-जिस स्कूल को मंत्री ने ग्रांट दी उसकी जिला से बाहर भी है कई ब्रांच–दसवीं कक्षा से ऊपर के विद्यार्थी की सालना फीस दो से तीन लाख, ऐसे स्कूल को भी सरकारी ग्रांट नारनौल, (रामचंद्र सैनी): जिला ही नहीं अपितु क्षेत्र में निजी स्कूलों की अग्रणी पंक्ति में खड़े राव प्रहलाद सिंह शिक्षा समिति के तहत चलने वाले आरपीएस सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को सामाजिक न्याय राज्य मंत्री ओमप्रकाश यादव ने अपने मंत्री कोटे से एक ही दिन में स्कूलों में बिना किसी कार्यक्रम के ही 37 लाख रुपये की सरकारी ग्रांट जारी कर डाली। सबसे बड़ी हैरानी और विचित्र बात तो देखिये एक ही मालिक व संस्था द्वारा संचालित महेंद्रगढ और नारनौल शहरों की दोनों ब्रांचों के स्कूलों को एक ही दिन में ग्रांट जारी की गई है। क्षेत्र में संस्था के सभी स्कूल आरपीएस के नाम से प्रसिद्ध है। इसलिए एक ही दिन में महेंद्रगढ और नारनौल के स्कूलों को ग्रांट जारी करने के कागजातों में कही किसी प्रकार का शक या संदेह ना हो इसके लिए भी बड़ी ही चतुराई दिखाई गई है। हरियाणा सरकार के पंचायत एवं विकास विभाग के प्रिंसिपल सचिव की तरफ से 28 मार्च 2020 को जिला उपायुक्त को ग्रांट एलोकेशन का जो पत्र भेजा गया है उसके सीरियल नंबर 6 पर संस्था की नारनौल ब्रांचआरपीएस पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल को लैब निर्माण, उपकरण व फर्नीचर खरीद के लिए 15 लाख रुपये की ग्रांट जारी की गई है। इसी पत्र में सीरियल नंबर 11 पर संस्था के महेंद्रगढ ब्रांच के राव पहलाद सिंह सीनियर सेकेंडरी स्कूल को 22 लाख रूपये की ग्रांट लैब निर्माण, उपकरण व फर्नीचर खरीद के लिए जारी किए गए हैं। दोनों सीरियलों पर ग्रांट जारी करने की एक ही तिथि 19 मार्च 2020 अंकित है। इस मामले में जिला के गांव पालडी पनिहारा के सोमदेव पुत्र विश्वादत ने गत दिवस हरियाणा के राज्यपाल को एक लिखित शिकायत भेजकर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की है। अपनी शिकायत में सोमदेव ने लिखा है कि आरपीएस संस्थाओं का ग्रुप है और एक ही मालिक का है। जिला महेंद्रगढ के ही नहीं बल्कि पडोसी राज्य राजस्थान के बहरोड शहर व हरियाणा के अन्य जिलों में इनके स्कूल हैं। यह ग्रुप कई स्कूल व कालेज चलाता है तथा आर्थिक दृष्टिï से संपन्न है। इन संस्थाओं में महंगी शिक्षा दी जाती है। यहां बारहवीं कक्षा में पढऩे वाले एक विद्यार्थी की सालाना फीस तीन लाख रुपये हैं। सोमदेव ने लिखा है कि ऐसे स्थिति में ऐसी संस्था को एक ही दिन में 37 लाख रुपये बिना किसी सार्वजनिक आयोजन के गुपचुप तरीके से से सरकारी अनुदान देना कई तरह के संदेह पैदा करता है। शिकायतकर्ता ने यह भी लिखा है कि जहां तक मुझे जानकारी है कि मंत्रियों को इस तरह के अनुदान की शक्तियां आम आदमी क भलाई के लिए आम आने वाली संस्थाओं की दी जाती है। यदि इस तरह व्यवसायिक संस्थाओं को व्यक्तिगत हितों की पूर्ति के लिए इसका दुरूपयोग किया जाता है तो इसमें बड़ा गोलमाल होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इसलिए सामाजिक न्याय राज्य मंत्री द्वारा जारी की गई इस ग्रांट की किसी उच्च स्तरीय निष्पक्ष एजेंसी से करवाई जाए। क्या आरपीएस में लैब, उपकरण व फर्नीचर नहीं है:- मंत्री कोटे से ली गई 37 लाख की सरकारी ग्रांट में इस राशि से लैब निर्माण करना, उपकरण और फर्नीचर खरीद के लिए जारी होना दिखाया गया है। आरपीएस ग्रुप के बड़े-बड़े भवन सबकी आंखों के सामने हैं। इनकी सुसज्जित लैब, उपकरण और फर्नीचरों से यहां के विद्यार्थी ही नहीं बल्कि उनके अभिभावक भी अच्छी तरह से वाकिफ है, फिर भी अभी हाल ही में 9 महीने पहले सरकार से इन सबके लिए 37 लाख रुपये लेना, अनेक सवालों को जन्म दे रहा है। अब देखने वाली और जांच का विषय यह बन गया है कि क्या आरपीएस संस्था ने इन 37 लाख रुपयों को खर्च करके इसका पीयूसी (उचित उपयोग प्रमाण)जिला प्रशासन को भेज दिया है और कौन-कौन सी लैब का निर्माण किया है यह विद्यार्थी बता सकते हैं Post navigation जिन्होंने पानी रोका अब वो ही कानून का कर रहे हैं विरोध, उनको भी समझाओ: राव इंद्रजीत दुकानों की छियालीस लाख पगड़ी लेने के बावजूद दो साल तक नहीं लिया किराया, सैनी सभा की मीटिंग में जोरदार हंगामा