कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला का बयान
निजी मेडिकल कालेज संचालको के दबाव में बढ़ाई दो लाख सालाना फ़ीस. सरकारी मेडिकल कालेजों में फ़ीस बढ़ाकर दस लाख पहले ही कर चुकी है खट्टर सरकार. सुरजेवाला का आरोप पहले बढ़ा दी सरकारी फीस अब निजी मेडिकल कालेजों को सीधा फायदा दे रहे सीएम

चंडीगढ़। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने खटटर सरकार द्वारा निजी मेडिकल कालेज संचालकों के हाथों में खेलते हुए निजी मेडिकल कालेजों की फीस में दो लाख की वृद्धि की कड़ी आलोचना की है। सुरजेवाला ने इसे प्रदेश के युवाओं के साथ में ज्यादती बताया व दो लाख फीस वृद्धि के प्रस्ताव को तुरंत वापस लेने और पूर्व में सरकारी मेडिकल कालेजों की बढ़ी फीस भी तुरंत कम करने की मांग की है।

अहम खुलासा करते हुए सुरजेवाला ने बताया कि हरियाणा मेडिकल एजूकेशन एवं रिसर्च विभाग की डीजी द्वारा निजी कालेजों की फीस में दो लाख की वृद्धि का सार्वजनिक नोटिस पत्र बीती 11 दिसंबर को जारी किया गया है। इस सरकार का यह कदम बेदह ही निंदनीय और प्रदेश के गरीब युवाओं के डाक्टर बनने के सपने पर हथौडा मारने वाला है। उन्होंने कहा कि इसके पहले प्रदेश की सरकार सरकारी कालेजों में भी फीस बढ़ोत्तरी करके दस लाख वार्षिक कर चुकी है। देश में यह फीस सबसे अधिक है, अब निजी हाथों में खेलते हुए यह तुगलकी लैटर जारी कर दिया है। सत्ता में बैठे भाजपा के अहंकारी नेताओं को युवा वर्ग का कोई ख्याल नहीं है। उन्होंने कहा कि अब निजी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस के स्टूडेंट्स को पहले साल में 17 लाख देने होंगे, यह गरीब परिवारों के हितों पर कुठाराघात है। पहले पांच फीसदी वार्षिक बढ़ोत्तरी हुआ करती थी, लेकिन इन्हें युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने में मजा आता है, इसीलिए इसे बढ़ाकर साढ़े सात फीसदी वार्षिक फीस करने का प्रस्ताव एक झटके में तैयार कर दिया है। इस प्रकार निजी कालेजों में विद्यार्थी को पांच साल में 84.42 लाख जमा करने होंगे, जो साधारण हरियाणवी परिवार के पहुँच से बाहर है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने दूसरी काउंसलिंग के नाम पर फीस थोप  देने के फैसले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि पहले यह फीस एक बार ली जाती थी, लेकिन अब सरकारी मेडिकल कालेजों की दूसरी काउंसलिंग के नाम पर दस हजार व प्राइवेट-सरकारी दोनों के लिए एक लाख की राशि कर दी है।

सुरजेवाला ने बताया कि अब से पहले प्रदेश की मेडिकल कालेजों की काउंसलिंग केंद्र की काउंसलिंग के बाद होती थी लेकिन इसे बदलकर केंद्र से पहले कर दिया गया है, इससे प्रदेश के स्टूडेंट्स को दोहरा नुकसान होगा।

सुरजेवाला ने याद दिलाया कि पहले इसी सरकार ने अपनी तानाशाही का परिचय देते हुए सरकारी कालेजों की फीस बढ़ाई थी। जिसके कारण अगर छात्र दस लाख नहीं भरता व बांड ले लेता है, तो उसे 36.28 हजार लाख लोन लेना होगा। जिस पर यदि एसबीआई की ब्याज दर 9.75 माना जाए और डाक्टरी करने वाला विद्यार्थी अपनी पढ़ाई के बाद में लोन को 15 साल में चुकाने की स्थिति में उसे 63 हजार की भारी-भरकम राशि हर माह भरनी होगी। यह आम परिवार के लिए बेहद ही बड़ा आर्थिक बोझ है।

error: Content is protected !!