किशोरी व अमृतादेवी बन सकती है।

किसान आंदोलन के संघर्ष से मिली ताकत, विश्व पटल पर छाने वाला किसान आंदोलन।

किसी आंदोलन को विदेशी शासकों का समर्थन। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने किसान आंदोलन का समर्थन किया व ब्रिटेन के 100 सांसदों ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को पत्र लिखकर किसान आंदोलन का समर्थन करने को कहा। किसान आंदोलन की गूंज यूएनओ में।

विश्व के 20 देशों में भारतीय दूतावास के आगे किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन।

विश्व में कहीं पर भी भारतीय किसान का बेटा रहता हो तो उसको भी अपनी जड़ों का अहसास हो गया।वो सब अपनी जड़ों की तरफ लौट आये।किसान आंदोलन का समर्थन किया।

सात साल में पहलीबार किसान आंदोलन ने बीजेपी I T सेल की बोलती बंद की।सात साल में बीजेपी के खिलाफ बोलने वालों को देशद्रोही व गद्दार का प्रमाणपत्र बांटने वाले खुद देशद्रोही व गद्दार घोषित हुये।

पिछले सात साल से धुंआधार बोलने वाले प्रधानमंत्री जी अब चुप-चुप नजर आते हैं।

सात साल में निरंकुश होकर मनमर्जी करने वाली बीजेपी को पहलीबार अपने कार्यक्रम करते हुये डर लगने लगा।सात साल तक डरा धमकाकर आंदोलनकारियों को घरों में बंद करने वाली बीजेपी को पहलीबार घर से बाहर निकलते हुये डर लगने लगा। देश के किसी मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर को हवा में ही बेक गेयर लगाकर बिना सभा के वापस भागना पड़ा।

आजादी के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सदस्य को कमेटी छोडऩे पर मजबूर होना पड़ा।

कुल मिलाकर किसान आंदोलन हक की लड़ाई है इसीलिय दिनोदिन नया इतिहास लिख रहा है और यही जोश किसानों में बरकरार रहा तो 26 जनवरी की किसान टेक्टर परेड देश में देशभक्ति को चरम तक पहुंचाकर देश में नया इतिहास रचेगा।

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