गुरुवार को जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर किया गया बड़ा ऐलान,
दिल्ली के पश्चिमी प्रवेश द्वार पर अब होगी किसानों की घेराबंदी.
बीते 12 दिनों से राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर पर लंगर डाले किसान

फतह सिंह उजाला

पटौदी । दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे, जिसे की सड़क परिवहन सहित देश की राजधानी दिल्ली की लाइफ लाइन कहा जाता है । इसी नेशनल हाईवे पर अहीरवाल के लंदन रेवाड़ी के साथ लगते बावल और उससे आगे राजस्थान सीमा पर जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर गुरुवार को आंदोलनकारी किसान संगठन और लंगर डाले किसानों ने खुला ऐलान किया कि, रोक सको तो रोक लो अब दिल्ली जाकर ही किसानों के कदम रुकेंगे ।

वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा और इसके सहयोगी विभिन्न किसान संगठनों के द्वारा किसान आंदोलन सहित दिल्ली के चारों तरफ किसानों के जमावड़े को 28 दिन हो चुके हैं । लेकिन न तो केंद्र सरकार किसानों की मांगों को लेकर कथित रूप से गंभीर दिखाई दे रही है, वही अब हाड जमा देने वाली सर्दी में आंदोलनकारी किसानों ने भी अपने आंदोलन को और अधिक गर्मी देने के लिए फैसला कर लिया है । इसी कड़ी में दिल्ली के दक्षिण प्रवेश द्वार को घेरने अथवा वहां तक पहुंचने के लिए अहीरवाल के लंदन रेवाड़ी के बावल और राजस्थान के जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर गुरुवार को किसान आंदोलन के केंद्रीय नेतृत्व के नेताओं के द्वारा आगमन के बाद दिल्ली कूच करने का महत्वपूर्ण फैसला किया गया ।

गुरुवार को जयसिंहपुर खेड़ा और बावल के बीच बॉर्डर पर जहां तक देखो किसान ही किसान दिखाई दे रहे थे । गुरुवार को किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता अमराराम, ताराचंद सिद्धू, बीजू कृष्णन ,  राजाराम मील, विक्रम , राजु , कुलदीप सिंह, पवन दुग्गल, रमजान चैधरी, डॉक्टर संजय माधव, ने बताया कि राजस्थान के अलवर, कोटा बूंदी, श्री गंगानगर , हनुमानगढ़ ,चूरू व अन्य इलाकों से अनेकानेक किसान ट्रैक्टर ट्रालियों में सवार होकर कृषि कानूनों को रद्द करने अथवा वापस लिए जाने के समर्थन में किसान आंदोलन की नई ताकत बनने के लिए शामिल हो चुके हैं । किसान संगठनों के नेताओं के द्वारा साफ-साफ कहा गया कि अब आंदोलनकारी किसान हरियाणा सीमा में प्रवेश करके दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे से होते हुए दिल्ली के दक्षिण प्रवेश द्वार पर ही पहुंचने के बाद अपने कदम रोकेंगे।

बेशक से हरियाणा सरकार, हरियाणा पुलिस, किसानों को शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली की तरफ जाने से रोकने के लिए किसी भी प्रकार का हथकंडा अपनाएं ? लेकिन किसानों का फैसला अटल है कि दिल्ली के दक्षिणी प्रवेश द्वार पर ही पहुंच कर दिल्ली के चारों तरफ पहले से ही मौजूद सीमा पर  धरनारत किसानों से अब अपने आप को और अधिक समय ज्यादा अलग नहीं रख सकते ।

हालांकि हरियाणा में किसानों के प्रवेश करने अथवा इनके आगमन को रोकने के लिए बावल के नजदीक हरियाणा सीमा पर हरियाणा पुलिस के द्वारा जबरदस्त बैरिकेडिंग और नाकाबंदी करके रखी हुई है। जानकारी के मुताबिक जयपुर से दिल्ली जाने वाले रास्ते पर हरियाणा पुलिस के द्वारा बावल के जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर 6 लेयर  बैरिकेट्स , वाटर कैनन वाहन , सीआरपीएफ और हरियाणा पुलिस बल की बड़ी संख्या में तैनाती करके रखी हुई है , कि किसी भी स्थिति में आंदोलनकारी किसान यह बॉर्डर को पार करके दिल्ली की तरफ रवाना नहीं हो सके ।

दिल्ली जाने के ऐलान के साथ ही आंदोलनकारी किसानों के द्वारा 580 मीटर लंबा तिरंगा झंडा भी अपनी एकता और दिल्ली रवानगी के दृढ़ संकल्प के रूप में किसान एकता जिंदाबाद के नारों के साथ में नारे लगाते हुए अपनी कृषि भूमि के प्रति निष्ठा को जाहिर किया गया । वही केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून का तिरंगा लहरा कर विरोध भी दर्ज करवाया गया । आंदोलनकारी किसानों ने साफ-साफ कहा कि अब किसी भी प्रकार की रुकावट हो ,वेरीगेट से बाधा हो, रास्ता रोका जाए, किसानों के कदम दिल्ली सीमा पर जाकर ही रुकेंगे । राजस्थान हरियाणा सीमा पर किसान आंदोलन का नेतृत्व मुख्य रूप से स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव के नेतृत्व में और उन्हीं के द्वारा किया जा रहा है । अब देखना यह है कि शुक्रवार को दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर रोके गए किसान किस रणनीति के तहत अपने किए गए ऐलान के मुताबिक दिल्ली के लिए अपने मजबूत कदम से दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे को नापते हुए दिल्ली के दक्षिणी प्रवेश द्वार तक पहुंच कर किसी कानूनों को रद्द करने अथवा वापस लिया जाने के लिए कैसा और कितना दबाव बनाने में अपने दमखम का परिचय केंद्र सरकार को करवाएंगे।

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