कमलेश भारतीय

एक तरफ कल से कोरोना वैक्सीन से जीवन उत्सव मनाया जा रहा है । दूसरी तरफ ट्रैक्टर परेड की तैयारियां जारी हैं । कोरोना वैक्सीन का स्वागत् शहर दर शहर किया जा रहा है । वैक्सीन लगना भी शुरू हो गया है । जीवन जीत गया और,कोरोना हार रहा है । यह बात साबित हो रही पर्यटन नगरों से -गोवा , शिमला और अन्य नगरों में सैलानियों की संख्या बढ़ने लगी है और होटल मालिकों के चेहरे खिलने लगे हैं । जगह जगह वैक्सीन लगाये जाने के फोटोज आ रहे हैं और गोदी मीडिया का जश्न इसलिए भी कि किसान आंदोलन को छिपाया जा सके और यह कोशिश जारी है । इसमें सफलता भी मिल रही है ।

किसान आंदोलन के नेता ट्रैक्टर परेड की तैयारियों में जुटे हैं । न्यूज चैनल ने ट्रैक्टर परेड स्थगित होने की खबर जारी हो गयी तो पता चला कि यह न्यूज चैनल अम्बानी ग्रुप का है । किसलिए झूठी खबर प्रचारित की जा रही है ? दूसरे किसान नेता यह स्पष्ट कर रहे हैं कि हम लाल किला तक परेड नहीं निकाल रहे हैं और हर किस्म की हिंसा से बचने के निर्देश बार बार दे रहे हैं । सर्दी के मारे किसान लगातार आंदोलनरत हैं । वे असफल होकर वापस जाने को तैयार नहीं किसी बी कीमत पर । पचास से ऊपर किसान तो शहीद हो चुके । अब इनको क्या डर और क्या गम ?

आखिर आंदोलन को सरकार गंभीरता से क्यों नहीं लेती? किसान आंदोलन के बारे में कह रहे हैं भाजपा नेता कि फिर कोई कोशिश नही करेगा । ऐसी कोशिश की ही क्यों ? किसान बार बार कह रहे हैं कि जो हमने मांगा ही नहीं , वह हम पर रोना क्यों जा रहा है ? हम अपनी हालत से खुश हैं । हम पर इतनी मेहरबानियां क्यों?

सरकार और साहब को अपने मन की बात छोड़ कर किसान के मन की बात समझनी चाहिए ।

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