नरवाना, 16 जनवरी: तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों के समर्थन में इनेलो के प्रधान महासचिव एवं विधायक अभय सिंह चौटाला ट्रैक्टर यात्रा के दौरान नरवाना पहुँचे जहाँ कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया। वे शुक्रवार रात नरवाना रुके थे और शनिवार सुबह सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना हुए। ट्रैक्टर यात्रा के दौरान वह नरवाना बदोवाला टोल प्लाजा पर पहुंचे जहां किसानों द्वारा तीनों कृषि कानूनों के विरोध में 26वें दिन धरना जारी था। इनेलो नेता ने धरने पर बैठे किसानों को स बोधित करते हुए कहा कि तीनों काले कानूनों के विरोध में सभी किसान गांव के टोल प्लाजा पर केन्द्र सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए बैठे हैं ताकि काले कानूनों को वापिस किया जा सके। सरकार इस आदोलन को लंबा खींचना चाहती है क्योंकि केंद्र सरकार की यह सोच है कि इस मामले को जितना लंबा खींचेंगे किसान परेशान हो कर अपने घर वापिस चले जाएंगे। उन्होंने धरने पर किसानों से अपील की कि वह 26 जनवरी को भारी संख्या में अपने-अपने घर से एक सदस्यों को ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली के सिंघु बार्डर पर भेजने का काम करे क्योंकि जितनी अधिक संख्या में किसान दिल्ली पहुचेंगे, सरकार को किसानों की समस्या के निपटारे बाबत सौ प्रतिशत विचार करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यदि आम आदमी कोई गलत काम करता है तो सरकार में बैठे लोग उस पर कार्यवाही करते है और यदि सरकार का मुखिया ही कोई गलत काम करे तो उस पर कौन कार्यवाही करेगा। हास्यास्पद, कि हमारे देश के प्रधानमंत्री, जिसने येे तीन काले कानून बिना किसी के मांगे व बिना किसान से बात किये ही जबरदस्ती से किसानों पर थोपने का काम कर दिया है। ये जो कानून बनाए हैं वह प्रधानमंत्री ने अम्बानी व अडानी के लिए बनाए हैं। यदि सरकार ने समय रहते कानून वापिस नहीं लिये तो ये मामला तूल पकड़ जाएगा। चौधरी देवी लाल स्कूल में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने किसानों की पैरवी की, वहीं उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को गद्दार बताते हुए कहा कि वो गद्दारों के बारे में बात नहीं किया करते। मेरे दादा ने प्रधानमंत्री जैसे पद का भी त्याग किया है। लालची लोग पदों के लिए समाज व परिवार के लोगों के साथ बेईमानी करते हंै। मैं बेईमान लोगों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। पत्रकार वार्ता के दौरान विधायकों के इस्तीफ को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि जो विधायक इस्तीफे की बात करते हंै वह यदि इस्तीफ नहीं देते हैं तो वह दोबारा से विधान सभा पहुंचने की तो बहुत दूर की बात है, वह पंचायत का मेम्बर भी नहीं बन सकता, जनता किसी को भूलती नहीं है। Post navigation किसान आंदोलन और इस्तीफे सोसिओ इकोनॉमिक की खैरात और पेपर लीक ने हरियाणा के युवाओं का किया बंटाधार