गुरुवार को जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पहुंचे भीम सेना के चंद्रशेखर. चंद्रशेखर बोले किसानों का यह बलिदान नहीं जाएगा व्यर्थ. किसान दे रहे बलिदान सरकार कर रही अपना ही गुणगान

फतह सिंह उजाला

जयसिंहपुर खेड़ा । बीते 12 दिनों से दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर अहीरवाल के लंदन रेवाड़ी के बावल और राजस्थान के जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ कड़ाके की ठंड में पूरी गर्मजोशी के साथ अपनी मांगों को मनवाने के लिए लंगर डाले आंदोलनकारी किसानों के बीच भीम सेना के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण विशेष रूप से पहुंचे । हालांकि यहां आगमन की उन्होंने पहले से ही घोषणा कर दी थी। चंद्रशेखर रावण के आगमन को देखते हुए शासन और प्रशासन भी पूरी तरह से चैकन्ना दिखाई दिया ।

इस मौके पर भीम सेना के चंद्रशेखर रावण ने सबसे पहले किसान आंदोलन के दौरान अभी तक अपनी जान कुर्बान करने वाले और संत बाबा राम रहीम के द्वारा दिए गए बलिदान को याद करते हुए 2 मिनट का मौन धारण कर सभी बलिदानी किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की । चंद्रशेखर रावण ने इस मौके पर कहा कि उनका और उनके संगठन का सभी आंदोलनकारी किसानों को पूरा समर्थन है । जहां भी जरूरत होगी भीम सेना और भीम सेना के कार्यकर्ता आंदोलन में किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर केंद्र सरकार को नए किसी कानून वापस लेने के लिए मजबूर करने में हर कदम पर साथ खड़े नजर आएंगे । यह केवल मात्र किसान आंदोलन अथवा किसानों की मांगे नहीं है कि केंद्र सरकार किसी कानूनों को रद्द करें अथवा वापस ले । वास्तव में किसानों का यह संघर्ष और आंदोलन देश के प्रत्येक नागरिक के हक हकूक और अधिकार की रक्षा करने के लिए किया जा रहा अपने आप में अनोखा बेहद शिक्षाप्रद ,अहिंसात्मक ,प्रेरणादायी और युवा पीढ़ी को आंदोलन को आंदोलन के तौर पर सिखाने के लिए किया जा रहा आंदोलन है । इस मौके पर उनके साथ किसान नेता युद्धवीर सिंह भी विशेष रूप से मौजूद रहे

भीम सेना के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद रावण ने केंद्र सरकार को आगाह करते हुए कहा कि समय रहते केंद्र सरकार को अपनी गलती अथवा भूल को सुधार लेना चाहिए । इस काम में जितना अधिक विलंब केंद्र सरकार के द्वारा किया जा रहा है पूरे देश में किसानों के बीच केंद्र सरकार , सत्ता पक्ष , सत्ता पक्ष के सहयोगी दलों के साथ-साथ विभिन्न राज्य सरकारों और वहां के नेताओं के प्रति भी आक्रोश और अधिक बढ़ता जा रहा है । कहीं ऐसा ना हो कि किसानों का यही आक्रोश किसानों के अपने खुद के काबू में ही रह रहे । उन्होंने कहा कि जब कोई भी कानून देश की जनता देश का पेट भरने वाले अन्नदाता कि बिना इच्छा और मर्जी के लागू किया गया और न हीं अन्नदाता ऐसे कानून को अपने हितकर मान रहा है तो ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार की आखिर क्या मजबूरी है कि केंद्र सरकार अपनी ही जिद पर अडिग है ?

दूसरी तरफ बिना किसी हिंसा के शांति प्रिया तरीके से आंदोलन कर रहे किसान अपना बलिदान देते आ रहे हैं । संभवत यह अपने आप में भी एक अनोखा इतिहास है कि इतने विशाल और भव्य आंदोलन में बिना किसी भी प्रकार की हिंसा के एक माह से भी कम समय के दौरान 37 आंदोलनकारी किसानों की जाने चली गई अथवा उन्होंने अपनी कुर्बानी दे दी । उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की सरकार कारपोरेट घरानों को खुश करने के लिए और किसानों को तबाह अथवा बर्बाद करने के लिए अपनी जिद पर अभी हुई कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है । इस प्रकार का अमानवीय व्यवहार और असंवेदनशीलता किसी भी अहिंसात्मक आंदोलन को लेकर इतिहास में शायद ही कहीं दिखाई दे । उन्होंने इस मौके पर मौजूद अनगिनत आंदोलनकारी किसानों में जोश भरते हुए कहा कि अब देखना है जोर कितना बाजु ए कातिल में है और सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है । जनविरोधी किसी भी कानून का विरोध करना देश के प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक और मौलिक अधिकार भी है । ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द किसान आंदोलन का समाधान का रास्ता निकाल कर अपने बड़े दिल और सोच का परिचय दिखाना चाहिए।

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