गांव सुल्तानपुर निवासी सैनिक तिलक राज छुट्टी पर आया था.
बीते माह 27 नवंबर को तिलक राज का सोहना हुआ था विवाह.
साथी से मिलने भिवानी जाते पशु को बचाते कार पलट गई

फतह सिंह उजाला

पटौदी।  जिला झज्जर के बेरी थाना सीमा क्षेत्र में सड़क हादसे में घायल हुए खंड फर्रुखनगर के गांव सुल्तानपुर निवासी 17 राजपूत बटालियन के जवान तिलक राज पुत्र नंद लाल चैहान ने दिल्ली के आर आर अस्पताल में अंतिम सांस ली। मृतक जवान का शनिवार को गांव सुल्तानपुर के शमशान घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया। 17 सिख बटालियन दिल्ली के कैप्टन सागर मुदगिल सहित मौके पर पहुंचे एक गारद आफिसर, दो जेसीओ, 35 अन्य जवानों ने हवाई फायर करके सशस्त्र सलामी दी और सरपंच राकेश चैहान सहित सेना के उच्च अधिकारियों ने तिलक के पार्थिक शरीर पर पुष्प चक्र चढ़ा अंतिम विदाई दी। तिरंगे में लिपटे तिलक राज के अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में क्षेत्रवासी पहुंचे और  अशुपूर्ण विदाई दी।

परिवारिक सुत्रों के अनुसार तिलक राज 17 राजपुताना बटालियन में सिपाही के पद पर कार्यरत था। 8 नवम्बर को वह अपनी शादी के लिए दो माह की छुटटी पर घर आया हुआ था। 27 नवम्बर को गांव आटा खंड सोहना से उसकी शादी हुई थी। गत सप्ताह अपने दोस्त जिले सिंह के साथ अपनी मारूति कार में भिवानी किसी कार्य से जा रहा था। जैसे ही बेरी थाना सीमा क्षेत्र में पहुंचे तो सड़क पर आवारा पशु आ गए। आवारा पशुओं को बचाने के चक्कर में उसकी कार नियंत्रण से बाहर हो गई और दुर्घटना ग्रस्त होकर खेत में पलट गई। सड़क हादसे में लगी चोट के कारण तिलक राज को ज्याद चोटे आई।

उपचार के लिए उसकों एम्स रोहतक में भर्ती कराया गया। स्वास्थ्य में सुधार न होते देख उसकों दिल्ली के आर आर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जीवन और मृत्यु बीच एक सप्ताह तक संर्घष करने के बाद शनिवार को तिलक राज ने अंतिम सांस ली। जैसे ही गांव में तिलक राज की मृत्यु का समाचार पहुंचा तो  गांव व क्षेत्र मामत सा छा गया। तिरंगे में लपेट कर सेना के जवानों की टुकडी गांव सुल्तानपुर पहुंची तो हजारों की संख्या में क्षेत्र के लोग एकत्रित हो गए और सभी के चेहरे पर मायूशी और दुख के भाव प्रकट हो रहे थे।

एक माह ही पति-पत्नी का साथ

बतां दे कि तिलक राज अपने पिता के एकलौता पुत्र था। उसकी एक बहन छोटी है जो घर पर ही अपने किसान माता पिता का हाथ बटवाती है। 27 नवम्बर को तिलक राज की शादी हुई थी। परिवार उसकी शादी के जशन में लीन था। उन्हे क्या पता था कि जिस पुत्र की शादी के बाद वह इतने उत्साहित है वह खुशी मात्र एक माह में जाती रहेगी। दुलहन ने भी नहीं सोचा था की 27 नवम्बर को अग्नि को साक्षी मान कर सात जन्मों का बंधन निभाने का वायदा करने वाला तिलक राज उसे मात्र एक माह में ही अलविदा कह जायेगा। तिलक राज की मृत्यु को परिवार व गांव के लोग भुला नहीं पा रहे है। 

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