भिवानी/मुकेश वत्स

अब 315 वर्षों बाद 26 दिसम्बर को सर्वप्रर्थम भारत माता अभिनंदन संगठन के आह्वान पर दुनिया की सबसे बड़ी बाल शहादत को पूरे राष्ट्र में हर वर्ष बाल बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसी दिन 1705 में सिक्खों के गुरू गोविन्द सिंह के पुत्रों जोरावर सिंह व फतेह सिंह जो कि 8 और 6 वर्ष के थे, ईस्लाम धर्म स्वीकार न करने पर तत्कालीन मुगल नवाब वजीर खान ने सरहिंद किले की दिवार में जिंदा चुनवा दिया था और उनके सिर कलम करवा दिये थे।

भारत माता अभिनंदन संगठन सभी सामजिक संस्थाओं तथा देशवासियों से अपील करता है कि इस मुहिम से जुड़ कर अपना सहयोग व समर्थन दें। भारत माता अभिनंदन संगठन के मुख्य कार्यालय भिवानी से संस्थापक-अध्यक्ष पी डी मित्तल ने साथ ही सभी देशवासियों से अपील की है कि 26 दिसम्बर को सुबह 11 बजे जो जहां भी हो, वहीं 2 मिनट का मौन रख कर इन बाल शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित करें।  

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