कमलेश भारतीय

किसान आंदोलन अपने चरम पर है और इस्तीफे भी जारी हैं । पहली बार विधानसभा अध्यक्ष को पता न चलने पर अभय चौटाला ने दूसरी बार इस्तीफा दे दिया और यह भी कहा है कि 27 जनवरी को दोबारा , नहीं नहीं तीसरी बार अध्यक्ष को मिलकर हाथों में इस्तीफा दे दूंगा । फिर तो मेरा विश्वास करोगे कि नहीं ? अब पता नहीं क्यों अभय चौटाला जो भी कदम उठाते हैं , लोग विश्वास कम करते हैं । अब देखिए एसवाईएल के लिए ऐसे ही कस्सी लेकर चले खुदाई करने लेकिन पटियाला से पहले ही धर लिए गये और लोगों ने इसे नाटक करार दे दिया। करें तो क्या करें ?

इकलौते विधायक इनेलो के और दे रहे हैं इस्तीफा तो विधानसभा में नामलेवा ही कोई न रहेगा पार्टी का , ऐसा क्यों करते हो ? पार्टी का डंडा और झंडा तो विधानसभा में लहराने दीजिए । ओमप्रकाश चौटाला जी का विश्वास यह है कि विधानसभा के मध्यावधि चुनाव आने ही वाले हैं । बस ।।कुछ महीनों की विधानसभा से गैरहाजिरी होगी । फिर तो अपनी सरकार बना लेंगे । यह सपना है उनका । सरकार गिरा नहीं सकते तो नये चुनाव का सपना तो देख ही सकते हैं । इस तरह दो दो , तीन तीन बार इस्तीफा दे रहे हैं ताकि प्रचार भी मिले और संदेश भी जाये ।

कांग्रेस को भी आस है कि जोड़ तोड़ होगा और होने की संभावनाएं बनती जा रही हैं । दुष्यंत कुमार के शब्दों में

बाढ़ की संभावनाएं सामने हैं
और नदियों के किनारे घर बने हैं,,,

भागदौड़ शुरू है । उठा पटक भी । कौन कब किधर चला जायेगा , पता नहीं चलेगा । कौन निर्दलीय और कौन किस पार्टी से छूट कर भागेगा ? अभी रहस्य है । पर ऐसा होने की आशंकाओं के बीच राजनीतिक चर्चाएं जारी हैं और कशमकश भी और लंच डिप्लोमेसी भी ।

किसान आंदोलन पर बातचीत का एक दौर और बेकार , निष्फल गया । आरोप कि केंद्र सरकार टाल-मटोल को नीति अपनाए हुए है और गंभीर नहीं है किसान आंदोलन के प्रति । जब तक गंभीर नहीं होगी तब तक इसे हल करने की नहीं सोच सकती । यह तय है ।

हरियाणा में कांग्रेसी राज्यपाल भवन घेरने गये , खुद पुलिस के घेरे में फंस कर रह गये जबकि कांग्रेस अध्यक्ष सैलजा कह रही हैकि हम राज्यपाल भवन घेरने में सफल रहे और हमारी लड़ाई जारी रहेगी ।

नगर निगम के बाद पंचायत चुनाव आने वाले हैं और क्या होगा ? सरकार चिंता में है । खैर । किसानों के सब्र का इम्तिहान जारी है ।

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