मैडम

सुना है कि हरियाणा में आगामी प्रशासकीय फेरबदल के दौरान एक महिला आईएएस अधिकारी को उनके पद से हटाया जा सकता है। ये मैडम अपने बोल्ड अंदाज की वजह से जानी जाती हैं। कई कारणों से मैडम और मैडम के शौहर चर्चा में बने रहते हैं। बताते हैं कि मैडम का बोलने-काम करने का अदांज सीनियर अफसरों को अक्सर रास नहीं आता। मैडम के मौजूदा प्रशासकीय सचिव ने भी आला स्तर पर ये शिकायत-गुजारिश कर दी है कि वो मैडम को अब और ज्यादा झेलने में सक्षम नहीं है। एक दो और सक्षम लोग भी ऐसे ही ख्यालात का इजहार कर सरकार से कर चुके हैं। शीर्ष स्तर पर भी ये सहमति जताई गई है कि मैडम के इस तरह के बर्ताव को किसी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। अमन-चैन की स्थापना से समझौता नहीं किया जा सकता। ऐसे में इस दफा आईएएस अफसरों के तबादले में मैडम की विकेट जाने के प्रबल आसार हैं।

राजभवन का घेराव

तीन किसान कानूनों के विरोध में देश भर में राजभवनों का घेराव करने के कार्यक्रम की रस्म को हरियाणा कांग्रेस ने भी चंडीगढ में निभा ही दिया। इस औपचारिकता को पूरी करने के लिए हरियाणा कांग्रेस के शीर्ष नेतागण तो लगभग पहुंचे हुए थे,लेकिन कार्यकर्त्ता अपेक्षित संख्या में एकत्र होने से बचे। इस माहौल पर कांग्रेस के एक सीनियर नेता कह रहे थे कि हमारी पार्टी भी अब भाजपा जैसी सी हो गई है। कहीं कोई रैली-जलसा या समारोह होता है तो लोग अब हमारे यहां भी कम ही आते हैं। अब हमारे नेताओं का भी मेहनत करने में ध्यान कम है। हाथ तंग है। नेताओं को लगता है कि मेहनत हम करें-भागदौड़ हम करें-कार्यकर्त्ताओं को हम जुटाएं-कांग्रेस के पक्ष में माहौल हम बनाएं और पता चला कि पार्टी का राज आने पर कांग्रेस हाईकमान ने सीएम किसी दूसरे को ही बना दिया। ऐसे में अभी ज्यादा स्पीड पकड़Þने की जरूरत क्या है? जब टाइम आएगा तब देख लेंगे। सोच लेंगे। कर लेंगे।

अपनी अपनी गलतफहमी

भाजपा के थिक टैंक की दाद देनी ही चाहिए। देनी ही पड़ेगी। पार्टी के नेताओं को लगता है कि तीन किसान कानूनों पर जनता के मन में बहोत सारी गलतफहमी फैल गई है। इसे दूर करना ही पड़ेगा। जनता को समझाना ही पड़ेगा। दूसरों को समझाने के काम में भाजपाई खुद को पारंगत मानते हैं। हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने इस मुददे पर गुड़गांव में पार्टी वालों के संग एक मीटिंग भी की है। इस मीटिंग में संकल्प लिया गया कि हम लोगों को तीन किसान कानूनों के फायदे समझाकर ही रहेंगे। अगर भाजपाई समझाने को तैयार हैं तो उधर जनता भी तैयार है। पूरी तैयारी कर रक्खी है इनके स्वागत सत्कार की। इस हालात पर शकील बदायूनी का शेर है:

गम ए आशिकी से कह दो राह ए आम तक न पहुंचे
मुझे खौफ है ये तोहमत मेरे नाम तक न पहुंचे
मैं नजर से पी रहा था कि ये दिल ने बददुआ दी
तेरा हाथ जिंदगी भर जाम तक न पहुंचे
ये अदा-ए बेनियाजी तुझे बेवफा मुबारक
मगर ऐसी बेरूखी क्या कि सलाम तक न पहुंचे

हृदय परिवर्तन

हरियाणा के एक नेता को जब से राजकाज का दायित्व मिला है तब से मीडिया वालों के साथ उनके अलग किस्म के सबंध रहे हैं। आमतौर पर प्रैस कांफ्रेस करने के बाद वो मीडिया वालों के संग चाय-नाश्ता- लंच-डिनर-करना पंसद नहीं करते। हो सकता है कि उनके शुभचिंतकों ने उनको ये समझा दिया हो कि इस तरह से पत्रकारों के नजदीक जाने से उनके स्टेटस पर आंच आ सकती है। सो पत्रकारों से दूरी ही ठीक है। पिछले सप्ताह उन्होंने चंडीगढ में प्रैस कांफ्रेस की तो उसके बाद उनका पत्रकारों से प्रति अनायास ही घुमड़ घुमड़ कर प्रेम उमड़ पड़ा। प्रैस कांफ्रैंस के बाद पत्रकारों के साथ चाय पी और उनके संग खान पान की रस्म भी निभाई। उनसे उनके घर परिवार वालों का हाल चाल पूछा। हालात भी इंसान से क्या कुछ नहीं करवा देते। इस माहौल पर प्रसिद्ध शायर हबीब जलाली का इस माहौला पर एक शेर है:

दुनिया तो चाहती है यंू ही फासले रहें
दुनिया के मशवरों पे न जा उस गली में चल

अच्छी खबर

रिटायर्ड और निकट भविष्य में रिटायर होने वाले अफसरों के लिए अच्छी खबर है कि हरियाणा सरकार गुड़गांव की रेरा पीठ में एक नए सदस्य की भर्ती करने जा रही है। रेरा के सदस्य रहे सुभाष चंद्र कुश रिटायर होने से ये स्थान खाली हुआ है। अभी रेरा गुड़गांव में चेयरमैन डा.केके खंडेलवाल और एक अन्य सदस्य समीर सेवाएं दे रहे हैं। रेरा के सदस्य के तौर पर सेवाएं देने के लिए कई अफसरों का जोश-जज्बा ठाठें मार रहा है। जल्द ही इनमें से कोई न कोई रेरा-गुड़गामा के सदस्य के तौर पर जनकल्याण के लिए समर्पित नजर आ सकता है।

अभय चौटाला

विपक्ष के पूर्व नेता और ऐलनाबाद से इनैलो के विधायक किसान आंदोलन में काफी एक्टिव हैं। वो आंदोलनरत किसानों की मांगों का समर्थन कर चुके हैं। कई स्थानों पर चल रहे किसान धरनों पर जा कर किसानों के सुर में सुर मिला चुके हैं। ऐलनाबाद से विधानसभा की सदस्यता छोड़ने का ऐलान कर चुके हैं। विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के यहां अपना इस्तीफा भिजवा चुके हैं। अब अभय किसान आंदोलन के हक में प्रदेश भर में ट्रैक्टर यात्रा पर निकले हैं। चंडीगढ स्थित अपने आवास से ट्रैक्टर यात्रा निकलने से पहले पत्रकारों ने उनके साथ खूब फोटो सैशन किया। किसी ने उनको ट्रैक्टर पर बिठा कर इंटरव्यू किया तो किसी ने अलग अलग पोज-मुद्रा में खड़ा कर के उनके फोटो खींचे-खिंचवाए। अभय ने भी किसी पत्रकार को निराश नहीं किया। सभी के संग वो अत्यंत आत्मीयता से बतियाए। ये भी जिदद की खबरें-इंटरव्यू तो होते ही रहते हैं, पहले सब पत्रकार उनके संग नाश्ते पर इधर उधर की बतियाएंगे।

आखिर माजरा क्या है?

भाजपा-जजपा सरकार में ये पहली दफा हुआ है कि गृह मंत्री अमितशाह ने दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व को दिल्ली में तलब किया। शाह के साथ मीटिंग में सीएम मनोहरलाल, डिप्टी सीएम दुष्यंत समेत दोनों पार्टियों के प्रधान भी हाजिर थे। आखिर इस मीटिंग की जरूरत क्या थी? हर कोई इसकी मनचाही व्याख्या कर रहा है। जो लोग इस मीटिंग में शामिल हुए वो इसका खुलकर ब्यौरा देने से बच रहे हैं। इस मीटिंग के बाद दुष्यंत ने अपने चंडीगढ स्थित सरकारी आवास पर कुछ चुनिंदा पत्रकारों को बुला कर उनसे इधर उधर की बातें तो खूब की,लेकिन शाह के साथ बैठक का ब्यौरा देने से वो कतराते ही रहे। क्या शाह ने हरियाणा सरकार की खिंचाई की? या उन्होंने सरकार की पीठ थपथपाई? या उन्होंने दोनों ही काम किए?

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