बच्चों पर अभिभावक अनावश्यक दबाव कभी नहीं बनाएं. हम दिमाग का कुल 2 प्रतिशत ही इस्तेमाल कर पाते हैं. अभिभावक बच्चियों को 12वीं कक्षा तक अवश्य पढ़ाये फतह सिंह उजाला पटौदी । जिंदगी में बुरा दौर अथवा समय ही हमारे लिए सबसे बड़ा शिक्षक साबित होता है । वास्तव में बुरा समय ही हमारा वास्तविक शिक्षक है । ऐसे समय में ही हम प्रतिकूल और विपरीत हालात में आगे बढ़ने के लिए अपने दिमाग सहित सोच का इस्तेमाल करते हैं । वैज्ञानिक खोज के मुताबिक इंसान अपने दिमाग का कुल 2 प्रतिशत ही इस्तेमाल कर पाता है और यही 2 प्रतिशत वह हिस्सा है जो कि किसी भी इंसान के लिए उसकी मंजिल प्राप्त करने का माध्यम बनता है। फिर वह चाहे आईएएस और आईपीएस हो, कोई वैज्ञानिक हो, कोई दार्शनिक हो, समाज सुधारक हो, ऐसा इंसान समाज और देश का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम होता हैं । यह बात उप जिला शिक्षा अधिकारी कल्पना रंगा ने शनिवार को सबसे बड़े गांव बोहड़़ाकला में युवा विकास मोर्चा के द्वारा निशुल्क सिलाई सेंटर का उद्घाटन करने के बाद मौजूद अभिभावकों और सिलाई प्रशिक्षण लेने वाली युवतियों सहित महिलाओं को संबोधित करते हुए कहीं । इस मौके पर मेजबान गांव के सरपंच यादवेंद्र शर्मा गोगली , राजेंद्र सैनी , लख्मीचंद , राजेश सैनी , कर्नल रोशन पाल सिंह , नेकीराम, विक्रम भटनागर, भारत भूषण , मनोज कौशिक, रामबहादुर, ईश्वर सहित सिलाई का प्रशिक्षण देने वाली साहिल और प्रमिला भी मौजूद थे । इस मौके पर उप जिला शिक्षा अधिकारी कल्पना रंगा ने कहा कि यह स्वभाविक बात है बच्ची के जन्म लेते ही अभिभावकों के सामने बड़ी चिंता आन खड़ी होती है । उन्होंने मौके पर मौजूद सभी प्रबुद्ध नागरिकों और अभिभावकों का आह्वान किया कि अपनी बच्चियों को कम से कम कक्षा बारहवीं तक अवश्य शिक्षा दिलवाएं। इसके बाद में 12वी तक शिक्षित अथवा पढ़ी-लिखी बच्चियां आज के समय में 6 माह का 1 वर्ष का 2 वर्ष का कोई भी ऐसा तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकती हैं, जिसके बूते पर स्वावलंबी बना जा सकता है । इस कड़ी में सिलाई और कढ़ाई के अलावा अन्य कोई भी बेहतर विकल्प नहीं सामने दिखाई देता है । सिलाई कढ़ाई प्राप्त युवतियां कम खर्च में और कम स्थान पर अपना व्यवसाय कर सकती हैं । इसके अलावा ब्यूटी पार्लर, कंप्यूटर सहित और भी विभिन्न प्रकार के रोजगार परक प्रशिक्षण आज के समय में उपलब्ध है । सरकार के द्वारा भी कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक छात्राओं को विभिन्न प्रकार के रोजगार परक प्रशिक्षण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं । उन्होंने इसी मौके पर यह भी कहा कि बच्चियों के साथ साथ लड़कों की शिक्षा पर भी अवश्य ध्यान दें । क्योंकि आज के समय में कोई भी युवती यह नहीं चाहेगी कि उसका जीवन साथी शिक्षित ना हो । इसके साथ ही उप जिला शिक्षा अधिकारी कल्पना रंगा ने अभिभावकों से यह भी आह्वान किया कि जो बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं , उन पर अनावश्यक शिक्षा के लिए दबाव नहीं डाला जाना चाहिए। आज जरूरत है बच्चों की मनोदशा को समझने और उनके साथ दोस्ताना माहौल में रहने की। विशेष रुप से ग्रामीण अंचल में महिलाओं के सशक्तिकरण सहित उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम किया जाने की बहुत जरूरत है। इस मौके पर मेजबान संस्था के द्वारा मुख्य अतिथि उप जिला शिक्षा अधिकारी को समृति चिन्ह देकर अभिनंदन किया गया । वही करोना काल से लेकर विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्यों में अपना योगदान देने वाले लोगों को भी मुख्य अतिथि के हाथों सम्मानित करवाया गया । Post navigation खैंटावास बस अडडा चौराहे पर बढ़ती सड़़क दुर्घटना नशेड़ी ट्रक चालक …तोड़ दी बैंकट हॉल की दीवार और मजबूत गेट