उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का उनके ही हलके उचाना के लोगों ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया, वह किसान आंदोलन में मध्यस्ता करने का जुमला उछालकर किसानों से क्रूर मजाक कर रहे है।
काले झंडे दिखाने वालों केे खिलाफ मुख्यमंत्री की हत्या के प्रयास में एफआईआर दर्ज कराना लोकतांत्रिक कदम है?
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना एक साल पूर्व लागू की जा चुकी है, उसका जश्न मनाकर संघी कब तक किसानों को ठगेंगे?

25 दिसम्बर 2020 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने सत्ता मद में चूर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर द्वारा आंदोलनरत किसानों को धींगामस्ती करने वाले व आंदोलन का समर्थन करने वालों को धींगामस्ती का समर्थक बताना शर्मनाक व अलोकतांत्रिक है।

विद्रोही ने सवाल किया कि जब खट्टर और भाजपाई-संघी विपक्ष में रहते सड़क जाम करते थे, सत्तारूढ़ कांग्रेस नेताओं का घेराव करते थे, सड़कों पर नाचते थे और यहां तक नंगे होकर सार्वजनिक प्रदर्शन करते थे, तब क्या वे भी धींगामस्ती-गुंडागर्दी करते थे या जनहित के सवाल उठाते थे? खट्टर जी व संघीयों को विपक्ष में रहते अपने विरोध की तस्वीरे, वीडियो फिर से देखकर ही आंदोलन के संदर्भ में अनर्गल बाते करने से बचना चाहिए। वहीं खट्टर जी व संघी यह भी न भूले के वे सदैव ही सत्ता में रहने वाले नही है, देर-सवेर उन्हे भी विपक्ष में आना है।

विद्रोही ने खट्टर से पूछा कि क्या अम्बाला में उनके काफिले को रोकने वाले व काले झंडे दिखाने वालों केे खिलाफ मुख्यमंत्री की हत्या के प्रयास में एफआईआर दर्ज कराना लोकतांत्रिक कदम है? किसान तीन काले कृषि कानूनों का विरोध करने आये थे न कि मुख्यमंत्री की हत्या करने।

मुख्यमंत्री खट्टर आंदोलनरत किसानों को खालिस्तानी, आतंकवादी, अराजतक तत्व, कांग्रेस एजेंट तक बता चुके है। अब उन्होंने इन्हे गुंडा बताकर रही सही कसर भी पूरी कर ली। वहीं जिस उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का उनके ही हलके उचाना के लोगों ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया, वह किसान आंदोलन में मध्यस्ता करने का जुमला उछालकर किसानों से क्रूर मजाक कर रहे है।

विद्रोही ने कहा कि जिस दुष्यंत चौटाला की भाजपा-संघ में एक बंधुआ मजदूर जैसी हैसियत है, वह किसानों को न्याय दिलवाएगा, इसकेे अधिक बडबौलापन और क्या हो सकता है? एक ओर देशभर के किसान काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत है, वहीं प्रधानमंत्री मोदीजी किसान सम्मान निधि देने के नाम पर जश्न मनाकर किसानों के जले पर नमक छिडक रहे है। सवाल उठता है कि जो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना एक साल पूर्व लागू की जा चुकी है, उसका जश्न मनाकर संघी कब तक किसानों को ठगेंगे? विद्रोही ने मोदी जी को सलाह दी कि फिर तो वे गरीबों को हर माह मिलने वाले सस्ते राशन का भी हर माह जश्न मनाकर अपने मुंह मियों मिठठू बन सकते है।

जो प्रधानमंत्री सत्ता दुरूपयोग से अपने दास गोदी मीडिया के द्वारा हर रोज पुरानी योजनाओं पर जश्न मनवाकर अपना महिमामंडन करवाता हो, वह कितना निजी प्रशंसा का भूखा है, यह बताने की जरूरत नही। दुर्भाग्य से देश में ऐसे ठगों की की सरकार आ गई है जो एक बंदू खून बहाकर सत्ता दुरूपयोग से अपने को शहीद बताने का कुप्रचार करते है।

विद्रोही ने कहा कि मोदी-भाजपा सरकार कितनी फासिस्ट है, यह इसी से पता चलता है कि जब दिल्ली में राहुल गांधी नेतृत्व में किसान समर्थन में कांग्रेस राष्ट्रपति भवन तक मार्च करती है तो उसे यह कहकर रोक दिया जाता है कि इससे कोरोना संक्रमण फैल सकता है। वहीं जिस गृह मंत्री अमित शाह पर कोरोना बचाव गाईड लाईन पालन करवाने का जिम्मा है, वह खुद चुनावी रोड शो करके सभी नियमों की धज्जियां उड़ाते है कि मानो उनके भीड़भरे रोड़ शो से कोरोना भागता हो। विद्रोही ने आरोप लगाया कि सच तो यह है कि मोदीजी लोकतंत्र की आड़ में देश पर फासीजम थोप रहे है। 

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