सरकार को अपने पूंजीपति मित्रों के नफे नुकसान की चिंता है किसान-मजदूर की नहीं – कुंडू।. -बोले-संयुक्त किसान मोर्चा नेताओं की योजना के मुताबिक एकजुट होकर गरिमापूर्ण तरीके से निकालेंगे दिल्ली में ट्रैक्टर परेड।. -जनभावनाओं को देखते हुए केंद्र को तुरन्त ये तीनों काले कानून वापस लेकर बनाना चाहिए एमएसपी गारंटी कानून।

ढांसा बॉर्डर, 20 जनवरी : दिल्ली के ढांसा बॉर्डर पर चल रहे धरने पर पहुंचे महम विधायक बलराज कुंडू ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा नेताओं की योजना के मुताबिक 26 जनवरी को दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर एकजुटता के साथ किसान ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी। किसान का बेटा होने के नाते संघर्ष के इस दौर में मैं पूरी मजबूती से अपने किसान परिवार के साथ खड़ा हूँ। हमें अपने ट्रैक्टरों पर देश की आन, बान और शान का प्रतीक तिरंगा झंडा लगाकर पूरे अनुशासन में रहकर किसान नेताओं की कार्ययोजना के मुताबिक ही 26 जनवरी को गरिमापूर्ण ढंग से यह ट्रैक्टर परेड निकालनी है।

बताते चलें कि महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू शुरू दिन से ही पूरी मजबूती से किसानों के साथ इस आंदोलन में जुटे हुए हैं और टिकरी बॉर्डर पर बाकायदा उनकी किसान रसोई के नाम से लंगर सेवा भी चल रही है। वे प्रदेश भर में विभिन्न स्थानों पर चल रहे किसानों के धरनों पर लगातार पहुंच रहे है और इसी क्रम में वे आज ढांसा बॉर्डर किसान धरने पर पहुंचे थे।

किसानों को सम्बोधित करते हुए बलराज कुंडू ने कहा कि किसानों पर अत्याचार अब और बर्दाश्त नहीं होगा। जनआंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार तीनों काले कानून वापस लेकर एमएसपी की गारंटी का नया कानून लेकर आये। जब तक मांगें नहीं मान ली जाती, किसान वापस अपने घर नहीं लौटेंगे। आंदोलन में रोजाना हो रही किसानों की शहादतें बेहद दुखदायी हैं। सरकार को राजहठ छोड़कर अन्नदाता के दुःख-दर्द सुनकर समस्या का समाधान करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में रोजाना किसानों की शहादतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है लेकिन सरकार अभी तक इससे अनजान बनी हुई है। ऐसा जानबूझ कर किया जा रहा है ताकि किसानों को हतास व निराश किया जा सके और बातचीत को मीटिंग दर मीटिंग लम्बा खींचकर किसानों के हौंसले को तोड़ा जा सके। लेकिन, किसान भाई सरकार के इन ओछे हथकंडों को बखूबी समझ चुके हैं और किसान आंदोलन को दबाने की सरकार की मंशा कभी पूरी नहीं होगी। किसान तब तक पीछे नहीं हटेगा तब तक हमारी मांगें स्वीकार कर ये तीनों काले कानून वापस लेते हुए संयुक्त किसान मोर्चे की सभी मांगें स्वीकार नहीं कर ली जाती।

बहुत ही दुख की बात है कि सरकार को अपने पूंजीपति मित्रों के नफे नुकसान की तो चिंता है लेकिन प्रजातन्त्र में वोट डालकर सरकारें चुनने वाले किसान-मजदूर एवं आम आदमी की दुख तकलीफें नजर नहीं आ रही। सरकार के अड़ियल रवैये पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कुंडू ने कहा कि सरकार को पूंजीपतियों के इस जंजाल से बाहर निकलकर जनभावना की कद्र करते हुए किसानों से माफी मांगनी चाहिए।

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