दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे पर किसानों का डेरा बहरोड के एमएलए बलजीत यादव के नेतृत्व में पहुंचे किसान. हरियाणा-राजस्थान सीमा पर बढती जा़ रही किसानों की संख्या. केंद्र को किया आगाह युवा भड़के तो जिम्मेदारी केंद्र की होगी फतह सिंह उजाला पटौदी । केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए 3 नए कृषि कानूनों के विरोध में अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में किसानों का आंदोलन 27 वें दिन भी जारी रहा । इस बीच दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे पर हरियाणा-राजस्थान सीमा पर जयसिंहपुर खेड़ा और अलवर जिला के शाहजहांपुर बार्डर पर राजस्थान की तरफ से बड़ी संख्या में किसानों के आने का सिलसिला जारी है । बुधवार को बहरोड के विधायक बलजीत यादव की अगुवाई में राजस्थान अलवर से बड़ी संख्या में किसान अहीरवाल के लंदन रेवाड़ी सीमा और राजस्थान बॉर्डर के बीच डाले हुए लंगर में शामिल हो गए । बुधवार को आंदोलनकारी किसानों ने पूर्व प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह जिन्हें कि किसान नेता और किसानों का मसीहा भी कहा जाता है , उनकी याद में किसान दिवस को मनाते हुए आंदोलनकारी किसान संगठनों के केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर एक समय का अन्न त्याग भी किया। इस बीच राजस्थान के किसान नेता राजाराम मिल ने धरनारत आंदोलनकारी किसानों से कहा कि किसानों का यह आंदोलन अपने आप में एक ऐतिहासिक आंदोलन से कम नहीं है । आज हम जो किसान केंद्र सरकार के काले कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं , उसका मकसद केवल और केवल आने वाली पीढ़ी और देश में अंतिम पायदान पर बैठे गरीब आदमी के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है । उन्होंने साफ-साफ कहा कि जब तक केंद्र में मोदी सरकार किसान संगठनों और किसानों की मर्जी के बिना अथवा सहमति के बिना थोपे गए तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर देती अथवा वापस नहीं ले लेती तब तक किसानों का यह आंदोलन इसी प्रकार शांतिप्रिय तरीके से अहिंसात्मक रूप से जारी रहेगा । उन्होंने यह भी कहा कि 1966 में पंजाब और हरियाणा अलग अलग हुए , लेकिन अब एक बार फिर से मौका आया है कि पंजाब और हरियाणा के किसानों को अपना भाईचारा और एकता दिखाने का मौका स्वयं केंद्र सरकार सहित पीएम मोदी के द्वारा उपलब्ध करवा दिया गया है । इस किसान आंदोलन की सबसे बड़ी खूबी, अहमियत और खूबसूरती यही रही है कि करीब 1 महीने के दौरान बेशक से 37 से अधिक हरियाणा और पंजाब के किसान अपना बलिदान दे चुके लेकिन फिर भी दिल्ली सीमा के चारों तरफ बैठे आंदोलनकारी किसानों के द्वारा अभूतपूर्व संयम का परिचय कराया गया है । जबकि केंद्र सरकार का हर संभव प्रयास रहा है किसी ना किसी बहाने से किसान आंदोलन को कमजोर करते हुए, फूट डालकर , किसान आंदोलन को नाकाम किया जाए ? किसान नेता राजाराम मिल और बहरोड के विधायक बलजीत यादव ने कहां की केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर किसानों का क्रमिक अनशन अथवा भूख हड़ताल जारी रहेगी , जब तक की आंदोलनकारी किसानों का केंद्रीय नेतृत्व इसके लिए मना नहीं कर देता है । बहरोड़ के विधायक बलजीत यादव ने केंद्रीय सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अभी भी समय है केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों के रूप में की गई अपनी भूल को सुधार ले अथवा गलती को मान ले, यह तीनों काले किसी कानून ऐसे हैं कि आने वाले समय में किसान और किसानी के साथ-साथ व्यापारी और मजदूर पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा । कृषि क्षेत्र पर भी कारपोरेट घरानों का कब्जा होगा और इसके बाद यह घराने किसानों का मनमाना शोषण करते हुए केवल और केवल अपनी धन कमाने की पिपासा को ही शांत करने में जुटे रहेंगे । इसी मौके पर अन्य वक्ताओं ने कहा की हरियाणा की सीमा पर जबरदस्ती रोके गए किसान अपने आंदोलनकारी साथियों के बीच में दिल्ली जाने के वास्ते बेचैन होते जा रहे हैं । ऐसे मैं यदि युवा वर्ग का जोश बेकाबू हो गया तो इसकी पूरी जिम्मेदारी हरियाणा सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार की भी होगी। केंद्र सरकार पहले ही योजनाबद्ध तरीके से देश के विभिन्न सरकारी संस्थानों, प्रतिष्ठानों को कारपोरेट घरानों के हवाले कर चुकी है । दिन प्रतिदिन महंगाई बढ़ रही है , उन्होंने आह्वान किया कि 25 , 26 और 27 दिसंबर को हरियाणा में सभी टोल बैरियर फ्री किए जाएंगे । सत्ता पक्ष और विपक्ष सहित सत्ता पक्ष के सहयोगी दलों के सांसदों-विधायकों को भी किसानों के द्वारा मांग पत्र सौंप कर मांग की जाएगी कि केंद्र सरकार पर नए कृषि कानूनों को रद्द करने अथवा वापस लेने के लिए दवाब बताएं । नेताओं और सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि लोकतंत्र में सबसे बड़ी ताकत आम जनता के पास है, और वह है वोट का अधिकार । यदि अभी भी केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को और सत्ताधारी पार्टी को किसी भी प्रकार का मुगालता है तो आने वाले समय में देशभर का किसान वोट की एक चोट से ही ऐसा सबक सिखाएगा कि फिर कोई भी सरकार किसी भी प्रकार के कानून बनाने से पहले जिसके लिए कानून बनाया जा रहा है उस वर्ग की अनदेखी करने का साहस नहीं जुटा सकेगी। इस मौके पर विशेष रूप से बलवीर छिल्लर, पूर्व एमएलए अमराराम, पूर्व एमएलए महिपाल यादव, छगनलाल चैधरी, महेंद्र यादव, मेवात से जाहिद हुसैन, मौलाना सादिक, रमजान चैधरी, मुफ्ती सलीम ने भी अपने अपने विचार रख किसान एकता को बनाए रखने का आह्वान किया। Post navigation … महज 42 दिन में ही मानेसर नगर निगम बना दिया ! आंदोलनकारी किसानों का ऐलान… रोक सको तो रोक लो , अब दिल्ली पहुंच कर ही कदम रुकेंगे