तीन तलाक और तीन कानून

-कमलेश भारतीय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक पर चोट की और एक समाज की महिलाओं को नया जीवन दिया । देश इसके साथ खड़ा हुआ । कितनी बहस और चर्चा के बावजूद लोग मोदी के साथ खड़े और डटे रहे ।

अब तीन कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर चर्चा में हैं । जैसे नोटबंदी में साथ दिया था । किसान इन्हें काले कानून बता कर पिछले दिनों से आंदोलनरत हैं । पहले तो इसे पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह द्वारा नियोजित आंदोलन बताया गया लेकिन जब यह आंदोलन राजस्थान , यूपी और अन्य राज्यों में भी फैलता गया तब ये आरोप झूठे और बेसिरपैर के साबित हो गये । दिल्ली के सभी बार्डर घेर लिये किसान आंदोलनकारियों ने । हर बाॅर्डर पर दाल रोटी ही नहीं बन रही बल्कि गीत संगीत के लिए पंजाब के कलाकार पहुंच रहे हैं । यही नहीं पैसे से सहायता भी कर रहे हैं । यहीं गोदी मीडिया को भी बुरा भला कहा जा रहा है ।

तीन काले कानून इसलिए कि किसान को कारपोरेट सेक्टर यानी प्राइवेट सेक्टर के अधीन ही नहीं गुलाम बनाने की एक अप्रत्यक्ष साजिश रच दी गयी है । ये कानून किसान को अपने ही खेतों में मजदूरी के लिए विवश कर देंगे यानी अन्नदाता को गुलाम बनाने की बड़ी साजिश की बू आ रही है । जो कभी ईस्ट इंडिया कम्पनी न कर पाई वह भारतीय कम्पनियां कर देंगीं ? कांट्रैक्ट फर्मिंग से यही डर सता रहा है और प्राइवेट सेक्टर कहीं से , किसी से अनाज खरीद सकेगा जिससे अनाज मंडियों की पुरानी व्यवस्था तहस नहस सोने का डर है । यानी छोटे व्यापारी भी इससे प्रभावित होंगे । किसान के पास अपना भविष्य बचाने के लिए आंदोलन ही एक रास्ता बचा और वह सड़क पर आकर बैठ गया अपनी भावी पीढियों के लिए ।

अब सरकार चुप है और किसान का तमाशा देख रही है । भाजपा नेता और कंगना रानौत इन्हें आतंकवादी कह रहे हैं और अभी तक कानूनों को कृषि सुधार बता रहे हैं । किसान इन्हें कह रहे हैं कि हमें हमारे हाल पर छोड़ दो । हमें इतने सुधारों की जरूरत नहीं । ये हमारे भले के लिए नहीं बल्कि प्राइवेट कम्पनियों के कल्याण के लिए है ।

पहले ऐसा प्रयोग यूपी में चिप्स बनाने वाली कम्पनी द्वारा फेल हो चुका है और इसी तरह टमाटर जूस बनाने वाले कम्पनी के इरादे पंजाब के किसान भांप चुके हैं इसलिए इन काले तीन कानूनों को वापस करवाने के लिए आंदोलनरत हैं किसान ।

अब प्रधानमंत्री को इन तीन काले कानूनों से पीछे हटने के लिए मजबूर कर पायेंगे या नहीं ?

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