-कमलेश भारतीय

शिक्षक और छात्र का रिश्ता न केवल पढ़ाने बल्कि सीखाने वाला भी है । यह कहना है हिसार के प्रतिष्ठित पुराने दयानंद महाविद्यालय के प्रिंसिपल विक्रम जीत सिंह का । उनका कहना है कि शिक्षक और छात्र में मधुर संबंध होने चाहिए और सिखाने और पढ़ाने में बहुत अंतर है । सिर्फ पढ़ाना ही नहीं जीवन जीना सिखाना भी है । मैं इस महाविद्यालय को शिखर पर ले जाना चाहता हूं ।
मूल रूप से कैथल निवासी विक्रमजीत की जमा दो तक की शिक्षा कैथल के आर के एस डी काॅलेज में हुई और ग्रेजुएशन कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूटीडी काॅलेज से की । एम ए राजनीति-शास्त्र जवाहर लाल यूनिवर्सिटी, दिल्ली से । एम फिल कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से ।

-पहली जाॅब कहां से ?
-कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के लाॅ डिपार्टमेंट में दो साल ।

-दयानंद महाविद्यालय में कब से?
-दिसम्बर , 1997 से राजनीति-शास्त्र के प्राध्यापक के तौर पर । अब मार्च , 2020 से प्रिंसिपल ।

-काॅलेज, यूनिवर्सिटी में रहते किन किन गतिविधियों में भाग लिया?
-सर , आॅल इंडिया इंटर काॅलेज भाषण प्रतियोगिता में प्रथम । आॅल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी डिबेट कम्पीटिशन तक पहुंचा । युवा समारोह में श्रेष्ठ एक्टर । यूटीडी काॅलेज का श्रेष्ठ वक्ता और काॅलेज कलर से सम्मानित ।

-कोरोना के चलते क्या काम कर पाये?
-बाइस वेबिनार आयोजित करवाये । काॅलेज और छात्रों को व्यस्त रखा ।

-अब प्रिंसिपल बनने के बाद क्या संकल्प ?
-सर , इस काॅलेज की बहुत प्रतिष्ठा है और अनेक योग्य लोग इसके प्रिंसिपल रहे । मैं भी कोशिश करूंगा कि इसकी प्रतिष्ठा को और बढ़ा सकूं । पूर्व प्रिंसिपल की विरासत को संभाल और बढ़ा सकूं । इसे शिखर पर ले जाऊं । हर क्षेत्र में -शैक्षणिक , सांस्कृतिक, खेलकूद सभी क्षेत्रों में ।

-छात्रों और अध्यापकों के लिए क्या योजना?
-काॅलेज को तनाव रहित माहौल दे सकूं । सभी तनाव रहित काम कर सकें , ऐसा माहौल बनाऊं । छात्रों को अच्छे नागरिक बना सकें हम शिक्षक ।

हमारी शुभकामनाएं विक्रमजीत सिंह को । आप इस नम्बर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं : 9017688909

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