-न्यायालय के आदेशों की अवमानना में सरकार की तरफ से दाखिल किया शिक्षा नियम 158ए मामले में जवाब -हरियाणा स्कूल एजुकेशन रूल 158ए को सही ढंग से लागू नहीं करने पर स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन ने न्यायालय में लगाई थी गुहार  – -कोर्ट अवमनना के बाद शिक्षा विभाग ने सरकार के समक्ष भेजा कानून बनाने का मसौदा, 12 फरवरी को होगी मामले की फिर सुनवाई

भिवानी, 30 दिसंबर। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में हरियाणा सरकार ने हरियाणा स्कूल एजुकेशन रूल 158ए में सुनवाई के दौरान जवाब दाखिल किया है। हरियाणा सरकार की तरफ से हाई कोर्ट में दिए जवाब में कहा गया है कि अभी तक सरकार के पास ज्यादा फीस को रेगुलेट करने को लेकर कोई नियम नहीं बना है, जिसके तहत ऐसे मामले को चेक कर कोई कार्रवाई कर सकें। प्राइवेट स्कूलों में बढ़ी हुई फीस संबंधी मामलों में कार्रवाई के लिए भी कोई मापदंड निर्धारित नहीं है। 

दरअसल स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना को लेकर न्यायालय की शरण में गए थे। इसी मामले में हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से 34 दिसंबर तक जवाब दाखिल किए जाने के आदेश दिए थे। इसी के बाद हरियाणा सरकार ने न्यायालय में अपना जवाब दाखिल कर इस बात का खुलासा किया है।

बृजपाल सिंह परमार ने प्रदेश भर के 8600 निजी स्कूलों में हरियाणा शिक्षा नियमावली के शिक्षा नियम 158ए के तहत फीस संबंधी मामलों का निपटान नहीं करने पर एफएफआरसी (फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी)पर गंभीर सवाल उठाए थे। इसी को लेकर 28 जुलाई को एक याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी। उसी दिन 28 दिन के अंदर सरकार को इस मामले में एक्शन लेने के आदेश हुए थे। मगर फिर भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया था। जिस पर बृजपाल सिंह परमार ने न्यायालय के आदेशों की अवमानना को लेकर फिर से अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल द्वारा 11 दिसंबर को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 फरवरी 2021 को होगी। 

शिक्षा विभाग ने राज्य सरकार के समक्ष भेजी ये सिफारिश

शिक्षा महानिदेशक ने इसी मामले में राज्य सरकार के समक्ष सिफारिश भेजी हैं, जिसमें कहा गया है कि वर्तमान में स्कूलों द्वारा शुल्क वृद्धि को नियंत्रित करने की कोई व्यवस्था नहीं है, क्योंकि विद्यालयों को केवल उन्हीं द्वारा वार्षिक शुल्क का भुगतान करते हुए प्रपत्र 6 प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया था। न्यायालय की खंडपीठ द्वारा निर्धारित मापदंडों को ध्यान में रखते हुए निजी स्कूलों द्वारा मुनाफाखोरी, वाणिज्यीकरण और निधि के अंतरण को दूर रखना। स्कूलों द्वारा शुल्क वृद्धि के विनियमन के लिए उचित विनियामक प्रणाली विकसित करने के लिए विभाग ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा हरियाणा, पंचचुला की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है।

उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में विस्तृत चर्चा और जांच के बाद समिति की सिफारिश की गई। अधिनियम और नियमों में उपरोक्त संशोधन का मसौदा सुष्मिता था कानूनी याद और सरकार के प्रशासनिक सचिव, हरियाणा कानून और विधायी विभाग के लिए एलआर हरियाणा को सलाह दी गई है कि वे इन्हें सुशिक्षित करें। उनके अनुमोदन और उसके बाद के मंत्रियों की परिषद के मामले में, कुछ को आगे बढ़ाएं आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए एलआर हरियाणा के लिए एलआर से निर्देश के अनुपालन में पद, संशोधन का प्रारूप विचार/सिफारिश के लिए राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया है। उपर्युक्त कथित संशोधन नियमों का हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम, 2003 में प्रस्तावित संशोधित नियमों का प्रारूप प्रस्तुत करना सरकार के अधीन है।