गुरुग्राम, 8 जनवरी -हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज गुरुग्राम विश्वविद्यालय के नए मॉडल का अनावरण किया। मुख्यमंत्री का शुक्रवार सुबह गुरूग्राम विश्वविद्यालय में जाने का अचानक कार्यक्रम बन गया। 

अनावरण के दौरान सीएम मनोहर लाल ने गुरूग्राम विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि जैसा पवित्र नाम वैसा ही पवित्र ज्ञान। भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और इसी परंपरा को आगे बढ़ाने का काम गुरुग्राम विश्वविद्यालय में निरंतर चल रहा है। उन्होंने गुरु द्रोणाचार्य का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में सदियों से गुरु-शिष्य परंपरा समाज और देश का मार्गदर्शन करती रही है। अनेक ऐसे महापुरुष हुए हैं, जिन्हें संवारने और उनके जीवन को नई दिशा देने में उनके गुरुओं की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने कहा कि बदलते समय में गुरु-शिष्य परंपरा और शिक्षक-शिक्षण का स्वरूप भले ही बदल गया है लेकिन सभ्य समाज और सशक्त राष्ट्र के निर्माण में विश्वविद्यालय की भूमिका आज भी उतनी ही मूल्यवान है।  इस लिहाज से गुरुग्राम  विश्वविद्यालय इस दिशा में बहुत अच्छा कार्य कर रहा है क्योंकि अगर आज का युवा कर्मठ एवं अनुशासित हो तो देश का भविष्य निश्चित ही उज्जवल होगा। ऐसे में विश्वविद्यालय की भूमिका निश्चित रूप से काफी अहम हो जाती है। बेहतर शिक्षा के सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। शिक्षा हम में आत्मविश्वास विकसित करने के साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायक होती है। सभी के जीवन में शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा के सभी स्तर अपना एक विशेष महत्व और स्थान रखते है, जो केवल अच्छी शिक्षा के माध्यम से ही संभव है। साथ ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मारकण्डेय आहूजा के प्रयासों की जमकर प्रशंसा की।

   इस मौके पर गुरुग्राम  विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर मार्कण्डेय आहूजा ने कहा कि आज हमारा सौभाग्य है कि गुरुग्राम विश्वविद्यालय के नए मॉडल का अनावरण हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया है। उन्होंने गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कांसेप्ट पर बोलते हुए  कहा कि हमारा प्रयास है कि हमारी जड़े भारतीयता में हों और हमारी उड़ान आधुनिकता की तरफ जाए क्योंकि हमारा ध्येय वाक्य है ‘विद्या जीवनाय न तू जीवकाय‘ है अर्थात् विद्या को अब तक जीविका के साथ जोड़ा गया था लेकिन हमने जीवन के साथ जोड़ने का काम किया है।  

डॉक्टर आहूजा ने गुरूग्राम विश्वविद्यालय के नए मॉडल के बारे में सभी को विस्तार पूर्वक बताया और कहा कि इस विश्वविद्यालय की पहचान आने वाले दिनो में अन्य परंपरागत विश्वविद्यालयों की तरह नहीं बल्कि इसकी पहचान ज्ञान केंद्र के रूप में होगी। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की परिकल्पना के अनुसार यहां शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं । यहां शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट काम हो और एक मिसाल बने, इसका ध्यान रखा जा रहा है।  

डॉक्टर आहूजा नेे कहा कि आज का दिन गुरुग्राम विश्वविद्यालय के लिए ऐतिहासिक है, जब एक सपना साकार होने जा रहा है। आने वाले सालों मे लोग देखेंगे कि सभी रास्ते गुरुग्राम विश्वविद्यालय  की ओर जा रहे होंगे। हमारे लिए, गुरुग्राम विश्वविद्यालय वर्तमान एवं अतीत के बीच एक कड़ी है तथा हमारी संस्कृति का सेतु है। यह विश्वविद्यालय हमारी भारतीय संस्कृति की ओर देखो नीति का अभिन्न अंग है तथा आज इसके नए मॉडल का  अनावरण इसी दिशा में एक प्रयास है। उन्होंने बताया कि गुरुग्राम विश्वविद्यालय का हरा-भरा  नया परिसर गुरुग्राम से करीब 15 किलोमीटर दूर गांव कांकरौला के सेक्टर -87 में बन रहा है। यह देश में अपनी तरह का पहला परिसर होगा, जहां विश्वविद्यालय में प्रवेश करते ही विघ्नहर्ता श्रीगणेश के दर्शन होंगे, जो निश्चित रूप से शिक्षा के साथ साथ धार्मिक आस्थाओं को भी बढ़ावा देगा। भगवान श्री गणेश को बुद्वि , ज्ञान , कला का प्रतीक माना जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए गुरूग्राम विश्वविद्यालय का मास्टर प्लान भगवान गणेश के आकार के जैसा तैयार किया गया है।

मास्टर प्लान में एडमिन्सिट्रेशन ब्लाॅक , आॅडिटोरियम, फैक्लटी हाउस बिल्डिंग , फार्माेस्यूटिकल साईंस ब्लाॅक, फिजियोथेरेपी ब्लाॅक, लाइफ साइंस ब्लाॅक, साईंस ब्लाॅक, इंजीनियरिंग ब्लाॅक, कामर्स एंड मैनेजमेंट ब्लाॅक, ह्यूमिनिटी एंड साईंस ब्लाॅक, लाॅ ब्लाॅक, यूनिवर्सिटी हैल्थ सैंटर, एनिमल हाउस ब्लाॅक, वर्कशाॅप, सैंट्रल लाइब्रेरी, इनोवेशन सैंटर, एथलैटिक्स ट्रैक, हाॅकी मैदान, बाॅस्केटबाल व बैडमिंटन कोर्ट, वीसी रेजीडेंस, कर्मचारी आवास, गल्र्स व ब्याॅज हाॅस्टल, सर्विस ब्लाॅक, पार्किंग , टेंपरेरी आॅफिस व कैंटीन शामिल की गई हैं। माना जा रहा है कि अगले तीन सालों में यह विश्वविद्यालय पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा।

 इस अवसर पर श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति राज नेहरू तथा महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के कुलपति डा. राजबीर सिंह व गुरूग्राम विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार तथा डिप्टी रजिस्ट्रार सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। 

    

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