त्रिदिवसीय गायत्री महायज्ञ कार्यक्रम में भव्य काव्य पाठ

भिवानी/मुकेश वत्स

 परम हंस तपोभूमि योगाश्रम धाम के प्रांगण में त्रिदिवसीय गायत्री महायज्ञ कार्यक्रम के दूसरे दिन राष्ट्रीय कवियों द्वारा भव्य काव्य पाठ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम में सान्निध्य महाराज कृष्णानंद सरस्वती का रहा।

बुजुर्ग सम्मान समारोह में शिक्षाविद् व विशिष्ठ समाजसेवी डाक्टर शिवनारायण शास्त्री की गरिमामय उपस्थिति में विशेष उद्बोधन किया। काव्य पाठ की शुरूआत करते हुए राष्ट्रीय कवि व शिक्षाविद् डाक्टर रमाकांत शर्मा ने देश वंदना की शुरूआत की। उन्होंने अपने पाठ में पंक्तियों का गायन करते हुए कहा कि जय हो देश हमारे देश जन-गण-मन के प्यारे जय हो। उन्होंने वृद्धजनों को सम्मान देते हुए कहा कि वृद्ध हमारे लिए वट वृक्ष की छाया की तरह हैं और इनका जीवन अनुभव हमारे लिए अमृत के समान हैं।

कोरोना काल को इंगित करते हुए डाक्टर रमाकांत शर्मा ने कहा कि कुछ न खोना रहे, इस नए वर्ष में नै ही रोना रहे, कामना हमारी विश्व शांति की हो न कोरोना रहे इस वर्ष में। इस अवसर पर अपने विशेष उद्बोधन में संस्कृत के विद्वान व समाजसेवी डाक्टर शिवनारायण शास्त्री खरकिया ने कहा कि वृद्धों का जीवन बच्चों व युवाओं के लिए एक अनुभव की पाठशाला होता है और यह पाठशाला दैनिक जीवन में भी कोई न कोई बच्चों को अपनी बातों से पढ़ाती रहती है। एक समय ऐसा भी आता है कि जब वृद्धावस्था ज्यादा ढलान की तरफ चली जाती है तब युवा पीढ़ी को दिए गए संस्कार युवाओं को वृद्धजनों की सेवा करने के लिए प्रेरित करते हैं।

इस अवसर पर युवाओं, बच्चों द्वारा महाराज कृष्णानंद सरस्वती के सान्निध्य में 65 बुजुर्ग, महिला व पुरुषों को गर्म टॉपी, मफलर, स्कार्फ देकर सम्मानित किया गया।

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