भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दिया मुख्यमंत्री खट्टर की टिप्पणी का जवाबपूछा- क्या अन्नदाता की मांगों और इतने बड़े आंदोलन को मुद्दा नहीं मानती सरकार?सरकार बनाम किसान की लड़ाई में सत्ता सहयोगी कई विधायकों ने किया है किसानों के समर्थन का ऐलान- हुड्डासरकार को डर है कि अगर अविश्वास प्रस्ताव आया तो सत्ता सहयोगी विधायक भी करेंगे सरकार के ख़िलाफ़ वोट- हुड्डामुख्यमंत्री नहीं चाहेंगे कि उनके ख़िलाफ़ आए अविश्वास प्रस्ताव, इसलिए संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करके राज्यपाल बुलाएं विशेष सत्र- हुड्डा 26 दिसंबर, चंडीगढ़ः हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि गठबंधन सरकार जनता ही नहीं सत्ता सहयोगी कई विधायकों का विश्वास भी खो चुकी है, इसलिए सीएम अविश्वास प्रस्ताव से बच रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा था कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि विपक्ष के पास कोई ख़ास मुद्दा नहीं है। इसके जवाब में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज प्रदेश का अन्नदाता सड़कों पर है। वो दिल्ली बॉर्डर समेत पूरे हरियाणा में सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहा है। कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठे आंदोलनकारियों में से रोज़ किसी न किसी एक किसान की जान जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसानों के इतने बड़े आंदोलन को प्रदेश सरकार मुद्दा नहीं मानती? क्या रोज़-रोज़ हो रही किसानों की शहादत को सरकार मुद्दा नहीं मानती? भला इससे बड़ा मुद्दा सरकार के लिए और क्या हो सकता है? हुड्डा ने दोहराया कि वो किसानों के इन्हीं मुद्दों पर विधानसभा में सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहते हैं। क्योंकि, कई निर्दलीय विधायक सरकार से समर्थन वापस ले चुके हैं। किसान बनाम सरकार की इस लड़ाई में गठबंधन सहयोगी जेजेपी के कई विधायकों ने भी किसानों के समर्थन की बात कही है। स्पष्ट है कि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार जनता ही नहीं, ख़ुद के विधायकों का भी विश्वास खो चुकी है। अगर विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव आता है तो ख़ुद सत्ता सहयोगी सरकार के ख़िलाफ़ मत डालेंगे। इसीलिए हमने राज्यपाल से विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। मुख्यमंत्री की तरफ से इस मांग को ख़ारिज करना बताता है कि उन्हें ख़ुद अपनी सरकार और विधायकों पर भी भरोसा नहीं है। सरकार को डर है कि अगर सदन में अविश्वास प्रस्ताव आया तो ख़ुद सत्ता सहयोगी कई विधायक सरकार के ख़िलाफ़ वोट करेंगे। इसलिए मुख्यमंत्री बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि उसके ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव आए। राज्यपाल और मुख्यमंत्री की अलग-अलग सवैंधानिक शक्तियां है। ऐसे में हमने सीधे राज्यपाल को पत्र लिखकर अपील की थी कि वो प्रदेश के किसानों की स्थिति और राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करें और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्यपाल अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए विधानसभा का विशेष सत्र बुला सकते हैं। इससे ना सिर्फ लड़खड़ाती हुई सरकार का सच जनता के सामने उजागर हो जाएगा बल्कि, उन विधायकों की दोगली नीति का पर्दाफाश भी हो जाएगा जो किसानों का वोट लेकर महज़ कुर्सी के लालच में किसान विरोधी सरकार की गोद में बैठे हैं। सिर्फ विपक्ष ही नहीं प्रदेश की जनता भी किसानों के मुद्दे पर हरेक विधायक के स्टैंड बारे जानना चाहती है। जनता को पता होना चाहिए कि उनके प्रतिनिधि आज किस पाले में खड़े हैं। वो किसानों के साथ हैं या कुर्सी के साथ? Post navigation नई भर्ती प्रक्रिया शुरू:ड्राइंग टीचर के 816 पदों पर दोबारा भर्ती होगी, 2006 के 15000 आवेदकों को मौका सोमवार को हजारों किसानों के साथ सिंघु बार्डर पर किसान आंदोलन को समर्थन देने पहुंचेंगे अभय सिंह चौटाला