दीमक को नष्ट करने की बजाये दीमक प्रबंधन को समझें.
रासायनिक कीटनाशक छिड़काव मानव जीवन में जहर

फतह सिंह उजाला
पटौदी।
 दीमक खेत में पडे़ पुरानी फसल के अवशेष, पेड़ों के पत्ते, तना, को खाकर जो मल विर्सजन करती है, वह कार्बनिक पदार्थ तथा पौधों के पोषक तत्तवों से परिपूर्ण होता है। यही फसलों की उत्पादन क्षमता को बढाने में अत्यधिक सहायक साबित होता है। इसलिए दीमक को नष्ट करने की बजाये दीमक प्रबंधन तकनीकों को समझना चाहिए। तथा फसलों को दीपमक से बचाने के लिए फसलों के अवशेष तथ अन्य कार्बनिक पदार्थ , खाद्य पर्दाथ के रुप में पशुओं के गोबर से बने उपलों को समायोजित करना चाहिए।

यह कृषि विज्ञान केंद्र शिकोपुर के कृषि वैज्ञानिक डा. भरत सिंह क्षेत्र में गेंहू , सरसों, मौसमी सब्जियों की फसल को दीमक से बचाने के लिए जागरुकता अभियान के दौरान किसानों को बताई। उन्होंने बताया कि अनावश्क कीटनाशाक , रसायनों का इस्तेमाल खेती, जमीन ही नहीं बल्कि वातावरण तथा मानव जीवन पर भी अपना बुरा असर करते है। इसलिए किसान भाई कीटनाशक, रसायनिक खादों के उपयोग से बचे। उन्होंने बताया कि कुछ किसान भाई खडी फसलों में फोरटी 10 जी जैसे घातक कीटनाशाक का इस्तेमाल करते है जो बेहद की खतरनाक है। हरी प्याज, मैथी, पालक, गोभी तथा कुछ पत्तेदार सब्जियों में भीघोल रासायनिक कीटनाशकों के छिडकाव करते है। ऐसा करने से भले ही वह अपनी फसल की सुरक्षा कर सकते है लेकिन पर्यावरण और मानव जीवन में जहर रहे है

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