कोर्ट द्वारा बनाई कमेटी में शामिल सदस्य इन कृषि कानूनों को क्रांतिकारी सुधार बता चुके. आंदोलनरत किसानों की मांग इन काले कानूनों को रद्द कराने की है, रोक लगाने की नही

पटौदी 12/01/2021 : ‘जो लोग समझ रहे है की आज किसानों की बड़ी जीत हुई है तो वो गलत सोच रहे है। आज भी वही हो रहा है जो वो बीजेपी चाह रही है। किसान आंदोलन खत्म करना ही उनका काम है’ उक्त बातें कॉन्ग्रेस नेत्री सुनीता वर्मा ने किसान आंदोलन को लेकर आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कही।

वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कहा कि सुप्रीम कोर्ट स्टे लगाएगी, आंदोलन खत्म होगा फिर कोर्ट स्टे हटा देगा, आंदोलन भी खत्म और बिल भी लागू। यह है सरकार का मास्टर स्ट्रोक। जबकि कोर्ट को समझना होगा कि किसान इस कानून पर रोक नही चाह रहे वो इन काले कृषि कानूनों को सिर्फ रद्द करवाना चाह रहे हैं।

कॉन्ग्रेस नेत्री वर्मा ने कहा कि होल्ड करने में और रद्द करने में बहुत अंतर है! इसमें भी कही न कही भाजपा सरकार की साज़िश ही है! आखिर होल्ड के मायने क्या हैं.? कितने समय के लिए किसान-बिल को होल्ड किया गया है.? तय तारीख के बाद उस होल्ड का स्टेटस क्या होगा.? और सबसे बड़ा सवाल –

कल को सुप्रीम कोर्ट ने कानून से होल्ड हटा लिया, तब किसान कहां जाएंगे?

उन्होंने कोर्ट द्वारा बनाई चार सदस्यीय कमेटी पर भी टिप्प्णी करते हुए कहा कि इस समिति में शामिल लोग कृषि कानूनों के समर्थन में अपना मत सार्वजनिक कर चुके हैं। मतलब, जिन लोगों के सलाह-मशविरे से ये कानून बनें, उनसे ही इनकी समीक्षा कराई जाएगी। कमेटी में शामिल अशोक गुलाटी तो सरकार द्वारा बनाये कृषि कानूनों को क्रांतिकारी सुधार बता चुके हैं।

कॉन्ग्रेस नेत्री सुनीता वर्मा ने प्रदेश की गठबंधन सरकार पर भी हमला बोलते हुए प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि खट्टर सरकार को अविश्वास का डर सता रहा है, क्योंकि वो जानते हैं कि उनकी पार्टी के और उनकी सहयोगी पार्टी के विधायक ही अंदरखाने नाराज है और वो सरकार में अविश्वास जताते हुए वोटिंग करेंगे।

खुद डिप्टी सीएम अपने विधायकों के दबाव में हैं। इस आंदोलन को किसानों का आंदोलन नही बताने वाली खट्टर सरकार भी किसानों से अब कैमला प्रकरण के बाद खौफ खा गई है।